लोकसभा चुनाव 2024: बिहार की शिवहर संसदीय सीट से बाहुबली नेता आनंद मोहन की पत्नी के साथ बेटे ने दाखिल किया नामांकन

  • पिछले साल जेल से रिहा हुए थे आनंद मोहन
  • मां-बेटे के नामांकन के निकाले जा रहे है अलग अलग मायने
  • नाामांकन वापस लेने की आज अंतिम तारीख

ANAND VANI
Update: 2024-05-09 05:07 GMT

डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार में शिवहर लोकसभा सीट से जनता दल यूनाईटेड की प्रत्याशी लवली आनंद के बाद उनके बेटे अंशुमन आनंद ने भी नामांकन दाखिल कर दिया है।मां -बेटे के नामांकन करने से राजनीतिक गलियारों में कई कयास लगाए जा रहे है। यहां मुख्य मुकाबला जेडीयू की प्रत्याशी लवली आनंद और महागठबंधन के राष्ट्रीय जनता दल कोटे से ऋतु जायसवाल के बीच माना जा रहा है। लेकिन बेटे के नामांकन सेचुनावी मुकाबला दिलचस्प होने के साथ साथ बाहुबली आंनद मोहन का परिवार अचानक चर्चाओं में आ गया है। आज 9 मई नामांकन वापस लेने की अंतिम तारीख है। ऐसे में शिवहर संसदीय क्षेत्र में नए नए खुलासे हो सकते है।

शिवहर संसदीय सीट पर छठवें चरण में 25 मई को वोटिंग होगी। ऐसे में नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि निकल चुकी है। मगर 9 मई को नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख है।एबीपी न्यूज चैनल ने कुछ राजनीतिक जानकारों के अनुसार लिखा है कि कई बार ऐसे मौके आते हैं, जब परिवार के कई सदस्य अपना-अपना नामांकन अलग-अलग करते हैं, ताकि अगर किसी वजह से किसी एक का नामांकन रद्द हो जाए, तो इस स्थिति में परिवार के लोग चुनाव से वंचित न रह जाएं।शायद यही वजह हो सकती है कि अंशुमन आनंद ने शिवहर से नामांकन दाखिल किया है।

आपको बता दें आंनद मोहन की पत्नी लवली आनंद ने जेडीयू से नामांकन किया, नामांकन के साथ उनके बेटे अंशुमन आनंद भी मौजूद था। फिर बाद में अंशुमन ने नामांकन क्यों दाखिल किया। राजनीति में इसके अलग अलग मायने निकाले जा रहे है। खबरों के अनुसार आज यानि 9 मई को नाम वापसी के बाद ही स्थिति स्पष्ट होने की उम्मीद है। 

पिछले साल अप्रैल 2023 में 16 साल बाद बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह जेल से रिहा हुए थे। पूर्व सांसद आनंद गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी (DM) जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे थे। आनंद मोहन की जेल से रिहाई को लेकर बिहार सरकार की तीखी आलोचना भी हुई थी।उस समय नीतीश सरकार के फैसले के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दाखिल की गई थी और बिहार सरकार की अधिसूचना को निरस्त करने की मांग की गई थी।

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