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सूख गए 11 हजार पौधे, अफसर अनजान
डिजिटल डेस्क छतरपुर । जुलाई माह में प्रदेश भर में चले पौधरोपण महा अभियान के तहत छतरपुर जनपद में जो साढ़े सत्रह हजार पौधे लगाए गए थे, उनमें से 11 हजार पौधे सूख गए हैं। पौधों की यह दुर्दशा देखरेख के अभाव और पौध रक्षकों के साथ अफसरों की उदासीनता के चलते हुई है। इस तरह इस मदके करोड़ों रूपये पानी में चले गए । अभियान के दौरान छतरपुर जनपद की 134 ग्राम पंचायतों में पीपल, बरगद सहित फलदार और छायादार पौधे रोपे गए थे। रोपे गए 17,500 पौधों के रखरखाव के लिए सभी पंचायतों में पौंध रक्षकों को भी तैनात किया गया था। इनकी जिम्मेदारी थी कि वे प्रति दिन रोपित किए गए पौधों को पानी देने के साथ उनकी देखभाल भी करेंगे। लेकिन गांव और शहर में
खुले में क्या, स्कूल परिसरों और ग्रा पंचायत भवनपरिसर में रोपे गये पौधे भी सूख कर नष्ट हो गये। गौरिहार में पंच ने खोली अभियान की पोल गौरिहार। ग्राम पंचायत के वार्ड क्रमांक-18 के पंच वीरेंद्र सिंह यादव ने पौध रोपण अभियान की पोल खोलते हुए बताया कि जुलाई में गड्ढे करवाने के बाद सरपंच पति ने पौधे नहीं लगवा। यही नहीं कोने में पड़े पौधों के सूख जाने के बाद उनको फेंक दिया गया। ग्राम विकास एवं सुरक्षा समिति के अध्यक्ष भूपेंद्र यादव ने बताया कि सरपंच पति रामसेवक अहिरवार ने हमारी समिति को गत जुलाई में पौधे लगाने की जिम्मेदारी दी थी। उनके द्वारा रेवना रोड में आनंदी आरख के घर से भूराने बाबा के मन्दिर तक करीब 1 किमी एवं खड्डी रोड में सरवई तिराहा से पालों के पुरवा तककरीब 1 किमी में 20-25 फुट के अंतराल में जेसीबी से गड्ढे खोदे गए थे। हमने 50-60 पौधे लगवाए भी थे, लेकिन उनके द्वारा हमे कोई राशि नहीं दी गई। सुरक्षा और देखरेख के अभाव में लगाये गये पौधे सूख कर नष्ट हो गए।
मानदेय देने से किया किनारा
मानदेय देने से तो अफसरों और पंचायत के रखवालों ने पूरी तरह से कन्नी काट ली। क्योंकि इसके निर्देश मौखिक थे, लिखित नहीं। इस वजह से पौध रक्षकों ने जब-जब मानदेय की बात उठाई तो अफसरों ने यह कहते हुए किनारा कर लिया कि इसके लिये अभी बजट नहीं आया है। न बजट मिलना था और न ही इसके लिये जनपद व प्रचायतस्तर पर कोई व्यवस्था की गई। नतीजन मानदेय मिला नहीं। पौधों के रक्षक घर बैठ गये और 17,500 में से 11,000 पौधे सूख गये।
पौधे सूखे तो फेंसिंग ही गायब हो गई
रोपे गये पौधे मवेशियों का चारा न बन जाएं, इसके लिये लाखों रुपए खर्च कर इनकी फेंसिंग भी कराई गई थी। पहले देखरेख के अभाव में पौधे सूखे और पौधे
सूखते ही अनेक स्थानों से फेंसिंग में लगाये गये तार तक पार कर दिये गये। रनगुवां, इकारा, जुवार पहाड़ी, हिम्मतपुरा, चौका आदि क्षेत्रों में तार फेंसिंग गायब हाोते ही जो कुछ पौधे जीवित थे, वे भी रातों-रात गायब हो गये।
यूँं बनी दूरी और हरे भरे पौधों को लग गया ग्रहण
पौधो की रक्षा के लिये तैनात कियेगये पौध रक्षकों को मानदेय दिया जाना था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इस बावत निर्देश देते हुए अधिकारियों को भी पौधों की रक्षा कीजिम्मेदारी सौंपी थी। बताया जाता है कि मानदेय की प्रत्याशा में शुरुआत में तो पौध रक्षकों ने उत्साह दिखाया लेकिन मानदेय मिलता न देख इनका उत्साह भी ठंडा पड़ गया और अभियान से दूरी बना ली। रही अफसरों की बात तो जब तक पौधों की खरीदी और वितरण के साथ फेंसिंग का काम चला, ये रुचि लेते रहे। बाद में कोई यह झांकने तक नहीं गया कि पौधों को पानी भी दिया जा रहा है या नहीं।
इनका कहना है
व् पौधरोपण अभियान के तहत छतरपुर जनपद में साढ़े 17 हजार पौंधों का रोपण किया गया था। रोपित पौधों में से कुछ पौधे सूख गए हैं। तार फेंसिंग कुछ जगह से गायब होने की भी सूचना मिली है। पौधों को बचाने के लिए समय समय पर पौधों में पानी देने का काम किया जा रहा है। रही मानदेय की बात तो इसके कोई आदेश हमें नहीं मिले। पंचायतों को ही अपने स्तर पर व्यवस्था करनी थी।
पुरूषोत्तमदास शुक्ला, उपयंत्री मनरेगा , जनपद छतरपुर
Created On :   1 Feb 2018 8:24 AM GMT