पश्चिमी यूपी में कम नहीं हो रही है, बीजेपी की मुश्किलें, जानें बड़ी वजह

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 पश्चिमी यूपी में कम नहीं हो रही है, बीजेपी की मुश्किलें, जानें बड़ी वजह

Anupam Tiwari
Update: 2021-12-01 18:06 GMT
पश्चिमी यूपी में कम नहीं हो रही है, बीजेपी की मुश्किलें, जानें बड़ी वजह

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी अपनी चुनावी समीकरण दुरूरस्त करने में लगी है। हाल ही में तीन किसान कानून को रद्द करने का मोदी सरकार ने ऐलान कर पश्चिमी यूपी पर बड़ा दांव खेला है। यहां तक कि संसद के दोनोें सदनों में तीन किसान कानून रद्द कराने का विधेयक पास होने के बाद बुधवार को राष्ट्रपति ने भी अंतिम रूप से मुहर लगा दी। अब आज से तीनों कृषि कानून को आधिकारिक रूप से रद्द माना जाएगा। खबरें ये भी आ रही है कि जल्द ही किसान आंदोलन खत्म भी खत्म हो सकता है। लेकिन बीजेपी की मुश्किलें अभी भी कम नहीं हो रही हैं, बता दें कि जाट आरक्षण की मांग को लेकर अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने पश्चिमी यूपी में अपने अभियान तेज कर दिए हैं। 

जाट आरक्षण बना बीजेपी के लिए सिरदर्द

आपको बता दें कि तीन कृषि कानून वापस लेने के बाद मोदी सरकार ने भले ही पश्चिमी यूपी को साधने की कोशिश की हो। लेकिन अब जाट आरक्षण का मुद्दा गरमा गया है, जिससे बीजेपी इन मुसीबतों में घिरती जा रही है। बता दें कि अखिल भारतीय आरक्षण संघर्ष समिति यशपाल मलिक ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि जाट आरक्षण की मांग लेकर हम पश्चिमी यूपी के तमाम जिलों में बैठकें कर रहे हैं। मेरठ, आगरा, सहारनपुर और मथुरा में जाट आरक्षण को लेकर समाज के बीच बैठक हो चुकी है। अगर जाट आंदोलन अपनी मांगों को लेकर आंदोलित हुआ फिर बीजेपी को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। 

जाट समाज को मिले ओबीसी वर्ग का आरक्षण

बता दें कि जाट समुदाय के नेता ने कहा है कि हम 15 दिसंबर के बाद शामली में जाट समाज की बड़ी पंचायत बुलाने जा रहे हैं। जिसमें जाट आरक्षण को लेकर हम अपने आंदोलन को तेज करेंगे। जाट नेता यशपाल मलिक ने कहा कि पीएम मोदी और अमित शाह को जाट आरक्षण देने का पुराना वादा याद दिलाना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि मेरी मांग हैं जाट समाज को ओबीसी आरक्षण मिलना चाहिए। उन्होंने चेतावनी भरे अंदाज में कहा कि अगर जाट आरक्षण को लेकर यूपी विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी बड़ा कदम नहीं उठाती तो जाट समाज बड़ा फैसला करेगा और बीजेपी को 2022 विधानसभा चुनाव में भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। 

जाट समिति ने जनजागरण अभियान शुरू किया

बता दें कि एक बार फिर 2022 विधानसभा चुनाव से पहले जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने बुधवार को जनजागरण अभियान शुरू किया है। इस अभियान के तहत जाट समाज के लोग गांव-गांव जाकर लोगों को जाट आरक्षण की मांग को दोबारा से तेज करने की अपील कर रहे हैं। यशपाल मलिक ने कहा कि जाटों के आरक्षण के मुद्दों पर हम अब तक सरकार की सहमति का इंतजार कर रहे थे, लेकिन अब जाट आरक्षण गांवों से शहरों तक होगा और बिना मांग पूरे हुए हम नहीं शांत बैठेंगे। यशपाल ने कहा कि जाट समाज पश्चिमी यूपी की 100 सीटों पर अपना असर रखते हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी जाट वोटों के दम पर ही 2017 में सत्ता में आई है। ऐसे में हमारी मांग पूरी नहीं होती है तो हम उन्हें सत्ता से हटाना भी जानते हैं।

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