उत्तर प्रदेश की तकनीक-आधारित आजीविका परिवर्तन की धुरी बनीं महिला उद्यमी

लखनऊ (उत्तर प्रदेश), दिसंबर 19: उत्तर प्रदेश के झांसी ज़िले में कम उम्र में विवाह के बाद सुमन गौतम का जीवन संघर्षों से भरा रहा। सीमित संसाधन, आर्थिक तंगी और अवसरों की कमी उनकी रोज़मर्रा की सच्चाई थी।
महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़कर उन्होंने छोटे व्यापार शुरू किए, लेकिन आवागमन की समस्या उनकी सबसे बड़ी बाधा बनी रही। यहीं से उनकी ज़िंदगी ने नया मोड़ लिया—जब उन्होंने ई-रिक्शा चलाना सीखा।
सामाजिक मान्यताओं को चुनौती देते हुए सुमन ने न सिर्फ अपनी आमदनी बढ़ाई, बल्कि 30 गांवों में सैनिटरी पैड के वितरण का नेटवर्क खड़ा किया। आज वे एक सफल उद्यमी हैं और उनका सपना है कि और भी महिलाएं आर्थिक आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ें। सुमन की कहानी इस बात का उदाहरण है कि कैसे सही तकनीक महिलाओं के लिए नए अवसर खोल सकती है और उन्हें सीमाओं से आगे ले जा सकती है।
सुमन की यात्रा उत्तर प्रदेश में हो रहे एक बड़े बदलाव की झलक देती है—जहां सरकार, वित्तीय संस्थान, तकनीक विकसित करने वाले संगठनों, नागरिक समाज और महिला संस्थाओं के साझा प्रयासों से उद्यमिता का मजबूत इकोसिस्टम तैयार हो रहा है। ‘लखपति दीदी’ जैसी महत्वाकांक्षी सरकारी पहलें महिलाओं को केवल आजीविका तक सीमित नहीं रखतीं, बल्कि उन्हें स्थानीय आर्थिक परिवर्तन की अगुआ बनाती हैं।
विविध आजीविका विकल्पों, स्वच्छ तकनीकों और गैर-पारंपरिक क्षेत्रों तक पहुंच के ज़रिए महिलाएं अब छोटे स्तर से आगे बढ़कर टिकाऊ और विस्तार योग्य उद्यम खड़े कर रही हैं।
इसी कड़ी में 18 दिसंबर 2025 को ‘उत्तर प्रदेश में महिला-नेतृत्व वाली उद्यमिता को बढ़ावा देने हेतु आजीविका-केंद्रित तकनीकें’ विषय पर एक विशेष सम्मेलन और प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। यह आयोजन उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (UPSRLM), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के SEED प्रभाग, डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स (DA) और विज्ञान आश्रम (VA) के सहयोग से, इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान, लखनऊ में हुआ।
इस सम्मेलन में सरकार, तकनीक डेवलपर्स, महिला उद्यमियों और विषय विशेषज्ञों ने मिलकर इस बात पर चर्चा की कि कैसे उद्यम-तैयार तकनीकें राज्य भर में महिलाओं के व्यवसायों को बड़े स्तर पर आगे बढ़ा सकती हैं।
ऊर्जा, खाद्य प्रसंस्करण, जल एवं स्वच्छता, निर्माण सामग्री, अपशिष्ट प्रबंधन और कृषि जैसे क्षेत्रों में किफायती, स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल और विस्तार योग्य समाधानों पर विशेष फोकस रहा।
प्रदर्शनी में कई व्यावहारिक तकनीकी नवाचार प्रस्तुत किए गए, जिनमें SPRERI द्वारा विकसित बायोमास कुकस्टोव और सोलर फ्रिज, IIT बॉम्बे-RuTAG का सोलर हाइड्रो डिस्टिलर, RuKart का सब्ज़ी कूलर और किसान धरमबीर का मल्टी-पर्पज़ फूड प्रोसेसर शामिल थे। ये सभी तकनीकें स्थानीय ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए विकसित की गई हैं और मूल्य संवर्धन व उद्यम विस्तार की वास्तविक संभावनाएं दिखाती हैं।
कार्यक्रम में अपने अनुभव साझा करते हुए सुमन गौतम ने कहा,
“जब मैंने शुरुआत की थी, तब किसी को विश्वास नहीं था कि एक महिला ई-रिक्शा चला सकती है या व्यवसाय खड़ा कर सकती है। लेकिन तकनीक ने मुझे आज़ादी दी। ई-रिक्शा ने मुझे चलने की शक्ति दी और सैनिटरी पैड के व्यवसाय ने मुझे एक मकसद। आज मैं 30 गांवों में काम कर रही हूं, लेकिन मेरा सपना इससे कहीं बड़ा है। मैं चाहती हूं कि हर महिला यह जाने कि गरीबी स्थायी नहीं होती।”
कार्यक्रम में शामिल कई महिला उद्यमियों ने तकनीक-आधारित व्यवसाय खड़ा करने के अपने अनुभव साझा किए। इन चर्चाओं से साफ़ हुआ कि तकनीक तभी सफल होती है जब वह महिलाओं की वास्तविक चुनौतियों—जैसे समय की कमी, सीमित पूंजी, बाज़ार तक पहुंच और आवागमन—का समाधान करती है। साथ ही, किसी नवाचार को बड़े स्तर तक ले जाने के लिए वित्त, कौशल विकास, बाज़ार संपर्क और संस्थागत सहयोग का तालमेल बेहद ज़रूरी है।
मुख्य अतिथि श्रीमती दीपा रंजन, आईएएस, मिशन निदेशक, UPSRLM ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया और महिला उद्यमियों से संवाद करते हुए यह समझा कि इन तकनीकों को आजीविका कार्यक्रमों में कैसे प्रभावी रूप से जोड़ा जा सकता है। ‘नवाचारों का विस्तार और बाधाओं को तोड़ना’ विषय पर आयोजित Roundtable चर्चा में इस बात पर ज़ोर दिया गया कि केवल तकनीक पर्याप्त नहीं है—स्थायी बदलाव के लिए समग्र समर्थन तंत्र आवश्यक है।
यह आयोजन UPSRLM और DST के SEED प्रभाग के बीच सहयोग को और मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम रहा। TAP-RISE पहल के तहत समर्थित सामाजिक रूप से उपयोगी तकनीकों को ग्रामीण आजीविका संस्थाओं से जोड़ने के प्रयासों को गति मिली। तकनीक सत्रों और नेटवर्किंग चर्चाओं ने महिला संस्थाओं, तकनीक प्रदाताओं और सहयोगी संगठनों के बीच ठोस साझेदारियों की नींव रखी।
सुमन जैसी महिलाएं अब केवल अर्थव्यवस्था का हिस्सा नहीं हैं—वे उसे नई दिशा दे रही हैं। यह सम्मेलन इस बात का प्रमाण बना कि जब सरकार, विज्ञान, तकनीक और महिला उद्यमी साझेदारी में काम करते हैं, तो नवाचार केवल विचार नहीं रह जाते, बल्कि टिकाऊ आजीविका और समावेशी आर्थिक विकास में बदल जाते हैं।
प्रमुख वक्तव्य
श्रीमती दीपा रंजन, आईएएस, मिशन निदेशक, UPSRLM
“हमारा लक्ष्य लखपति दीदियों को उनकी मौजूदा सीमाओं से आगे ले जाकर Crorepati दीदी बनाना है। इसके लिए स्पष्ट दृष्टि और मज़बूत उद्यमी सोच ज़रूरी है। उत्तर प्रदेश में एक करोड़ से अधिक महिलाएं UPSRLM से जुड़ी हैं। डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा समर्थित किफायती तकनीकें महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने और टिकाऊ आजीविका स्थापित करने के लिए प्रेरित करती हैं।”
श्री जनमयजय शुक्ला, संयुक्त मिशन निदेशक, UPSRLM
“UPSRLM तकनीक-आधारित नवाचारी उद्यमों को बढ़ावा दे रहा है ताकि महिलाएं अपनी आय बढ़ा सकें और अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बनें। झांसी, मिर्ज़ापुर और सोनभद्र जैसे क्षेत्रों में लखपति दीदियों की सफलता यह दिखाती है कि अब Crorepati दीदी बनना भी संभव है। लक्ष्य सीमाएं नहीं होते—सही सोच के साथ उन्हें पार किया जा सकता है।”
श्रष्टांत पाटरा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स
“जब बदलाव की ज़रूरत को सही तरीके से पहचाना जाता है और उपयुक्त तकनीक से उसे संबोधित किया जाता है, तो वही तकनीक लोगों के बीच स्वीकृति पाकर तेज़ी से आगे बढ़ती है।”
डॉ. योगेश कुलकर्णी, कार्यकारी निदेशक, विज्ञान आश्रम
“टेक्नोलॉजी एक्सेलेरेशन प्लेटफॉर्म का उद्देश्य ग्रामीण नवाचार को बढ़ावा देना, सामाजिक उद्यमिता को मज़बूत करना और ऐसी तकनीकों को तेज़ी से आगे बढ़ाना है जो आजीविका को सशक्त बनाएं।”
कनिका वर्मा, एक्ज़ीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट, डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स
“वन मिलियन लाइवलीहुड मिशन ग्रामीण महिलाओं के जीवन में ठोस बदलाव ला रहा है। यह पहल महिलाओं को न केवल आत्मनिर्भर बनाती है, बल्कि एक उद्यम के ज़रिए कम से कम दो अन्य महिलाओं के लिए रोज़गार के अवसर भी पैदा करती है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था मज़बूत होती है।”
Created On :   20 Dec 2025 2:40 PM IST












