भाजपा के लिए कर्नाटक में कितने जरूरी हैं बीएस येदियुरप्पा? एक झटके में बिगाड़ सकते हैं पूरा खेल, इन समुदायों में पकड़ है काफी मजबूत

भाजपा की जरूरत बने येदियुरप्पा भाजपा के लिए कर्नाटक में कितने जरूरी हैं बीएस येदियुरप्पा? एक झटके में बिगाड़ सकते हैं पूरा खेल, इन समुदायों में पकड़ है काफी मजबूत

Bhaskar Hindi
Update: 2023-03-05 13:18 GMT
भाजपा के लिए कर्नाटक में कितने जरूरी हैं बीएस येदियुरप्पा? एक झटके में बिगाड़ सकते हैं पूरा खेल, इन समुदायों में पकड़ है काफी मजबूत

डिजिटल डेस्क, बेगलुरू। कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी राज्य में एक्टिव हो गई है। पार्टी अलग-अलग जगहों पर केंद्र सरकार की नीतियों का खूब जोरशोर से प्रचार-प्रसार कर रही है। ताकि प्रदेश की जनता को अपने पाले में लाया जा सके। वहीं कांग्रेस भी इस प्रचार-प्रसार से अपने आप को दूर नहीं रख पाई है। बकायादा वो सरकार की खामियों को गिनाने में जुटी हुई है। कांग्रेस की ओर से मोर्चा पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने संभाला हुआ है। वहीं भाजपा की बात करें तो पार्टी पूरी तरह से पीएम मोदी और राज्य के चार बार के मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता बीएस येदियुरप्पा पर निर्भर होती हुई दिखाई दे रही है।

संन्यास से क्यों सहमी भाजपा? 

भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व पूरी तरह बीएस येदियुरप्पा पर निर्भर होती हुई नजर आ रही है क्योंकि पार्टी को येदियुरप्पा का कद बखूबी पता है। इसलिए बीजेपी चाहती है कि वो प्रदेश के विधानसभा चुनाव में पार्टी को मजबूत करने के लिए चुनाव प्रचार करें। जिससे संगठन तो मजबूत हो ही साथ ही राज्य के विधानसभा चुनाव में पार्टी को फायदा भी मिले। बता दें कि, हाल ही में येदियुरप्पा ने राजनीति से संन्यास लिया था। इसी बात का डर पार्टी हाईकमान को सता रहा है कि कहीं उनके संन्यास की वजह से चुनाव में पार्टी को किसी भी तरह का नुकसान न उठाना पड़ जाए। 

बीजेपी के लिए क्यों खास है बीएस येदियुरप्पा

दरअसल, येदियुरप्पा बीजेपी की मजबूरी बन गए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, चार बार के मुख्यमंत्री रहे बीएस येदियुरप्पा की पैठ कर्नाटक के सभी समुदायों में अच्छी खासी है और वो हमेशा से ही  जमीन से जुड़े नेता रहे हैं। येदियुरप्पा की पकड़ कर्नाटक के लोगों, खासकर लिगांयत समुदाय के बीच काफी है और कर्नाटक में लिंगायत समाज की संख्या बहुत अधिक है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए बीजेपी उन्हें राज्य में सक्रिय रखना चाहती है, ताकि आगामी विधानसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल की जा सके।

विदाई भाषण में क्या बोले थे? 

जब विधानसभा में उन्होंने अपना विदाई भाषण दिया था, तब येदियुरप्पा ने कहा था कि "वह अपनी अंतिम सांस तक ईमानदारी से पार्टी को खड़ा करने और उसे सत्ता में लाने का प्रयास करेंगे।" उन्होंने यह भी कहा था कि राजनीति से संन्यास देने का ये अर्थ नहीं कि मैं घर में बैठ जाउंगा। मैं जब तक हूं तब तक पार्टी को मजबूत करने के लिए निरंतर प्रयास करता रहूंगा। बता दें कि, बीजेपी के हर पोस्टर और बैनर में अब बीएस येदियुरप्पा की तस्वीर नजर आ रही है, जो पार्टी की मास्टरस्ट्रोक नीति का एक हिस्सा बताई जा रही है।

केंद्रीय नेतृत्व भी कर चुका है येदियुरप्पा की तारीफ

हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी कर्नाटक दौरे पर गए हुए थे। जिनके साथ पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को भी देखा गया था। मंच से पीएम मोदी ने येदियुरप्पा की खूब तारीफ की थी। उन्होंने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि येदियुरप्पा जी ने कर्नाटक के लिए बहुत कुछ किया है। इन्होंने प्रदेश को अपना कर्मभूमि समझ कर खूब सेवा की है, जो काफी गौरव करने की बात है। बता दें कि, पीएम मोदी ही नहीं इसके अलावा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी बीएस येदियुरप्पा की तारीफ कर चुके हैं। 

किसके सिर पर सजेगा जीत का सेहरा?

बता दें कि, कर्नाटक विधानसभा चुनाव इसी साल मई के महीने में होने वाले हैं। जहां इस बार कांग्रेस भी मजबूत स्थिति में दिखाई दे रही है। ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी की राहें इस बार उतनी आसान नहीं होने वाली है क्योंकि भाजपा के प्रति लोगों में एंटी इनकम्बेंसी है। हालांकि, इस बात की पुष्टी तो चुनाव नतीजे के आने के बाद ही हो पाएगी। अब देखना होगा कि जीत का सेहरा बीजेपी या कांग्रेस में से किसके सिर पर सजता है। 


 

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