नागपुर: घुलनशील वायु कम होने से हुई मछलियों की मौत, मौसम में बदलाव है मुख्य कारण

घुलनशील वायु कम होने से हुई मछलियों की मौत, मौसम में बदलाव है मुख्य कारण
  • विशेषज्ञों का दावा-अचानक मौसम में बदलाव मुख्य कारण
  • फुटाला समेत जिले में अनेक स्थानों पर मत्स्यसंवर्धन विभाग करेगा उपाययोजना

डिजिटल डेस्क, नागपुर. शहर के फुटाला तालाब समेत जिले के ग्रामीण भागों में मछलियों की मौत का मामला प्रकाश में आया है। मत्स्यसंवर्धन विभाग और पर्यावरण विशेषज्ञों का दावा है कि अचानक मौसम में बदलाव, तेज धूप से जलस्त्रोत में घुलनशील वायु कम होने से मछलियों की मौत हो रही है। ऐसे में अब मत्स्यसंवर्धन विभाग से मछलियों की मौत को लेकर सर्वेक्षण कर उपाययोजना करने की जानकारी दी गई है।शनिवार को फुटाला तालाब में मछलियों की मौत होने का खुलासा हुआ है।

मौसम बदलाव का असर

जितेश केशवे, मत्स्यसंवर्धन तकनीकी अधिकारी, मत्स्योद्योग विभाग के शहर में फुटाला तालाब के साथ ही जिले के ग्रामीण भागों में भी मछलियों की मौत की वारदात सामने आई है। अचानक से गर्मी और तेज धूप बढ़ने से घुलनशील वायु कम होने और गैसजन्य स्थिति बनने से मछलियों की निम्न वर्धा समेत कई अन्य स्थानों पर मौत हुई है। इस मामले में जल्द ही सर्वेक्षण किया जाएगा।

गंभीर उपाययोजना जरूरी

काैस्तुभ चटर्जी, संस्थापक, ग्रीन विजिल फाऊंडेशन के मुताबिक सामान्य तौपर तेज धूप से पानी के स्तर में ऊमस बढ़ने के चलते घुलनशील वायु का स्तर भी घटता है। ऐसे में खाद्य आहार को लेने ऊपरी स्तर पर आने से मछलियों की धूप और उमस से मौत हो जाती है, लेकिन फुटाला के मामले में दो अन्य कारण भी शामिल हैं। ऐसे में मनपा और मत्स्यसंवर्धन विभाग को तत्काल उपाययोजना करना चाहिए।

दिवालिया की कगार पर हैं 550 मच्छीमार संस्थाएं

उधर राज्य में 550 मच्छीमार सहकारी संस्थाएं दिवालिया होने की कगार पर (लिक्विडेेशन) होने से ढिवर समाज में जबरदस्त रोष है। इन संस्थाआें को अवसायन मंे जाने से नहीं रोकने का आरोप सरकार पर है। सरकार से नाराज ढिवर समाज पूर्व विदर्भ में अपनी ताकत का एहसास सरकार को कराना चाहता है। महाराष्ट्र राज्य मच्छीमार सहकारी संघ के संचालक पूर्व न्या. चंद्रलाल मेश्राम ने चेताया कि समाज के लोग बुधवार से पूर्व विदर्भ में सरकार के खिलाफ आंदोलन करेेंगे।

टूटी संस्थाओं की कमर

नागपुर, भंडारा, गोंदिया, गड़चिरोली, चंद्रपुर व वर्धा में बड़ी संख्या में ढिवर समाज है। सरकार की तरफ से 5-5 साल के लिए मच्छीमार सहकारी संस्थाओं को तालाब लीज पर दिए जाते हैं। सरकार ने अपनी नीति में बदलाव करते हुए तालाबों की लीज में निजी लोगों को भी शामिल कर दिया। तालाबों में निजी लोगों खासकर व्यापारियों का दखल बढ़ने से ढिवर समाज का प्रतिनिधित्व बहुत कम हो गया है। एक-एक कर 550 मच्छीमार संस्थाएं दिवालिया होने की कगार पर (लिक्विडेशन) हैं। मसंघ का संचालक मंडल अब किसी काम का नहीं रहा। इसीतरह पहले एक सोसायटी के कार्यक्षेत्र में दूसरी सोसायटी नहीं होती थी। इसमें बदलाव होने से भी संस्थाओं की कमर टूट गई है।

दो बार बुलाई मीटिंग रद्द हुई

राज्य के वन, सांस्कृतिक व मत्स व्यवसाय मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने इस मुद्दे पर दो बार चंद्रपुर में मीटिंग बुलाई और दोनों बार मीटिंग रद्द हो गई।

सरकार के विरोध में सड़क पर उतरेंगे

पूर्व न्या. चंद्रलाल मेश्राम, संचालक महाराष्ट्र राज्य मच्छीमार सहकारी संघ के मुताबिक मच्छीमार सहकारी संस्थाओं को बचाने के लिए सरकार ने कोई मदद नहीं की। सरकार की नीतियों के कारण संस्थाएं दिवालियेपन की कगार पर हैं। तालाब निजी हाथों में दिए जा रहे हैं। इसका समाज पर बहुत विपरीत असर हुआ है। समाज में भयंकर नाराजी है। दो बार बैठक बुलाकर रद्द की। समाज के लोगों की बैठक हुई और सरकार के विरोध में सड़क पर उतरने का निर्णय हुआ है। बुधवार 10 अप्रैल से समाज की नाराजी सड़क पर दिखाई देगी।



Created On :   8 April 2024 2:26 PM GMT

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