दुर्ग : अग्रिम पंक्ति की कोरोना वारियर्स आंगनबाड़ी कार्यकर्ता युद्धस्तर पर जुटी हुई संक्रमितों के पहचान में

दुर्ग : अग्रिम पंक्ति की कोरोना वारियर्स आंगनबाड़ी कार्यकर्ता युद्धस्तर पर जुटी हुई संक्रमितों के पहचान में

Aditya Upadhyaya
Update: 2020-09-23 09:34 GMT
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डिजिटल डेस्क, दुर्ग। हर दिन सुबह पूरे उत्साह और सुरक्षा के साथ फील्ड में निकलती हैं इनकी वजह से संक्रमितों की पहचान हो रही आसान दुर्ग 22 सितंबर 2020 मास्क लगाकर, सैनेटाइजर लेकर शास्त्री चैक की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सविता डकोरे फील्ड में एकदम सुबह आठ बजे से निकल जाती हैं। उनका काम है घर-घर जाकर सर्दी, खांसी बुखार के लक्षणों वाले व्यक्तियों को चिन्हांकित करना। केवल चिन्हांकित ही नहीं करना, उन्हें टेस्ट के लिए प्रेरित करना। सविता विशेष रूप से पचास वर्ष से अधिक आयु के लोगों के चिन्हांकन के लिए विशेष सजग रहती है क्योंकि कोविड का सबसे गंभीर असर इसी आयु वर्ग पर पड़ रहा है। सविता की तरह ही नगरीय निकायों में पांच सौ कार्यकर्ता हर दिन शहर में संक्रमण के लक्षणों वाले मरीजों के पहचान के लिए निकलते हैं। हर दिन वे चालीस से पचास घर कवर करते हैं। इनका काम केवल चिन्हांकन का नहीं है। वे कोविड की गंभीरता के संबंध में भी समझ देते हैं। विशेषकर ऐसे हाटस्पाट में जहां गंभीरता अभी कम है। सुरैया परवीन बताती हैं कि हमारे पास आॅक्सीमीटर भी है। इससे हमको चिन्हांकन में काफी आसानी होती है। आॅक्सीमीटर में आंकड़ा 95 से नीचे आने पर हम तुरंत जानकारी अपने प्रभारी अधिकारी को देते हैं। हम बताते हैं कि यह 95 से नीचे आॅक्सीजन लेवल जाने पर आपको मेडिकल सहायता की आवश्यकता पड़ेगी। हमारे अधिकारी फिर समन्वय कर लेते हैं। जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री विपिन जैन ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को इसके लिए पूरी ट्रेनिंग दी गई है। उन्हें यह बताया गया है कि संक्रमण के लक्षणों वाले लोगों का चिन्हांकन तो करें ही, उन्हें तुरंत टेस्ट कराने के लिए भी प्रेरित करें। वे बताती हैं कि किस प्रकार कोरोना की जांच के लिए यदि मरीज ने टालमटोल कर दी तो संक्रमण किस तेजी से फैल सकता है। श्री जैन ने बताया कि गया नगर, उरला, सिकोला बस्ती, राम नगर, नयापारा, भिलाई 3 जैसी जगहों में व्यापक अभियान चलाया जा रहा है। हमारा फोकस पचास वर्ष से अधिक और पहले से बीमार चल रहे लोगों पर है। चूंकि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आसपास के इलाके की ही होती है अतएव क्षेत्र के बारे में अच्छी जानकारी और फीडबैक इनके पास होते हैं। इनके माध्यम से संक्रामित लोगों की पहचान करने में आसानी हो रही है। सुरैया की सहायिका सविता ठाकुर और मितानिन दुलारी बाई ने बताया कि लोगों को जागरूक करना बहुत पुण्य का काम है। हम बताते हैं कि किस प्रकार यह बीमारी लापरवाही बरतने पर गंभीर हो जाती है। इसका अच्छा असर होता है लोग बात मानते हैं और टेस्ट के लिए जाते हैं। आॅक्सीमीटर होने के चलते हम ज्यादा तकनीकी रूप से मजबूत हुए हैं। इससे भी लोगों को लगता है कि इनसे अपने आॅक्सीजन लेवल की जांच करानी चाहिए। जिला परियोजना अधिकारी और जिला कार्यक्रम अधिकारी स्वयं भी मौके पर जा कर इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं। क्रमांक 1208

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