सदस्यता जाने के बाद राहुल गांधी के सामने बचे हैं बस ये विकल्प? सही कदम उठाया तो उपचुनाव के ऐलान के बाद भी बच सकती है सदस्यता!

अब क्या करेंगे राहुल? सदस्यता जाने के बाद राहुल गांधी के सामने बचे हैं बस ये विकल्प? सही कदम उठाया तो उपचुनाव के ऐलान के बाद भी बच सकती है सदस्यता!

Anchal Shridhar
Update: 2023-03-24 10:26 GMT
सदस्यता जाने के बाद राहुल गांधी के सामने बचे हैं बस ये विकल्प? सही कदम उठाया तो उपचुनाव के ऐलान के बाद भी बच सकती है सदस्यता!

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता चली गई है। आज लोकसभा सचिवालय की ओर से अधिसूचना जारी कर उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई है। राहुल को कल ही सूरत की अदालत से मानहानी मामले में दो साल की सजा सुनाई गई थी। 

लोकसभा सचिवालय की अधिसूचना में कहा गया कि सूरत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत की तरफ से दोषी करार दिए जाने के बाद वायनाड से सांसद राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया जाता है। यह अयोग्यता कोर्ट के फैसले वाले दिन यानी 23 मार्च से लागू रहेगी। इसके साथ ही अधिसूचना में बताया गया है कि यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 102 102 (1) (e)  और जनप्रतिनिधी कानून 1951 की धारा 8 के तहत लिया गया है। 

इस मामले में मिली थी सजा

राहुल गांधी को 2019 में उनकी ओर से मोदी सरनेम को लेकर की गई टिप्पणी वाले केस में 23 मार्च को सूरत के सेशन कोर्ट ने दोषी मानते हुए दो साल की सजा सुनाई थी। हालांकि कोर्ट ने उन्हें तुरंत जमानत भी दे दी थी। दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार में आयोजित रैली में राहुल ने कहा था कि कैसे सभी चोरों का सरनेम मोदी हो सकता है। राहुल के इस बयान पर गुजरात में भाजपा विधायक पुर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि कांग्रेस नेता की इस टिप्पणी से पूरे मोदी समुदाय की मानहानि हुई है। 

इस अधिनियम के तहत गई सदस्यता

राहुल की सदस्यता जन प्रतिनिधी अधिनियम 1951 के तहत गई है। इस अधिनियम की धारा 8(3) में यह प्रावधान है कि कोई सांसद या विधायक किसी आपराधिक मामले में दोषी साबित होता है और उसे कोर्ट द्वारा दो या दो से ज्यादा वर्षों की सजा सुनाई जाती है तो उनकी सदस्यता रद्द हो सकती है साथ ही 6 साल तक उसके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध भी लग सकता है। इसके साथ ही यह अधिनियम दोषी ठहराए गए सदस्यों को तीन महीने का समय देता है, जिसमें उन्हें अपर कोर्ट में अपील करनी होती है वरना कोर्ट के डिसीजन के बाद उनकी सदस्यता रद्द हो जाती है।

सदस्यता जाने के बाद राहुल गांधी के पास आगे क्या विकल्प हैं?

सूरत कोर्ट ने राहुल को सजा के खिलाफ अपील करने के लिए 30 दिनों का समय दिया है। राहुल कोर्ट में अपील करेंगे और यदि कोर्ट सूरत की अदालत के फैसले पर स्टे लगाती है तो उन्हें राहत मिल सकती है। इसके अलावा राहुल लक्ष्यद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल के केस की तरह भी खुद को राहत मिलने की उम्मीद कर सकते हैं। बता दें कि सांसद फैजल को एक केस में 10 साल की सजा मिली थी, जिसके बाद उनकी सदस्यता रद्द हो गई थी। यहां तक की उनकी संसदीय सीट पर उपचुनाव का ऐलान तक हो गया था। ऐसे में सांसद ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जहां से उन्हें राहत मिली। हाईकोर्ट ने उपचुनाव पर रोक लगा दी थी। कानून विशेषज्ञों के मुताबिक अगर राहुल की सजा पर अपर कोर्ट से रोक लग जाती है तो वो अयोग्य घोषित नहीं होंगे और उनकी सदस्यता नहीं जाएगी।  इन दोनों विकल्पों के अतिरिक्त राहुल के पास यह भी विकल्प है कि वो लोकसभा महासचिवालय के उन्हें आयोग्य ठहराने वाले फैसले को भी अदालत में चुनौती दे सकते हैं। 

अप्रेल में हो सकता है वायनाड में उपचुनाव

उधर राहुल की सदस्यता खत्म होने के बाद खाली हुई वायनाड लोकसभा सीट पर चुनाव आयोग जल्द ही उपचुनाव का ऐलान कर सकता है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, चुनाव आयोग अप्रैल तक वायनाड सीट पर उपचुनाव का ऐलान कर सकता है। आयोग ने इसे लेकर मंथन शुरू कर दिया है। 

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