कृषि विज्ञान केन्द्र में टिकाऊ खेती पर कार्यशाला का आयोजन

पन्ना कृषि विज्ञान केन्द्र में टिकाऊ खेती पर कार्यशाला का आयोजन

Sanjana Namdev
Update: 2023-03-24 06:41 GMT
कृषि विज्ञान केन्द्र में टिकाऊ खेती पर कार्यशाला का आयोजन

डिजिटल डेस्क,पन्ना। विकास संवाद संस्था द्वारा संचालित दस्तक परियोजना अंतर्गत गठित किसान समूहों के कृषकों के लिए टिकाऊ खेती पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन आज कृषि विज्ञान केन्द्र पन्ना में किया गया। आयोजित कार्यशाला में वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. पी.एन. त्रिपाठी, डॉ. आर.के. जायसवाल, डॉ. राकेश तथा समर्थन संस्था के क्षेत्रीय समन्वयक ज्ञानेन्द्र तिवारी, रिलायंस फांउडेशन के संतोष सिंह द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ मां सरस्वती के पूजन के साथ हुआ। कार्यक्रम के प्रारंभ मेें विकास संवाद के समन्वयक द्वारा कार्यशाला के आयोजन के उद्देश्यों की जानकारी दी गई। प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थित ज्ञानेन्द्र तिवारी ने प्रकृति के महत्व के संबध में कृषकों से संवाद स्थापित करते हुए कहा कि यह समझना होगा कि जंगल के पेडों में न तो कोई पानी डालने जाता है और न ही खाद डालने जाता है लेकिन पेडों से हम सभी वनोपज लेते हैं यही प्रकृति है।

यदि हम प्रकृति के अनुरूप खेती करें तो फसलों को नुकसान नहीं होगा और उत्पादन भी बेहतर होगा साथ ही प्राकृतिक खेती से जिस अनाज का हम उत्पादन करते हैं वह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर है। कार्यशाला को संबोधित करते हुए वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. पी.एन. त्रिपाठी ने कहा कि किसानों को प्राकृतिक खेती की दिशा में फिर से वापिस लौटना होगा। प्राकृतिक खेती में खेती के लिए पशुधन का होना भी आवश्यक है। गाय के होने से गोबर प्राप्त होता है साथ ही दूध की प्राप्ति होती है। खेती से जो चारा निकलता है वह गाय के काम आता है। गाय के गोबर से खाद तैयार होती है अर्थात मानव कृषि एवं पशुधन एक-दूसरे से जुडे हुए हैं। कार्यशाला में कृषि वैज्ञानिक डॉ. जायसवाल ने कहा कि आज के दौर में खेती में रासायानिक खादों के बढते प्रयोग से जमीन की उर्वरा क्षमता लगातार कमजोर हो रही है साथ ही साथ इसके अन्य दुष्परिणाम भी सामने आ रहे हैं। प्राकृतिक खेती को समझें और हमारे पास जो प्राकृतिक रूप से जमीन की उर्वरा क्षमता बढाने के लिए संसाधन हैं उसका तकनीकी रूप से इस्तेमाल करें जिससे उत्पादन भी बेहतर होगा साथ ही साथ हम अपनी जमीन को बंजर होने से बचा सकेंगे। कार्यशाला को डॉ. राकेश ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में विकास संवाद से छत्रसाल पटेल, रामविशाल, वैशाली, बबली, समीर, कामना, कमलाकान्त, सुरेश गौंड, जोनी पसाना, रामशरण गौंड एवं इंद्र सिंह यादव की महत्वपूर्ण भूमिका रही। 

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