घोटालों पर चुप्पी पार्किंग का प्लान फेल, अतिक्रमण से पटा नगर, सुधरने की बजाय बिगड़ी शहर की सूरत

छिंदवाड़ा घोटालों पर चुप्पी पार्किंग का प्लान फेल, अतिक्रमण से पटा नगर, सुधरने की बजाय बिगड़ी शहर की सूरत

Sanjana Namdev
Update: 2023-01-24 11:54 GMT
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!

अतिक्रमण, पार्किंग प्लान, तलघर और शहर के लिए सरदर्द बन चुका सब्जी बाजार का विस्थापन पर निगम अफसरों से लेकर जनप्रतिनिधियों ने चुप्पी साध ली है। हाऊसिंग प्रोजेक्टों में हुए करोड़ों के घोटालों पर जनप्रतिनिधि चिल्ला रहे हैं, लेकिन अधिकारी इस मसले पर जांच के लिए तैयार नहीं है। हालात ये हो चुके हैं कि शहरवासियों की जरुरत से जुड़े प्रोजेक्टों पर वर्किंग बंद हो चुकी है। परिषद और अफसरों के बीच जारी खींचतान का हर्जाना आमजनों को भुगतना पड़ रहा है। शहर की सूरत सुधारने वाले कुछ प्रोजेक्टों पर कहीं अफसरों का ध्यान नही हैं तो कहीं नेतागिरी आड़े आ रही है। एमआईसी की बैठकों में कागजों पर बन रहे प्लान धरातल पर नजर नहीं आ रहे हैं। कहीं फंड की कमी है तो कहीं अफसरों और नेताओंं में इच्छा शक्ति का अभाव।
1-हाऊसिंग प्रोजेक्ट घोटाला :
नगर निगम का हाऊसिंग प्रोजेक्ट घोटाला छह महीने से मीडिया से लेकर नेताओं के बीच सुर्खियां बना हुआ है। जुबानी जंग जारी है, लेकिन कार्रवाई करने के लिए कोई तैयार नहीं है। आनंदम, खजरी, परतला और इमलीखेड़ा में निगम के पूर्व में पदस्थ टेक्निकल अफसरों ने जो करोड़ों की बंदरबांट की है, उसकी शिकायत प्रशासन से लेकर भोपाल तक हो चुकी, लेकिन मिलीभगत में प्रशासन से लेकर निगम अफसरों और नेताओं की मिलीभगत के चलते जांच तक नहीं हो रही है। हितग्राही चार साल से परेशान है।
2-सब्जी दुकानदारों का विस्थापन:  नगर निगम ने करोड़ों खर्च कर छह महीने पहले जेल बगीचा की कीमती जमीन पर हाट बाजार का निर्माण कर लिया है, लेकिन विस्थापन नहीं कर पा रहा है। जमीन से लेकर निगम के करोड़ों रुपए बेकार हो चुके हैं। आज भी सब्जी की दुकानें सडक़ों पर लग रही है। नेतागिरी इस कदर हावी है कि आम जनों की समस्याओं से नेताओं से लेकर अफसरों ने मुंह मोड़ लिया है। दिन में दस बार जनपद कार्यालय से लेकर एमएलबी के पास जाम के हालात बनते हैं। सडक़ पर सब्जी बाजार होने से आम लोगों का यहां से गुजरना मुश्किल हो गया है।
3-प्लान बना, लेकिन पार्किंग नहीं:
शहर का पार्किंग प्लान बनाने में निगम अफसरों से लेकर जनप्रतिनिधि तक कागजी घोड़े दौड़ा रहे हैं। प्लान तो हर बार बन रहा है, लेकिन पार्किंग की व्यवस्था नहीं बन पा रही। फव्वारा चौक, परासिया रोड, नरसिंहपुर रोड और सबसे बड़ी दिक्कत गांधी गंज के आसपास की है। जहां चौपहिया छोड़ दोपहिया वाहनों को भी रखने की जगह नहीं है। सडक़ पर वाहन खड़े होते हैं। जिसके कारण दिन में दस बार ट्रॉफिक जाम की समस्या से आमजनों को रुबरु होना पड़ता है।
4-अतिक्रमण मुक्त नहीं, अतिक्रमण युक्त शहर
शहर सरकार का पहला दावा नगर को अतिक्रमण मुक्त करने का था, शहर अतिक्रमण मुक्त तो नहीं, लेकिन अतिक्रमण युक्त जरुर हो गया है। ऐसी कोई मुख्य सडक़ नहीं है जहां पर छोटे-छोटे दुकानदारों ने कब्जा न किया हो, खानापूर्ति के नाम पर रोज हिदायत दी जाती है, लेकिन कोई कार्रवाई कुछ नहीं होती। हनुमान मंदिर और टाउन हॉल के पास मुख्य सडक़ को खाली कर फल-फूल बाजार को इंदिरा तिराहा में शिफ्ट किया गया था, लेकिन अब ये भी जहां की तहां है। निगम प्रबंधन पुरानी व्यवस्था को भी नहीं संभाल पाया है।
5: तलघर की जगह बना ली दुकानें, पार्किंग सडक़ पर
शहर की मुख्य सडक़ों पर दोनों और खड़े होने वाले वाहन सबसे बड़ी समस्या है। सरकारी नक्शों में मल्टी स्टोरी बिल्डिंगों ने जहां पहले तलघर में पार्किंग के लिए जगह छोड़ी गई थी। वहां अब दुकानें बना ली गई है। निगम कार्रवाई के लिए तैयार नहीं है। नतीजा, पूरा शहर भुगत रहा है। हर बार कार्रवाई की फाइल निकलती है, लेकिन हर बार चार दिनों की उठापठक के बाद बंद कर दी जाती है। सूची में हर बार शहर के बड़े धन्नासेठों का नाम सामने आने की वजह से कभी कार्रवाई नहीं हो पाती।
इनका कहना है...
- पार्किंग, तलघर और बाजार शिफ्ंिटग का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। जल्द ही शहर से जुड़ी इन समस्याओं पर काम शुरु किया जाएगा। हमने शहर के डेवलपमेंट की प्लॉनिंग तैयार की है।
विक्रम अहके
महापौर, नगर निगम
- शहर के डेवलपमेंट से रिलेटेड प्रोजेक्टों पर लगातार वर्किंग जारी है। बाजार शिफ्टिंग जल्द करवाई जानी है। वहीं पार्किंग के लिए नई जगहों की तलाश की जा रही है।
ईश्वरसिंह चंदेली
ईई, नगर निगम

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