Nagpur News: लकड़ी ई-नीलामी प्रक्रिया में भारी अनियमितता का आरोप

लकड़ी ई-नीलामी प्रक्रिया में भारी अनियमितता का आरोप
  • अधिकारी मिलीभगत कर प्रक्रिया को बना रहे असफल
  • हाई कोर्ट ने वन विभाग से मांगा स्पष्टीकरण

Nagpur News राज्य के वन विभाग द्वारा लकड़ी और अन्य वन उत्पादों की बिक्री के लिए हर महीने होने वाली ई-नीलामी प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं का मामला सामने आया है। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में दायर एक जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि अधिकारियों की मिलीभगत से ई-नीलामी को जानबूझकर असफल बनाया जा रहा है, ताकि अपारदर्शी तरीके से होने वाली खुली (स्पॉट) नीलामी को बढ़ावा दिया जा सके।

सरकार को लग रहा करोड़ों का चूना : इस अवैध कृत्य से न केवल सरकारी राजस्व को करोड़ों रुपये का चूना लग रहा है, बल्कि पर्यावरण को भी भारी नुकसान हो रहा है। अदालत ने इस मामले में वन सचिव, प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वन विकास निगम को नोटिस जारी कर दस सप्ताह में स्पष्टीकरण देने के निर्देश दिए हैं।

अधिकारी बन रहे बाधक : एड. अरविंद मून ने इस संबंध में जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका पर शुक्रवार को न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति रजनीश व्यास की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई। याचिका के अनुसार, राज्य सरकार ने 2011 के ई-गवर्नेंस नीति के अनुसार तथा 2014 की अधिसूचना के अनुसार ई-नीलामी को अनिवार्य किया है, फिर भी पिछले कुछ वर्षों से वन अधिकारियों द्वारा ई-नीलामी प्रक्रिया में बाधाएं डाली जा रही हैं।

कम दाम में बेचने का उल्लेख : लकड़ियों की अतार्किक रूप से अधिक ‘आरक्षित मूल्य’ (न्यूनतम बिक्री कीमत) निर्धारित कर ई-नीलामी में माल नहीं बिका यह दिखाया जाता है। उसके बाद वही माल बहुत कम दर पर खुले नीलामी में बेचा जाता है। कई मामलों में ई-नीलामी में 1 से 1.5 लाख रुपये के ‘आरक्षित मूल्य’ वाले बिक्री लॉट खुले नीलामी में आधे से भी कम कीमत पर बेचे जाने के उदाहरण याचिका में उल्लेख किए गए हैं।

लकड़ी माफिया को पहुंचाते लाभ : याचिकाकर्ता का दावा है कि नियमों के अनुसार न बिका माल फिर कम दर पर ई-नीलामी में लाना बंधनकारक होने के बावजूद, उसे सीधे खुली नीलामी में ले जाया जाता है। खुली नीलामी में ‘आरक्षित मूल्य’ घोषित नहीं किया जाता, बोली प्रक्रिया पारदर्शी नहीं होती तथा स्थानीय लकड़ी व्यापारियों व ‘टिंबर माफिया’ को लाभ पहुंचाने वाली व्यवस्था की जाती है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. निर्भय चव्हाण ने पक्ष रखा।

स्टॉक जमा, फिर भी पेड़ों की कटाई : वर्तमान में विभिन्न लकड़ी डिपो में 150 से 300 करोड़ रुपये का न बिका लकड़ी का स्टॉक जमा है, फिर भी नए पेड़ों की कटाई जारी है, यह गंभीर मुद्दा भी याचिका में उठाया गया है। साथ ही, याचिकाकर्ता ने न्यायालय से ई-नीलामी प्रक्रिया को सख्ती से लागू करने के आदेश, सभी खुली नीलामी पर तत्काल रोक, संबंधित अधिकारियों के खिलाफ जांच एवं अनुशासनात्मक कार्रवाई तथा जमा लकड़ी बिकने तक नई पेड़ कटाई रोकने के निर्देश देने की मांग की है।


Created On :   20 Dec 2025 8:03 PM IST

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