फिलहाल नहीं बढ़ेंगी लोन की दरें, RBI ने नहीं किया रेपो रेट में कोई बदलाव
- RBI की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) ने रेपो रेट को 6.5 और रिवर्स रेपो रेट को 6.25 परसेंट पर बरकरार रखा है।
- कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट और रुपए में आई स्थिरता के चलते ये निर्णय लिया गया है।
- मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) के 5 सदस्यों ने रेपो रेट स्थिर रखने के पक्ष में वोटिंग की।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) ने रेपो रेट को 6.5 और रिवर्स रेपो रेट को 6.25 परसेंट पर बरकरार रखा है। कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट और रुपए में आई स्थिरता के चलते ये निर्णय लिया गया है। मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) के 5 सदस्यों ने रेपो रेट स्थिर रखने के पक्ष में वोटिंग की। RBI गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में तीन दिनों तक चली मीटिंग के बाद ये निर्णय लिया गया है। MPC की अगली बैठक 5-7 फरवरी 2019 को होगी।
यह लगातार दूसरी बार है कि सेंट्रेल बैंक ने ब्याज दर में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है। आम आदमी के लिए, इसका मतलब है कि हाउस लोन और कार लोन की दरों में फिलहाल किसी तरह का बदलाव होने की संभावना कम है। हालांकि नकदी बढ़ाने के लिए MPC ने SLR चौथाई परसेंट घटा दिया है। वहीं क्रेडिट पॉलिसी में दरों में बदलाव नहीं किया है। सेंट्रेल बैंक ने 2018-19 के लिए 7.4 प्रतिशत पर जीडीपी ग्रोथ रेट रहने का अनुमान बरकरार रखा है। समिति ने अगले वित्त वर्ष (2019-20) की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में जीडीपी ग्रोथ 7.5% रहने की भी उम्मीद जताई है। वहीं चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में महंगाई दर 2.7 से 3.2% रहने का अनुमान RBI ने जताया है।
ऐसे समझे रेपो और रिवर्स रेपो रेट को
RBI जिस दर पर अन्य बैंकों को कर्ज देता है उसे रेपो रेट कहा जाता है। बैंक ग्राहकों को इसी दर से लोन देता हैं। अगर रेपो रेट में कटौती होती है तो इसका फायदा ग्राहकों को भी मिलता है। अगर रेपो रेट बढ़ जाए तो ग्राहकों को मिलने वाले लोन की ब्याज दर भी बढ़ जाती है। हालांकि रेपो रेट बढ़ने या घटने के बाद ब्याज दरें में बदलाव करना है या नहीं इसका फैसला बैंक करता है। वहीं जिस रेट पर आरबीआई बैंकों को पैसा जमा करने पर ब्याज देता है उसे रिवर्स रेपो रेट कहा जाता है।
Created On :   5 Dec 2018 4:28 PM GMT