डेरी उत्पाद को आरसीईपी में लाने से प्रभावित होंगे 6.5 करोड़ उत्पादक : रथ
नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के अध्यक्ष दिलीप रथ का कहना है कि डेरी उत्पादों को रीजनल कांप्रिहेंसिव इकॉनोमिक पार्टनरशिप (आरसीईपी) के दायरे में लाने से देश के 6.5 करोड़ दुग्ध उत्पादन करने वाले किसान प्रभावित होंगे।
भारत दुनिया में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक होने के साथ-साथ सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है।
दिलीप रथ ने बताया कि पिछले साल 2018-19 में भारत में दूध का उत्पादन 18.77 करोड़ टन हुआ था जोकि कुल वैश्विक उत्पादन में 21 फीसदी है और देश में दूध का उत्पादन सालाना आठ फीसदी की दर से बढ़ रहा है।
रथ ने आईएएनएस से खास बातचीत में कहा कि 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लक्ष्य को हासिल करने में डेरी उद्योग का अहम योगदान होगा, क्योंकि किसानों को धान और गेहूं के उत्पादन का जितना दाम मिलता है उससे ज्यादा दाम दूध के उत्पादन से मिलता है।
उन्होंने बताया, साल में दूध के कुल उत्पादन का मूल्य 3,14,387 करोड़ रुपये है जोकि धान और गेहूं के कुल उत्पाद के मूल्यों के योग से ज्यादा है। उन्होंने कहा कि दूध और दूध से बनने वाले उत्पाद किसानों की आमदनी बढ़ाने का एक प्रमुख जरिया है।
रथ ने कहा कि इस समय देश में दूध की खपत प्रति व्यक्ति 374 ग्राम है, शहरी क्षेत्र में दूध की बढ़ती खपत को देखते हुए उम्मीद की जाती है कि यह आंकड़ा आने वाले पांच साल में 550 ग्राम प्रति व्यक्ति हो जाएगा।
इस प्रकार, उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ खपत भी बढ़ेगी, लेकिन रथ का कहना है कि अगर डेरी उत्पादों को आरसीईपी के दायरे में लाया गया तो न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया से शून्य आयात कर पर सस्ते दुग्ध उत्पाद देश में आएंगे जिससे दूध उत्पादकों पर असर पड़ेगा।
उन्होंने कहा, हमारी विडंबना यह है कि सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश होने के बावजूद हमारे यहां प्रति पशु (गाय/भैंस) दूध की उत्पादकता सिर्फ पांच किलो है जबकि इजरायल और अमेरिका में करीब 33 लीटर है।
रथ ने कहा कि किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए हमारा फोकस इस समय प्रति पशु दूध की उत्पादकता बढ़ाने पर है।
उन्होंने कहा, अगर हम इसमें (दुग्ध उत्पादकता) एक किलो प्रति पशु भी वृद्धि करते हैं तो यह किसानों के लिए कमाई बढ़ाने का एक अहम उपाय साबित होगा।
उन्होंने कहा कि इसके लिए कृत्रिम गर्भाधान को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। रथ ने कहा, इस समय देश में कृत्रिम गर्भाधान 30 फीसदी हो रहा है और हमारा लक्ष्य इसे बढ़ाकर 50 फीसदी करना है।
इसके अलावा, पशु-आहार की गुणवत्ता बढ़ाने पर ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके लिए राशन बैलेंसिंग प्रोग्राम शुरू किया गया है जिसमें देश के 18 राज्यों के 40,000 गांवों में 30 लाख पशुधन को शामिल किया गया है और पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, आंध्रप्रदेश, गुजरात व अन्य राज्यों में इसके बेहतर परिणाम सामने आए हैं।
राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि भारत को 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के भारत सरकार के लक्ष्य को हासिल करने में ग्रामीण क्षेत्र के योगदान में डेरी उद्योग अहम साबित होगा।
गौरतलब है कि आरसीईपी में आसियान के 10 सदस्य देशों के अलावा जापान, दक्षिण कोरिया, चीन, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं और बताया जाता है कि भारत सरकार डेरी उत्पादों को आरसीईपी में शामिल करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शाखा स्वेदशी जागरण मंच ने भी डेरी उत्पादों को आरसीईपी में शामिल करने के प्रस्ताव पर आपत्ति जाहिर की है।
Created On :   7 Oct 2019 5:30 PM IST