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गोधन पूजा पर चरवाहे को कुचलते हुए दौड़ती हैं 150 गायें
डिजिटल डेस्क, भंडारा। दीपावली त्यौहार के बलिप्रतिपदा के दिन गौधन पूजन का विशेष महत्व है। ऐसे में जिले के मोहाड़ी तहसील में पिछले डेढ़ सौ साल से परंपरानुसार बलिप्रतिपदा के दिन गौधन पूजन के अवसर पर लगभग 150 गायों का झुंड एक चरवाहे को कुचलते हुए आगे दौड़ता हंै। प्रतिवर्ष की परंपरा को कायम रखते हुए इस वर्ष भी बलिप्रतिपदा के दिन शुक्रवार, 5 नवंबर को गौधन पूजा के बाद बैंड-बाजे के साथ रैली निकाली गई। जिसके बाद ग्राम जांभोरा निवासी चरवाहा विनायक सुरेश परतेकी(34) के शरीर के ऊपर से लगभग 150 गायों का झुंड दौड़कर गुजर गया, लेकिन चरवाहे को जरा सी भी चोट नहीं लगी। दिल-दहला देनेवाले इस रोमांचक गौंवश की दौड़ को देखने के लिए भंडारा जिले सहित दूरदराज से नागरिक बड़ी संख्या में पहुंचे थे। इस संबंध में चरवाहा विनायक सुरेश परतेकी ने बताया कि हमारे पूर्वजों से यह परंपरा चली आ रही हैं, जिसे कायम रखना हमारा कर्तव्य हैं। गौमाता के कारण हम जीवित है। उसका कर्ज चुकाने के लिए हम गौमाता के चरणों में स्वयं को समर्पित करते हैं। इसमें कुछ भी गलत नहीं है और न ही यह अंधश्रध्दा का मामला हंै। गांववासी बताते है कि तहसील के जंगल पहाड़ियों में बसे जांभोरा गांव की आबादी लगभग 4 हजार के करीब होकर गांव में सभी जाति-धर्म के लोग भाईचारे के साथ रहते हैं। गांव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती होकर पशुपालन करते हैं। सभी के मवेशियों को मिलाने पर 150 से 200 गाय की संख्या है। गांव में रहनेवाले परतेकी परिवार द्वारा पीढ़ी दर पीढ़ी से मवेशियों को चराने का काम किया जा रहा हैैं। 150 वर्ष पूर्व परतेकी परिवार द्वारा जमीन पर लेटकर शरीर के ऊपर से गायों को दौड़ाने की परंपरा शुरू की गई है। सर्वप्रथम गांव की सभी गायों का स्नान कराया जाता है। उसके िसंगों काे रंगरोगन कर गायों को सजाया जाता है। इस समय गाय को चावल की खीर का भोग लगाने के उपरांत संपूर्ण गोधन की बैंड-बाजे के साथ रैली निकाली जाती है। जिसके बाद मुख्य चौराहे के भ्रमण करने के उपरांत चरवाहे को जमीन पर लेटाया जाता है और सभी गौवंश चरवाहे के शरीर के ऊपर से दौड़कर गुजरते हंै।
Created On :   6 Nov 2021 7:24 PM IST