वन्यजीव: तेजी से बढ़ रही बाघों की संख्या , बोर में बाघों के लिए बढ़ाया जंगल का दायरा

तेजी से बढ़ रही बाघों की संख्या , बोर में बाघों के लिए बढ़ाया जंगल का दायरा
  • नागपुर प्रादेशिक का कुछ हिस्सा जोड़ा गया
  • लगभग 8 हजार 800 हेक्टेयर क्षेत्र बढ़ा
  • बाहर से आने वाले बाघ भी रह जाते हैं यहीं

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विदर्भ के बोर टाइगर रिजर्व में तेजी से बाघों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन जंगल का दायरा छोटा है। ऐसे में अब वन विभाग ने नागपुर प्रादेशिक का कुछ हिस्सा बोर टाइगर रिजर्व में जोड़ दिया है। कोंढाली व हिंगना का का कुछ क्षेत्र इसमें जोड़ा गया है। इससे बोर को लगभग 8 हजार 800 हेक्टेयर जंगल ज्यादा मिल गया है।

संघर्ष की स्थिति टालने की कवायद : विदर्भ का बोर टाइगर रिजर्व नागपुर जिले से जुड़ा है। इसमें बोरधरण, न्यू बोर, कवडस, बांगडापुर, हिंगणी वाइल्ड लाइफ व नागपुर का कुछ क्षेत्र आता है। यहां पूरे जंगल का दायरा 138 किमी तक था, लेकिन बाघों की संख्या 14 पर पहुंच गई थी। जानकारों के अनुसार एक बाघ के लिए 20 से 25 किमी का दायरा जरूरी है, लेकिन दायरा कम होने से यहां के बाघ 10 किमी के भीतर ही घूम पा रहे थे। इसके अलावा बाहर आने वाले बाघ भी यहीं रह जाते हैं। ऐसे में बाघों में आपसी संघर्ष की स्थिति हमेशा पैदा हो जाती है। इसमें कई बार बाघ घायल हो जाते हैं। कई बार तो चोट गंभीर रहने पर कमजोर बाघ की मौत भी हो जाती है। कई बार हारने वाला बाघ क्षेत्र की तलाश में जंगल के बाहर निकल जाता है और वह इंसानों के इलाकों में पहुंच जाता है और तब मानव वन्यजीव संघर्ष की स्थिति पैदा हो जाती है। ऐसे में वन विभाग ने हाल ही में इससे नागपुर प्रादेशिक का कुछ हिस्सा जोड़ दिया है। बता दें कि नागपुर प्रादेशिक का कुछ हिस्सा पेंच व्याघ्र प्रकल्प से भी जोड़ा गया है। देवलापार व पवनी का लगभग 1000 हेक्टेयर क्षेत्र पेंच से जोड़ा गया है।

जामठा के रिहायशी इलाके में लगेंगे कैमरे : बुधवार को जामठा के रूई में एक बाघ का शव सड़ी हुई अवस्था में मिलने के बाद से परिसर में खलबली मच गई है। यह रिहायशी इलाका है, यहां बड़ी-बड़ी इमारते हैं। ऐसे में यहां और भी बाघों की मौजूदगी है या नहीं ? यह जानने के लिए वन विभाग यहां कैमरा ट्रैप लगा रहा है।

लोगों की सुरक्षा का सवाल : बुधवार को वन विभाग को जानकारी मिली थी कि उपरोक्त परिसर में एक बाघ मृत अवस्था में पड़ा है। वन विभाग की टीम घटनास्थल पर पहुंची। सड़-गली अवस्था में बाघ का शव मिला। यह परिसर जंगली क्षेत्र से दूर है, ऐसे में बाघ का परिसर में मृतावस्था में मिलना कई सवालों को खड़ा कर रहा है। हालांकि बाघ के सभी अंग साबूत रहने से इसके शिकार से इनकार किया जा रहा है। ऐसे में बाघ की मौत बीमारी से होने की आशंका व्यक्त की जा रही है, लेकिन यहां तक बाघ का आना परिसर में और भी बाघों की मौजूदगी के संकेत दे रहा है। इस कारण वन विभाग ने यहां लोगों के एक दो प्लॉट पर ट्रैप कैमरे लगाये हैं, जिसकी मदद से कुछ दिनों तक परिसर में नजर रखी जाएगी। यदि यहां अन्य कोई बाघ हुआ तो तुरंत सतर्कता बरती जाएगी।

नहीं मिले दो नाखून : बाघ का शव पूरी तरह से सड़ जाने से इसके अंग दूर पड़े थे। ऐसे में कर्मचारियों ने सभी को ढूंढ निकाला, लेकिन बाघ के दो नाखून नहीं मिले हैं।

फारेंसिक जांच के लिए सैंपल लिए : बाघ की मौत का कारण स्पष्ट करने के लिए सैंपल लिए गए हैं, जिसे हैदराबाद के लैब में भेजा जाएगा।

Created On :   22 March 2024 10:59 AM GMT

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