कांग्रेस और एनसीपी को हो गया था शिंदे की बगावत का अहसास, उद्धव ठाकरे को किया था आगाह, शिंदे के आंसू देख ठाकरे ने खुद ही सौंप दी 'सत्ता की चाबी'!

भरोसा करना महंगा पड़ा! कांग्रेस और एनसीपी को हो गया था शिंदे की बगावत का अहसास, उद्धव ठाकरे को किया था आगाह, शिंदे के आंसू देख ठाकरे ने खुद ही सौंप दी 'सत्ता की चाबी'!

Raja Verma
Update: 2022-06-22 14:22 GMT
कांग्रेस और एनसीपी को हो गया था शिंदे की बगावत का अहसास, उद्धव ठाकरे को किया था आगाह, शिंदे के आंसू देख ठाकरे ने खुद ही सौंप दी 'सत्ता की चाबी'!

डिजिटल डेस्क,मुंबई।  महाराष्ट्र में राजनीतिक उठापटक के बीच कई तरह कई सवाल उठने लगे है। एक तरफ एकनाथ शिंदे जो हमेशा शिवसेना के खास हुआ करते थे उन्होंने शिवसेना से बगावती रूख अपना लिया है। एकनाथ शिंदे ने कहा है कि उनके साथ 40 विधायक है। अगर शिंदे के दावे पर विश्वास किया जाए तो केवल महाराष्ट्र सरकार पर ही नहीं बल्कि उद्धव के लिए पार्टी बचाए रखने की चुनौती भी होगी। 

महाराष्ट्र में सियासी घमासान तेज हो चुका है। शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे से लेकर उद्धव ठाकरे के खास मानें जाने वाले एकनाथ शिंदे ने बगावत कर दी है। शिंदे अपने साथ 40 विधायकों को लेकर गुवाहाटी में डेरा जमाये हुए है। यह हलचल हुई तो लगा कि सब अचानक ही हुआ लेकिन इसके इशारे उद्धव ठाकरे को पहले ही मिल चुके थे, जिसमें कहा गया था कि एकनाथ शिंदे के घर पर कुछ गड़बड़ हो रहा है। इस बात की जानकारी किसी और ने नहीं बल्कि सरकार में सहयोगी कांग्रेस और एनसीपी ने दिया था।  

महाराष्ट्र के सियासी उठापटक को लेकर राजनीतिक विश्लेषक अशोक वानखड़े ने एनबीटी ऑनलाइन से बात करते हुए इन बातों का खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि चार दिन पहले ही एकनाथ शिंदे  को ठाकरे ने घर पर बुलाया था। उद्धव ठाकरे ने इस मामले पर शिंदे से बात की जिसमें अपनी पोल खुलते देख एकनाथ  शिंदे रोने लगे और रोते हुए शिंदे ने उद्धव से कहा कि आपने इतनी बड़ी बात कह दी कि मैं विद्रोह करूंगा या जाऊंगा ये नहीं हो सकता इसके साथ ही शिंदे ने कहा कि मैं तो आपके परिवार के लिए जान दे रहा हूं। इन बातों को सुनकर शायद ठाकरे को लगा कि शिंदे पार्टी के साथ कुछ  गलत नहीं कर सकते। 
शिंदे की बातों को सुनने के बाद उद्धव ठाकरे ने भावुक होकर विधानपरिषद चुनाव की पूरी जिम्मेदारी एकनाथ शिंदे को सौंप दिया। यहीं से सारा खेल शुरू हुआ। 

अशोक वानखड़े ने बताया कि सीएम उद्धव ठाकरे के इस फैसले से शिंदे को सजी सजाई थाली मिल गई। उनको जिम्मेदारी दी गई की सारे विधायको को इक्टठा करे और उनकी वोटिंग करवाये। यहीं से सारा खेल पटल गया। 
 वानखड़े ने आगे बताया कि सारे विधायकों  की वोटिंग हुई तो तब शिंदे ने कहा कि उनकी तबीयत खराब है और  वह सूरत के रास्ते तुरंत निकल गए। इसके साथ ही बाकी विधायकों को बताया गया कि अपका लंच शहर के बाहर फार्महाउस में है। लेकिन गाड़ी जब सीधे गुजरात के रास्ते आगे निकल पड़ी तब उनको समझ आया कि वह कहां जा रहे है। 

वानखडे के यह भी कहा कि जो 30 विधायक गए है उनमें से हो सकते है कि 1-2 विधायक ऐसे हो जिनको जबरन ले जाया गया हो लेकिन बाकी अन्य लोगों से उनकी मुलाकात तो जरूर हुई होगी। इसके पीछे उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि इतना भी आसान नहीं है कि इतने विधायकों को आप अपने बताये स्थान पर ले जा सके। 
 
उन्होंने कहा कि आंकड़ो का अभी तक स्पष्ठ पता नहीं लग पा रहा था दोनों ही तरफ से अलग-अलग दावा किया जा था। लेकिन उद्धव ठाकरे की मीटिंग में जब कुल 19 लोग ही पहुंच पाए तब इसका कन्फर्म हुआ। हालांकि कुछ लोग रास्ते पर होने का दावा किया गया फिर भी आंकड़ा 23-24 से ऊपर नहीं गया। इसका मतलब साफ है कि एकनाथ शिंदे को 30 से अधिक विधायकों का सपोर्ट है। उन्होंने कहा कि जबरन पकड़कर रखने की बात कही गई लोकिन शिंदे के साथ जो ग्रुप फोटो सामने आया है उसमें सभी खुश दिखाई दे रहे है।    

 

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