यूपी के हर मंडल में तैयार होगी सैनिकों की नर्सरी

  • सैनिकों की नर्सरी तैयार
  • हर मंडल में सैनिक स्कूल

IANS News
Update: 2023-06-11 10:29 GMT
UP to have 'nurseries' in every division to prepare students for armed forces.
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तर प्रदेश के हर मंडल में सैनिक स्कूल खुलने जा रहे हैं। यहीं से सैनिकों की नर्सरी तैयार होगी। इन स्कूलों से पढ़े युवाओं में फौज एवं अर्धसैनिक बलों में अफसर बनने की संभावना अधिक होगी। अब यहां के युवाओं के देश प्रेम के जज्बे एवं जुनून का रंग और चटक होगा। जानकारों की मानें तो वैसे भी फौज, बीएसएफ, सीआरपीएफ एवं अन्य सैन्य बलों में यूपी के जवानों एवं अफसरों की संख्या सर्वाधिक है।

एक सरकारी अफसर के अनुसार गाजीपुर स्थित एशिया के सबसे बड़े गांव गहमर की तो पहचान ही फौजियों के गांव के रूप में है। एक लाख 20 हजार आबादी वाले इस गांव के हर घर से कोई न कोई सेना या अर्धसैनिक बल में है। किसी किसी घर में तो यह तारतम्यता तीन पीढ़ियों से है। इसी तरह बस्ती के पचवस गांव को भी सैनिकों का गांव कहा जाता है। उत्तराखंड एवं हरियाणा से सटे इलाके में भी ऐसे कई गांव हैं जहां के लोग सेना और अर्धसैनिक बलों में बड़ी संख्या में हैं।

जिस परीक्षा के द्वारा सेना के लिए अधिकारियों का चयन होता है, वह बेहद प्रतिष्ठापरक होती है। उसमें बमुश्किल पूरे देश के कुछ सौ चुनिंदा कैडेट्स प्रशिक्षण के लिए चुने जाते हैं। इनमें आम तौर पर उत्तर प्रदेश के युवाओं की संख्या सबसे अधिक होती है। आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं। मसलन इंडियन मिल्रिटी एकेडमी (आईएमए) के इस साल के पासिंग आउट परेड में यह संख्या 63 है। जून 2022 में 50, दिसंबर 2021 में 45, जून 2021 में 66, दिसंबर 2020 में 50, जून 2020 में 66 रही। यह संख्या देश में सर्वाधिक है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल यानी हर मंडल में सैनिक स्कूल की स्थापना, से इस संख्या का आने वाले सालों में और बढ़ना तय है।

सरकार से मिली जानकारी के अनुसार, मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश में 4 सैनिक स्कूल हैं। इसमें से अमेठी, झांसी, मैनपुरी रक्षा मंत्रालय द्वारा और लखनऊ का सैनिक स्कूल प्रदेश सरकार द्वारा संचालित है। गोरखपुर के फर्टिलाइजर कारखाने में करीब 50 एकड़ रकबे में एक सैनिक स्कूल निमार्णाधीन है। अगले सत्र से यहां पढ़ाई भी शुरू हो जाएगी। इसके अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हर मंडल में एक सैनिक स्कूल खोले जाने की घोषणा कर चुके हैं। घोषणा के मुताबिक आगरा, अलीगढ़, प्रयागराज, आजमगढ़, बस्ती, बरेली, मुरादाबाद, बांदा, झांसी, देवीपाटन, अयोध्या, कानपुर नगर, मेरठ, सहारनपुर, मीरजापुर और वाराणसी में पीपीपी (पब्लिक, प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल पर सैनिक स्कूल खोले जाएंगे।

दरअसल, योगी आदित्यनाथ जिस गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर हैं, उस पीठ का शुरू से ही यह मानना रहा है कि शिक्षा संस्कार का जरिया बने। यह युवाओं को किताबी ज्ञान तक सीमित रखने की बजाय उनमें देश प्रेम का जज्बा और जुनून भी पैदा करे। यही वजह है कि 1932 में तत्कालीन पीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ ने तब हर लिहाज से पिछड़े पूर्वांचल में शिक्षा का अलख जगाने के लिए जिस शिक्षा परिषद की स्थापना की, उसका नाम महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद रखा। महाराणा प्रताप का देश प्रेम के प्रति जोश, जज्बा और जुनून जगजाहिर है। तमाम चुनौतियों के बावजूद उन्होंने अपने समय के सबसे ताकतवर सम्राट अकबर को लोहे के चने चबवा दिए। परिषद से जुड़े शिक्षण संस्थानों के बच्चों में भी प्रताप की तरह ही देश प्रेम का जोश, जज्बा और जुनून हो, नामकरण के पीछे यही सोच थी।

आईएएनएस

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