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बॉम्बे हाईकोर्ट: गृह मंत्रालय के सेवानिवृत्त उप मुख्य श्रम आयुक्त केंद्रीय को नहीं मिली राहत
- अदालत ने सीबीआई द्वारा पेश हलफनामा को माना सही
- भ्रष्टाचार के आरोप से गृह मंत्रालय के सेवानिवृत अधिकारी को बरी करने से किया इनकार
डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने भ्रष्टाचार के मामले में गृह मंत्रालय के सेवानिवृत्त अधिकारी को लेकर अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने गृह मंत्रालय के सेवानिवृत्त उप मुख्य श्रम आयुक्त (केंद्रीय) श्यामलेन्दु कुमार दास को रिश्वतखोरी के मामले से बरी करने से इनकार कर दिया है। अदालत ने विशेष सीबीआई अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें आरोपी दास के खिलाफ सीबीआई के पेश सबूतों के सही माना गया है। न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की एकलपीठ के समक्ष श्यामलेन्दु कुमार दास की ओर से वकील डॉ.अभिनव चंद्रचूड़ की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। पीठ ने सीबीआई द्वारा याचिकाकर्ता के खिलाफ पेश हलफनामे को सही मानते हुए उसे रिश्वतखोरी के मामले से बरी करने से इनकार कर दिया और उसकी याचिका को खारिज कर दी। पीठ ने माना कि गृह मंत्रालय को मुंबई में उप मुख्य श्रम आयुक्त (केंद्रीय) के पद पर कार्यरत रहे 64 वर्षीय श्यामलेन्दु कुमार दास अन्य कर्मचारियों के साथ भ्रष्टाचार की गतिविधियों में लिप्त होने की सूचना मिली थी। जिसके आधार पर गृह मंत्रालय के सचिव द्वारा 9 मार्च और 17 मार्च 2018 को याचिकाकर्ता दास के दो मोबाइल नंबरों के फोन काल को इंटरसेप्ट किया और सीबीआई को इसकी जानकारी दी थी। सीबीआई ने 20 अप्रैल 2018 को ट्रैप लगाकर याचिकाकर्ता दास को गिरफ्तार किया और उनके पास से रिश्वत की रकम बरामद हुई। कंपनी के कर्मचारी प्रदीप विश्वकर्मा के बैग से रिश्वत की रकम पहुंचाने के बाद जारी लाइसेंस जारी करने का आरोप है। गृह मंत्रालय ने दास को निलंबित कर दिया था। हालांकि अदालत ने उन्हें 2 मई 2018 को जमानत मिल गई थी। सीबीआई ने जांच पूरी होने के बाद याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। सीबीआई ने इस मामले में दास के अलावा आरोपी मुकुल गर्ग, आशीष अग्रवाल और प्रदीप विश्वकर्मा को भी आरोपी बनाया था।
क्या था पूरा मामला
कोलाबा के मेसर्स सोम प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड ने एक परियोजना शुरू की थी और वह कंपनी के दो कर्मचारी लाइसेंस को जारी करने के लिए उप मुख्य श्रम आयुक्त (केंद्रीय) दास से संपर्क किया। दास ने अपने कर्मचारियों के माध्यम से 1 लाख 20 हजार रुपए रिश्वत की मांग की। रिश्वत की रकम तीन किस्तों में देनी तय की गई थी, जिसमें पहले 70 हजार रुपए और बाद में 30 हजार रुपए और 20 हजार रुपए देना था।
Created On :   8 Sept 2024 9:27 PM IST