Mumbai News: बॉम्बे हाई कोर्ट से नासिक के वन विकास निगम में कार्यरत 25 कर्मचारियों को मिली बड़ी राहत

बॉम्बे हाई कोर्ट से नासिक के वन विकास निगम में कार्यरत 25 कर्मचारियों को मिली बड़ी राहत
  • अदालत ने लंबी कानूनी लड़ाई के बाद कर्मचारियों को नौकरी में स्थाई करने का दिया निर्देश
  • अदालत ने औद्योगिक न्यायाधिकरण और एकल पीठ के फैसले को रखा बरकरार

Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट से नासिक के वन विकास निगम में कार्यरत दर्जनों कर्मचारियों को बड़ी राहत मिली है। अदालत ने लंबी कानूनी लड़ाई के बाद उन्हें नौकरी में स्थाई करने का निर्देश दिया है और औद्योगिक न्यायाधिकरण के फैसले को बरकरार रखा है। अदालत ने कहा कि कर्मचारियों को न्यायाधिकरण द्वारा पारित आदेशों के सभी लाभ आठ सप्ताह के भीतर दिए जाएं। उन्होंने इतने सालों तक कष्ट झेला है। हम निगम के अनुरोध को स्वीकार नहीं कर सकते हैं।

न्यायमूर्ति जी. एस. कुलकर्णी और न्यायमूर्ति आरती साठे की पीठ ने नासिक के वन विकास निगम के प्रभागीय प्रबंधक की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि 31 जनवरी 1996 के सरकारी संकल्प के अनुसार लगातार पांच वर्षों तक 240 दिन की सेवा पूरी कर ली थी। प्रतिवादी कर्मचारियों को समान स्थिति में होने के बावजूद वही लाभ नहीं दिया गया। उनके पक्ष में कोई नीतिगत फैसला नहीं लिया गया। इसलिए वे पहले ही औद्योगिक न्यायालय के साथ-साथ हाई कोर्ट की एकल पीठ के समक्ष भी सफल हुए और वर्तमान कार्यवाही लंबित थी। दुर्भाग्य से राज्य सरकार ने पहले की अवधि में समान स्थिति वाले कर्मचारियों के लिए विपरीत रुख अपनाने के बावजूद इन अपीलों का विरोध करने का फैसला किया।

पीठ ने कहा कि हमारी राय में सरकार के लिए इन कार्यवाही में प्रतिवादियों के पक्ष में इसी तरह का नीतिगत फैसला लागू करना उचित होता। हमें याचिकाकर्ता की ओर से दिए गए इस तर्क में भी कोई दम नहीं लगता कि औद्योगिक न्यायालय और एकल पीठ ने इस मुद्दे को उचित रूप से नहीं समझा है। स्वीकृत पद न होने के कारण औद्योगिक न्यायालय द्वारा निर्देशित कोई नियमितीकरण नहीं हो सकता था। हमारी राय में इंडस्ट्रियल कोर्ट और साथ ही एकल न्यायाधीश की पीठ के लिए यह विचार करना अनिवार्य था कि कोई स्वीकृत पद नहीं था, यह कहना गलत है।

क्या था पूरा मामला

25 कर्मचारियों को वन विकास निगम द्वारा वर्ष 1977 से 1992 की अवधि के दौरान चौकीदार के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने साल दर साल 240 से अधिक दिन पूरे कर लिए थे। इसलिए याचिकाकर्ता 240 से अधिक दिन पूरे करने वाले कर्मचारियों की सेवाओं को नियमित करने के लिए बाध्य था, क्योंकि वे कई वर्षों से दैनिक मजदूरी पर कार्यरत थे।

कानून में स्थापित स्थिति को देखते हुए वे स्थायी होने के लाभों और उन लाभों के हकदार थे, जो निगम के स्थायी कर्मचारियों को दिए जाते हैं। निगम ने उन्हें स्थाई करने से इनकार किया, तो उन्होंने औद्योगिक न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और हाई कोर्ट की एकल पीठ ने उनकी स्थाई नियुक्ति की औद्योगिक न्यायालय के फैसले की पुष्टि की। निगम ने एकल पीठ के फैसले को हाई कोर्ट की डबल पीठ के समक्ष चुनौती दी थी।

Created On :   26 Dec 2025 9:18 PM IST

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