पौष महीना 2 बार होने से इस साल 12 की बजाय 13 अमावस्याएं

संयोग पौष महीना 2 बार होने से इस साल 12 की बजाय 13 अमावस्याएं

Anita Peddulwar
Update: 2022-01-03 06:23 GMT
पौष महीना 2 बार होने से इस साल 12 की बजाय 13 अमावस्याएं

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  पंचांग के एक साल में 12 अमावस्या होती हैं, लेकिन इस साल जनवरी और दिसंबर में फिर पौष महीना होने के कारण 13 अमावस्या होंगी। धर्म ग्रंथों में इसे पर्व कहा गया है। इस दिन तीर्थ स्नान के बाद दान और फिर पितरों की विशेष पूजा करने की परंपरा है। जब तिथियों की घट-बढ़ होती है। तब ये पर्व कभी-कभी दो दिन तक भी रहता है। इसलिए जब दोपहर में अमावस्या हो उस दिन पितरों के लिए श्राद्ध-तर्पण किया जाता है। वहीं जब सूर्योदय के समय हो तो स्नान और दान किया जाता है। इस साल सोमवती अमावस्या का संयोग एक बार और शनैश्चरी अमावस्या का योग 2 बार बन रहा है। इस विशेष संयोग में किए गए तीर्थ स्नान और दान का अक्षय फल मिलता है। ये योग तब बनते हैं जब सोमवार और शनिवार को अमावस्या होती है।

सोमवार को अमावस्या शुभ
सौम्य वार में पड़ने वाली अमावस्या शुभ होती है। वहीं क्रूर वार के साथ अशुभ फल देने वाली होती है। ज्योतिष ग्रंथों में बताया गया है कि सोम, मंगल, शुक्र और गुरुवार को अमावस्या हो तो इसका शुभ फल मिलता है। वहीं, बुध, शनि और रविवार को अमावस्या अशुभ फल देती है।

अमावस्या और पितरों का संबंध
सूर्य की हजारों किरणों में जो सबसे खास है उसका नाम अमा है। उस अमा नाम की किरण के तेज से ही सूर्य धरती को रोशन करता है। जब उस अमा किरण में चंद्रमा वास करना है यानी चंद्रमा के होने से अमावस्या हुई। तब उस किरण के जरिये चंद्रमा के उपरी हिस्से से पितर धरती पर आते हैं। इसीलिए श्राद्ध पक्ष की अमावस्या तिथि का महत्व है।
 

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