शिंदे सरकार में रार!: छगन भुजबल के बयान से महाराष्ट्र में बढ़ी सियासी हलचल, बोले - 'नवंबर में ही दे चुका मंत्री पद से इस्तीफा'

  • लोकसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र में सियासी हलचल तेज
  • शिंदे सरकार में मंत्री छगन भुजबल दिया चौकानें वाला बयान
  • मराठा आरक्षण के विरोध में दिया इस्तीफा!

Anchal Shridhar
Update: 2024-02-04 06:11 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। एनसीपी (अजीत पवार गुट) के नेता और महाराष्ट्र की शिंदे सरकार में मंत्री छगन भुजबल के खुलासे से राज्य में सियासी हलचल बढ़ गई है। उन्होंने शिंदे सरकार के मराठा आरक्षण के फैले पर सवाल उठाया है। उन्होंने अहमदनगर में आयोजित एक रैली में कहा कि मराठा आरक्षण के मुद्दे को लेकर मैने नवंबर में ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसका कारण सरकार का मराठाओं को ओबीसी कोटे में पिछले दरवाजे से एंट्री देना था।

दो महीने तक रहा चुप

भुजबल ने कहा, मैं इस्तीफे को लेकर पिछले दो महीने से चुप रहा, क्योंकि सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम अजीत पवार ने इस बारे में बोलने से मना किया था। मैं मराठा आरक्षण का विरोधी नहीं हूं, लेकिन राज्य में जो ओबीसी कोटा है, उसे मराठा के साथ साझा करने के खिलाफ हूं।

बता दें कि सीएम शिंदे ने 27 जनवरी 2024 को मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे मनोज जरांगे की मांगे ली थीं। इस दौरान उन्होंने मराठाओं को ओबीसी कोटे में शामिल कर आरक्षण देने की घोषणा भी की थी। भुजबल ने उनकी इसी घोषणा से नाराज थे। जिसके बाद सरकार में शामिल भाजपा के मंत्री राधाकृष्ण विखे और शिंदे गुट के एक विधायक समाज में दरार पैदा करने के प्रयास के लिए भुजबल के इस्तीफे की मांग की थी।

मुझे बर्खास्त करने की जरुरत नहीं

अपने इस्तीफे की मांग पर भुजबल ने कहा, "विपक्ष के कई नेता, यहां तक कि मेरी सरकार के नेता भी कहते हैं कि मुझे इस्तीफा दे देना चाहिए। किसी ने कहा कि भुजबल को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाना चाहिए।" उन्होंने कहा, "मैं विपक्ष, सरकार और अपनी पार्टी के नेताओं को बताना चाहता हूं कि 17 नवंबर को अंबाद में आयोजित ओबीसी एल्गर रैली से पहले मैंने 16 नवंबर को ही कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया और उसके बाद कार्यक्रम में शामिल होने गया।" 

ओबीसी समुदाय के मुंह से निवाला खींचने का प्रयास

भुजबल ने शिंदे सरकार द्वारा मराठा आरक्षण की मांग को मानने के बाद कहा था, ओबीसी समाज से मुंह का निवाला खींचने की कोशिश की जा रही है। हम मराठाओं के आरक्षण का विरोध नहीं कर रहे, लेकिन ओबीसी कोटे से आरक्षण लेने की कोशिश की गई है। ओबीसी आयोग अब मराठा आयोग हो गया है। मराठा समुदाय के लिए जो अधिसूचना जारी की गई है, उसे रद्द किया जाना चाहिए।

एनसीपी नेता ने कहा, "मुझे बर्खास्त करने की कोई जरूरत नहीं है। मैं इस्तीफा दे चुका हूं और के लिए आखिरी दम तक लड़ता रहूंगा। राज्य में ओबीसी की जनसंख्या 54% से 60% है, फिर भी विधायकों और सांसदों को मराठा वोट खोने का डर लग रहा है।"

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