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- Vasorva-Bandra Sealink project cost hiked by 60 per cent to Rs 11,333 crore
परियोजना : वसोर्वा-बांद्रा सीलिंक परियोजना की लागत 60 फीसदी बढ़कर 11,333 करोड़ रुपये हुई

हाईलाइट
- वसोर्वा-बांद्रा सीलिंक परियोजना की लागत 60 फीसदी बढ़कर 11,333 करोड़ रुपये हुई
डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र सरकार की प्रमुख परियोजना, वसोर्वा बांद्रा सीलिंक की लागत 2019 में 6,993 करोड़ रुपये से 60 प्रतिशत बढ़कर 11,333 करोड़ रुपये हो गई है। पिछले चार वर्षो में लागत में 4,300 करोड़ रुपये से अधिक की भारी वृद्धि के बावजूद परियोजना पर बहुत कम प्रगति हुई है। यह परियोजना कानूनी पेचीदगियों में फंस गई है, क्योंकि कुछ पक्षों ने परियोजना को दी गई पर्यावरणीय मंजूरी को चुनौती दी है। मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है।
17.7 किमी की लंबाई वाली 7,000 करोड़ रुपये की परियोजना के 2023 तक तैयार होने की उम्मीद थी। परियोजना के लिए नोडल एजेंसी, महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (एमएसआरडीसी) ने अब इसे दिसंबर 2026 तक संशोधित किया है। वीबीएस परियोजना को मूल रूप से 2019 में एक निविदा प्रक्रिया के माध्यम से रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और इटली के एस्टैल्डी के एक संघ को प्रदान किया गया था।
रिलायंस - एस्टैल्डी जेवी 6,993 करोड़ रुपये की परियोजना लागत के साथ एल1 था, जबकि एल एंड टी और आईटीडी सीमेंटेशन क्रमश: 7,600 करोड़ रुपये और 7,300 करोड़ रुपये की लागत के साथ एल2 और एल3 थे। राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए) ने फरवरी 2017 में महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (एमएसआरडीसी) के पक्ष में पर्यावरण मंजूरी (ईसी) जारी की थी।
जुहू मोरागांव मछीमार विविध कार्यकारी सहकारी संस्था (जेएमएमवीकेएसएस) - जुहू में एक मछली श्रमिक समाज ने एनजीटी की पश्चिमी पीठ में सीलिंक को दी गई ईसी को चुनौती दी, जिसने अगस्त 2022 में याचिका को खारिज कर दिया। इसके बाद मामला हाईकोर्ट तक गया और हाईकोर्ट ने भी याचिका खारिज कर दी।
उसके बाद, एक अन्य याचिकाकर्ता ने एनजीटी में परियोजना को दी गई ईसी को चुनौती देते हुए इसी तरह की याचिका दायर की। एमएसआरडीसी ने अब एनजीटी के खिलाफ उसी मुद्दे को उठाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसे पहले ही उच्च न्यायालय और एनजीटी की पश्चिमी पीठ ने सुलझा लिया है।
सुप्रीम कोर्ट में तत्काल सुनवाई के लिए एमएसआरडीसी की याचिका का उल्लेख करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि अत्यधिक देरी के कारण परियोजना की लागत 11,333 करोड़ रुपये हो गई है। एमएसआरडीसी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार (17 मार्च) को सुनवाई करेगा।
सोर्सः आईएएनएस
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भोपाल: आईसेक्ट द्वारा डॉ. सी.वी. रामन विश्वविद्यालय में आयोजित किया गया फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम
डिजिटल डेस्क, भोपाल। आईसेक्ट द्वारा लर्निंग एंड डेवलपमेंट की पहल के तहत बिलासपुर छत्तीसगढ़ स्थित डॉ. सी.वी. रामन विश्वविद्यालय में "टीम बिल्डिंग, टाइम मैनेजमेंट और सॉफ्ट स्किल्स" विषय एक दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन किया गया। आईसेक्ट भोपाल की कॉर्पोरेट एचआर टीम इस अवसर पर बिलासपुर में उपस्थित रही और श्रीमती पुष्पा कश्यप की अध्यक्षता में टीम एचआर, बिलासपुर ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस इंटरैक्टिव सत्र में 80 से अधिक फैकल्टी सदस्यों ने अपनी पूरी भागीदारी के साथ भाग लिया। विशेषज्ञ प्रख्यात वक्ता श्रीमती गीतिका जोशी जो प्रबंधन और सॉफ्ट स्किल्स में एक कॉर्पोरेट ट्रेनर हैं, ने बात करते हुए टाइम मैनेजमेंट के कई टिप्स दिए और कार्यस्थल पर प्रोडक्टिव होने के तरीके बताए। श्री गौरव शुक्ला, डॉ. सीवीआरयू के रजिस्ट्रार और प्रो-वाइस चांसलर श्रीमती जयती मित्रा ने इस तरह के प्रशिक्षण के माध्यम से कर्मचारियों को अपस्किल करने में एलएंडडी/कॉर्पोरेट एचआर टीम के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कुछ अंतराल पर अपने तकनीकी और गैर-तकनीकी कर्मचारियों के लिए ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने का भी प्रस्ताव रखा। सीवीआरयू बिलासपुर के चांसलर श्री संतोष चौबे, आईसेक्ट के निदेशक डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी और आईसेक्ट विश्वविद्यालय समूह की निदेशक श्रीमती अदिति चतुर्वेदी ने कार्यक्रम की सफलता पर टीम सीवीआरयू और कॉर्पोरेट एचआर/एल एंड डी को बधाई दी।
भोपाल: रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में पांचवां वूमेन एक्सीलेंस अवॉर्ड
डिजिटल डेस्क, भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के वूमेन डेवलपमेंट सेल द्वारा 5वां वूमेन एक्सिलेंस अवार्ड का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि सुश्री अनुभा श्रीवास्तव (आईएएस), कमिश्नर, हैंडलूम एंड हैंडीक्राफ्ट विभाग, मध्य प्रदेश , विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ रूबी खान, डायरेक्टर, डायरेक्टोरेट आफ हेल्थ सर्विसेज, सुश्री रवीशा मर्चेंट, प्रिंसिपल डिजाइनर, ट्रीवेरा डिजाइंस, बट ब्रहम प्रकाश पेठिया कुलपति आरएनटीयू उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स, प्रो-चांसलर, आरएनटीयू एंड डायरेक्टर, आइसेक्ट ग्रुप आफ यूनिवर्सिटीज ने की।
इस अवसर पर सुश्री अनुभा श्रीवास्तव ने महिलाओं को अपनी बात रखने एवं निर्णय क्षमता को विकसित करने पर जोर दिया। महिलाओं को अपने व्यक्तिगत विकास की जिम्मेदारी लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने महिला सशक्तिकरण पर भी अपने विचार साझा किए। डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि हमारे जीवन में महिलाओं का एक अहं रोल होता है। चाहे वो रोल हमारी मां के रूप में हो या फिर बहन या पत्नी के रूप में। हमें हर रूप में महिला का साथ मिलता है। लेकिन ऐसा काफी कम होता है जब हम इन्हें इनके कार्य के लिए सम्मानित करते हैं। ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हमें यह अवसर देता है कि हम अपने जीवन की महिलाओं को उनके कार्यों और उनके रोल के लिए सम्मानित करें। इसी तारतम्य में आरएनटीयू पांचवां वूमेन एक्सीलेंस अवॉर्ड से इन्हें सम्मानित कर रहा है।
डॉ रूबी खान ने महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी जानकारी एवं अपने स्वास्थ्य का ध्यान कैसे रखें इसकी जानकारी दी। वहीं सुश्री रवीशा मर्चेंट ने महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त रहने एवं किसी भी परिस्थिति पर हार ना मानना एवं परिवार और काम में संतुलन बनाए रखने के विषय में विस्तृत जानकारी दी। डॉ ब्रम्ह प्रकाश पेठिया ने देश की बढ़ती जीडीपी में महिलाओं का अहम योगदान माना। उन्होंने बताया कि जल थल एवं हवाई सीमा में भी विशेष योगदान महिलाएं दे रही हैं।
कार्यक्रम में रायसेन और भोपाल जिले की शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को वूमेन एक्सीलेंस अवार्ड से नवाजा गया। साथ ही पूर्व में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेता महिलाओं को भी पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम के अंत में डॉ संगीता जौहरी, प्रति-कुलपति, आरएनटीयू ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संयोजन एवं समन्वयन नर्सिंग एवं पैरामेडिकल विभाग की अधिष्ठाता एवं महिला विकास प्रकोष्ठ की अध्यक्ष डॉ मनीषा गुप्ता द्वारा किया गया। मंच का संचालन डॉ रुचि मिश्रा तिवारी ने किया।
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