Politics: मध्य प्रदेश में शुरू हुई नए अंदाज की सियासत, सेंधमारी और दल-बदल का दौर तेज

Politics: मध्य प्रदेश में शुरू हुई नए अंदाज की सियासत, सेंधमारी और दल-बदल का दौर तेज

IANS News
Update: 2020-07-17 06:30 GMT
Politics: मध्य प्रदेश में शुरू हुई नए अंदाज की सियासत, सेंधमारी और दल-बदल का दौर तेज
हाईलाइट
  • मध्य प्रदेश में शुरू हुई नए अंदाज की सियासत

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश में इन दिनों नए अंदाज की सियासत शुरू हो गई है। इसमें राजनीतिक दल दूसरे दलों के नेताओं की तोड़फोड़ में ज्यादा रुचि ले रहे हैं। इतना ही नहीं उनके नाते रिश्तेदारों को भी अपने करीब लाने की हर संभव कोशिश जारी रखे हुए हैं।

मध्य प्रदेश में कांग्रेस के तत्कालीन 22 विधायकों के पार्टी छोड़ने के कारण भाजपा सत्ता में लौटी है। उसके बाद से दल-बदल का दौर तेज हो गया है। सत्ताधारी दल भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस एक दूसरे में सेंधमारी करके शिकस्त देने का हर संभव मौका तलाश रहे हैं। इस मामले में भाजपा को कांग्रेस से कहीं ज्यादा सफलता मिलती नजर आ रही है।

सत्ता खोने के बाद कांग्रेस को बड़ा झटका छतरपुर जिले की मलहरा विधानसभा सीट से विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी के पार्टी छोड़ने से लगा। लोधी ने विधानसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है। प्रद्युम्न लोधी के दो रिश्तेदार बंडा से तरबर सिंह लोधी और दमोह से राहुल लोधी विधायक हैं, दोनों ही कांग्रेस से हैं। भाजपा की नजर इन दोनों पर भी है। इसमें भाजपा प्रद्युम्न का भी सहारा ले रही है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रद्युम्न के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने के कुछ घंटे बाद ही उन्हें नागरिक आपूर्ति निगम का अध्यक्ष बनाने के साथ कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दे दिया। वहीं प्रद्युम्न के भाजपा में जाने के बाद कांग्रेस को भी इस बात की आशंका हुई कि उसके दो रिश्तेदार जो विधायक हैं, वे भी कहीं भाजपा में न चले जाएं तो पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमल नाथ ने उन्हें तलब भी किया।

यह बात अलग है कि प्रद्युम्न सिंह लोधी के करीबी रिश्तेदार दोनों विधायकों ने साफ तौर पर कह दिया है कि वे कांग्रेस में है और कांग्रेस में ही रहेंगे। वैसे इन दोनों विधायकों को पूर्व केंद्रीय और मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का भी करीबी माना जाता है।

राजनीतिक विश्लेषक अरविंद मिश्रा का कहना है कि राजनीति में किसी भी दल के लिए न तो अब विचारधारा महत्वपूर्ण रह गई है और न ही राजनीतिक सिद्धांत, अगर किसी की मंजिल है तो वह सत्ता हासिल करना है। यही कारण है कि सारे राजनीतिक दल अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए दूसरे दलों में तोड़फोड़ करते हैं और इसके लिए वह सारे रास्ते अपनाते हैं जिससे उनका संगठन मजबूत हो सके।

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अजय सिंह यादव भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हैं उनका कहना है कि भाजपा खरीद-फरोख्त पर उतारू हैं और वह तरह-तरह के प्रलोभन देकर नेताओं को खरीदने में लगी है, मगर आगामी समय में होने वाले विधानसभा के उपचुनाव में शिवराज सरकार की विदाई तय है क्योंकि जनता हकीकत जानती है।

कांग्रेस ने भी बड़ा दाव चला है और मुख्यमंत्री चैहान के साले संजय सिंह मसानी को पार्टी की प्रदेश इकाई का उपाध्यक्ष बनाने के साथ आगामी समय में होने वाले विधानसभा के उप-चुनाव के लिए प्रचार प्रसार का समन्वयक बनाया हैं।

मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने दावा किया है कि कांग्रेस के कई विधायक भाजपा के संपर्क में है क्योंकि सब को लग रहा है कि अब कांग्रेस खत्म। कांग्रेस ने विधानसभा के चुनाव मे तमाम वादे किए थे मगर सत्ता में आने पर एक भी पूरा नहीं किया था। अब उनको क्षेत्र में लोग घुसने नहीं दे रही, सबको अपना भविष्य दिखाई दे रहा है। राजनीतिक के जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में और भी नेता दल बदल कर सकते है क्योंकि कई नेता ऐसे है जो सत्ता के बगैर रह नहीं सकते। वहीं कई नेताओं को भाजपा में अपने भविष्य को लेकर चिंता है।

 

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