मेक इन इंडिया पर जोर, फिर भी पिछड़ रहा देश : आर्थिक सर्वेक्षण

Emphasis on Make in India, yet the country is lagging behind: Economic Survey
मेक इन इंडिया पर जोर, फिर भी पिछड़ रहा देश : आर्थिक सर्वेक्षण
मेक इन इंडिया पर जोर, फिर भी पिछड़ रहा देश : आर्थिक सर्वेक्षण
हाईलाइट
  • मेक इन इंडिया पर जोर
  • फिर भी पिछड़ रहा देश : आर्थिक सर्वेक्षण

नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)। आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 में शुक्रवार को कहा गया कि मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया पहल के बावजूद देश अभी भी पिछड़ता दिख रहा है, जब बात नेटवर्क उत्पाद निर्माण का प्रमुख केंद्र बनने की बात करें तो भारत कहीं नहीं ठहरता है।

दूरसंचार हैंडसेटों के लिए भारत को एक एसेंबली सेंटर बनाने के लिए जोर देते हुए सर्वेक्षण में सरकार को चीन का फॉर्मूला अपनाने का सुझाव दिया गया है, जिसमें उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स के ज्यादा घटकों को स्थानीय तौर पर उत्पादन करने की बात कही गई है।

जापान और चीन जैसे बड़े देश जो लंबे समय से बाजार में बने हैं, उन्होंने असेंबल-एंड प्रोडक्ट्स (एईपी) के विस्तार की शुरुआत की। इसके साथ पार्ट एंड कंपोनेंट (पी एंड सी) का भी अनुसरण किया।

सर्वेक्षण में कहा गया, सबसे हालिया प्रवेश करने वाले थाईलैंड व वियतनाम ने एईपी निर्यात को विस्तार दिया व पी एंड सी का अनुसरण किया। भारत के लिए पी एंड सी ने हाल के सालों में कुछ वृद्धि दर्ज की है, जबकि एईपी में कमी आई है।

सर्वेक्षण में कहा गया है कि पिछड़ा होने के बावजूद भारत में नेटवर्क प्रोडक्ट्स (एनपी) के लिए अंतिम असेंबली के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरने की बड़ी संभावना है।

उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए वैश्विक मूल्य श्रृंखला (जीवीसी) को प्रमुख ब्रांड जैसे ऐप्पल, सैमसंग, सोनी आदि द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

सामान्य रूप से ये उत्पाद किसी देश के भीतर शुरू से अंत तक निर्मित नहीं होते हैं। इसके बजाय विशेष कार्य में दक्ष या अच्छे प्रोडक्शन चरणों के तहत इनका उत्पादन किया जाता है।

श्रम की प्रचुरता वाले देश जैसे चीन इसके कम कुशल श्रम स्तर के उत्पादन से जुड़ा है, जबकि धनी देश इसके आर एंड डी से जुड़े हैं।

सर्वेक्षण में कहा गया है, भारत 2025 तक विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 12.5 लाख हैंडसेट का निर्माण कर सकता है, जिससे 230 अरब डॉलर मूल्य का उद्योग बढ़ेगा।

वर्तमान में लगभग 12 फीसदी घटकों को स्थानीय स्तर प्राप्त किया जा रहा है, जबकि बाकी के 88 फीसदी चीन, ताइवान, वियतनाम व जापान से आ रहे हैं, चीन इसका सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है।

सर्वेक्षण में कहा गया है, 2013 से 2017 के बीच भारत के टेलीकॉम हैंडसेट का आयात 4.47 अरब डॉलर से घटकर 3.31 अरब डॉलर हो गया।

उन्होंने कहा, इसी दौरान टेलीकॉम हैंडसेंट का निर्यात बीते तीन सालों में बढ़ा है। यह पैटर्न सुसंगत है, इसके साथ भारत टेलीकॉम हैंडसेट के लिए एसेंबली सेंटर के तौर पर उभरा है।

काउंटरप्वाइंट रिसर्च के अनुसार, भारत ने 2018 में 13 अरब डॉलर के घटकों का आयात किया है।

Created On :   31 Jan 2020 2:30 PM GMT

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