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रेलिगेयर के पूर्व प्रमोटर शिविंदर सिंह अरेस्ट, 740 करोड़ रुपये के फंड डाइवर्ट का आरोप

हाईलाइट
- रैनबैक्सी लैबोरेटरीज के पूर्व प्रमोटर शिविंदर सिंह को तीन अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया है
- रेलिगेयर इंटरप्राइजेज लिमिटेड की एक शिकायत के बाद इन्हें गिरफ्तार किया गया है
- कंपनी ने उन पर 740 करोड़ रुपये के फंड को डाइवर्ट करने का आरोप लगाया है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने गुरुवार को रैनबैक्सी लैबोरेटरीज के पूर्व प्रमोटर शिविंदर सिंह को तीन अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया है। रेलिगेयर इंटरप्राइजेज लिमिटेड की एक शिकायत के बाद इन्हें गिरफ्तार किया गया है। कंपनी ने उन पर 740 करोड़ रुपये के फंड को डाइवर्ट करने का आरोप लगाया है। बता दें कि शिविंदर फोर्टिस हेल्थकेयर के को-फाउंडर और रेलिगेयर के पूर्व प्रमोटर भी है।
गिरफ्तार तीन अन्य लोगों में कवि अरोड़ा, अनिल सक्सेना और रेलिगेयर के पूर्व सीईओ और प्रबंध निदेशक सुनील गोधवानी है। इस मामले में शिविंदर के भाई मलविंदर भी आरोपी हैं। इस साल अगस्त में, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी-लॉन्ड्रिंग मामले में मालविंदर और शिविंदर से जुड़े परिसरों पर छापा मारा था। केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों ने कहा था कि धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज करने के बाद छापे मारे गए।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में लिस्टेड कंपनी रेलिगेयर इंटरप्राइजेज लिमिटेड (REL) से ऑफशोर कंपनियों के जाल की मदद से कथित तौर पर एक जर्सी फर्म में फंड को डायवर्ट किया गया। इस जर्सी फर्म के मालिक मालविंदर सिंह और शिविंदर सिंह थे। REL ने 2007-08 में 748 करोड़ रुपये के राजस्व पर 92 करोड़ रुपये का कॉन्सॉलिडेटेड प्रॉफिट कमाया था। जबकि 2017-18 में 2,586 करोड़ रुपये के राजस्व पर 1,350 करोड़ रुपये का घाटा किया।
गोधवानी ने जुलाई 2016 में REL के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर का पद छोड़ दिया और सितंबर 2017 में होल-टाइम डायरेक्टर के पद से इस्तीफा दे दिया। बाद में दोनों भाइयों ने एक-दूसरे पर और गोधवानी को धोखाधड़ी के लिए दोषी ठहराया। मालविंदर ने आरोप लगाया कि रियल एस्टेट खरीदने के लिए राधा सोमी सत्संग ब्यास के आध्यात्मिक गुरु, गुरिंदर सिंह ढिल्लों को लोन दिया गया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक REL की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी रेलिगेयर कैपिटल कैपिटालेट्स लिमिटेड (RCML) ने 2008 में मॉरीशस में एक इंवेस्टमेंट होल्डिंग सब्सिडरी कंपनी की स्थापना की थी।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।