शहडोल: ग्राम पंचायत सचिव ने RTI को बनाया मज़ाक, अपील करने के बाद भी नहीं मिल रही जानकारी

शहडोल: ग्राम पंचायत सचिव ने RTI को बनाया मज़ाक, अपील करने के बाद भी नहीं मिल रही जानकारी

Bhaskar Hindi
Update: 2019-09-25 11:11 GMT
शहडोल: ग्राम पंचायत सचिव ने RTI को बनाया मज़ाक, अपील करने के बाद भी नहीं मिल रही जानकारी

डिजिटल डेस्क,शहडोल। शहडोल जिले के ब्यौहारी ब्लॉक में आने वाली ग्राम पंचायत अल्हरा के सचिव रामकृष्ण तिवारी ने "सूचना का अधिकार" को खेल बना दिया है। पंचायत सचिव रामकृष्ण तिवारी आवेदक द्वारा प्रथम अपील करने के बाद भी जवाब देने का नाम नहीं ले रहे हैं। आवेदक ने पंचायत के लोक सूचना अधिकारी से सम्पर्क कर जानकारी के विषय में पूछा तो उन्होंने खुद को "दो महीने की छुट्टी" में बता दिया।

RTI एक्टिविस्ट मोहित पहाड़े के मुताबिक ग्रा.पं. अल्हरा में विकास कार्यों के नाम पर लाखों रुपए गबन किये गए हैं और किये गए कार्य भी गुणवत्ताहीन हैं। इसके बाद उन्होंने पंचायत से RTI आवेदन द्वारा 54 बिन्दुओं पर विकास कार्यों की जानकारी मांगी, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं दिया गया।

जब मोहित पहाड़े ने सचिव रामकृष्ण से सम्पर्क कर जानकारी के विषय में पूछा तो रामकृष्ण तिवारी ने कहा कि वो पिछले दो महीने से छुट्टी में हैं इसलिए उन्हें RTI आवेदन की कोई जानकारी नहीं है। हालांकि जब जनपद पंचायत से जानकारी ली गई तो पता चला कि सचिव रामकृष्ण किसी छुट्टी में नहीं गए।

रामकृष्ण पर हैं लाखों रुपए के भ्रष्टाचार का आरोप
अल्हरा से पहले रामकृष्ण तिवारी ग्राम पंचायत निपनिया के पूर्व सचिव रह चुके हैं। निपनिया के ग्रामीणों ने बताया कि रामकृष्ण तिवारी ने निपनिया सरपंच शांति कोल और ग्राम रोजगार सहायक अभिषेक पाण्डे के साथ मिलकर विकास कार्यों के नाम पर लाखों रुपयों का घोटाला किया है।

ग्रामीणों के अनुसार रामकृष्ण द्वारा एक ही सी.सी. सड़क निर्माण के लिए अलग-अलग नामों से तीन बार राशि का आहरण किया गया। इस पर ग्रामीणों द्वारा शहडोल कलेक्टर ललित दाहिमा से शिकायत की गई तो कलेक्टर ने जांच की जिम्मेदारी मनरेगा प्रोग्रामिंग अफसर राहुल सक्सेना को दी।

हालांकि राहुल सक्सेना के निरीक्षण करने पर 100 मीटर सी.सी. सड़क गायब और गुणवत्ताहीन पाई गई लेकिन इसके आगे भ्रष्टाचार के इन ठेकेदारों पर अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया।

शासकीय कर्मचारियों के जारी किये गए जॉब कार्ड
निपनिया के ग्राम रोजगार सहायक अभिषेक पाण्डे भी लूट की दौड़ में पीछे नहीं रहे। उन्होंने तो अपने पद का गलत इस्तेमाल करते हुए शासकीय कर्मचारियों के जॉब कार्ड भी जारी कर दिया।

जानकारी है कि अभिषेक पाण्डे ने अपने निजी स्वार्थ के लिए शीला कोल और हरवंश प्रसाद पाण्डे के लिए जॉब कार्ड बनाया हैं। बता दें कि शीला कोल एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं और ग्रा. पं. निपनिया सरपंच शांति कोल की बहू भी हैं। साथ ही हरवंश प्रसाद पाण्डे, रोजगार सहायक अभिषेक पाण्डे के दादा हैं जो रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी हैं। हरवंश प्रसाद वन विभाग में डिप्टी रेंजर रह चुके हैं, जो वर्तमान में प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ ले रहे हैं।

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