पेयजल योजना के 2 करोड़ लेप्स, नाले का पानी पी रहे ग्रामीण

2 crore of Drinking water scheme lapsed, villagers drinking drain water
पेयजल योजना के 2 करोड़ लेप्स, नाले का पानी पी रहे ग्रामीण
पेयजल योजना के 2 करोड़ लेप्स, नाले का पानी पी रहे ग्रामीण

डिजिटल डेस्क सीधी। शासन द्वारा स्वीकृत 10 नलजल योजनाओं में से 5 के ही कार्य पीएचई विभाग द्वारा कराए जा सके हैं। विभागीय लापरवाही के चलते 5 नलजल योजना के 94.12 लाख रूपए लेप्स हो चुके हैं। इसके अलावा  हैण्डपंप उत्खनन के 9.22 लाख, संधारण के 30.40 लाख और बंद पड़ी योजनाओं को चालू करने के लिए स्वीकृत बजट में 23.65 लाख रूपए लेप्स हुए हैं। विभाग इसके बाद भी सक्रियता नही दिखा पा रहा है। 

जिले में जहां लोग पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं वहीं विभागीय अधिकारियों की लापरवाही से विभिन्न योजनाओं के लिए प्राप्त बजट लेप्स हो रहा है। जानकारी के अनुसार शासन द्वारा 10 नलजल योजना के लिए 2 करोड़ 95 लाख 56 हजार रूपए दिए गए थे जिसमें विभाग द्वारा केवल 5 नलजल योजनाओं का ही कार्य कराया जा सका है। शेष कार्य न हो पाने के कारण 94.12 लाख रूपए लेप्स हो गए हैं। इतना ही नहीं विभाग को हैण्डपंप उत्खनन के लिए 200 का लक्ष्य दिया गया था जिसमें 186 का उत्खनन कराया गया शेष बची राशि 9.22 लाख लेप्स हो गई है।

हैण्डपंप संधारण के लिए कुल 2 करोड़ 61 लाख 27 हजार रूपए का बजट मिला था जिसमें से 30 लाख 40 हजार रूपए खर्च नहीं हो पाए हैं। जिले में बंद पड़ी 30 नलजल योजनाओं को चालू करने के लिए 41 लाख का बजट मिला था जिसमें 23 लाख 65 हजार लेप्स हुए हैं। नवीन नलजल योजनाओं के शुरू करने के अलावा अन्य योजनाओं के लिए मिली राशि में से कुल 1 करोड़ 57 लाख रूपए लेप्स हुए हैं। बता दें कि पिछले कई वर्षों से पीएचई विभाग के कार्य को लेकर जिले के जनप्रतिनिधि भी असंतोष जाहिर कर चुके हैं। प्रशासन द्वारा भी लगातार हिदायतें दी जा रही हैं किंतु इसके बाद भी विभागीय गतिविधियां तेज नही हो सकी हैं। जिम्मेवार अधिकारी मातहतों से न तो काम ले पा रहे हैं और न ही खुद लक्ष्यपूर्ति कर पा रहे हैं। यही वजह है कि शासन से राशि मिलने के बाद भी खर्च नहीं हो पा रही है उल्टा वापस हो रही है। 

नाले का पी रहे पानी 
जिले के लोगों को पेयजल सुविधा उपलब्ध कराने के लिए 19 हजार से अधिक का हैण्डपंप उत्खनित किया जा चुका है लेकिन इसके बाद भी गर्मी के महीनों में लोगों को बूंद-बूंद पानी के लिए परेशान होना पड़ता है। हैण्डपंपों का संधारण न हो पाने के कारण जरूरत के दिनों में हैण्डपंप हवा उगलने लगते हैं या फिर खराब होकर शो-पीस बन जाते हैें। पेयजल संकट के कारण ही बाद में लोगों को नदी नाले का सहारा लेना पड़ता है। कुसमी अंचल के पोंड़ी पंचायत चिट्टा टोला व जकीरा टोला में आदिवासी नाले का पानी  पी रहे हैं। गांव में स्थित कुण्ड के चारों ओर पनिहारों की भीड़ लगी रहती है। पेयजल की दूसरी सुविधा न होने के कारण आदिवासी अंचल के लोगों को काफी परेशान होना पड़ रहा है। 

हैण्डपंप खनन का कार्य धीमा 
सांसद, विधायक मद से स्वीकृत हैण्डपंपों के खनन का कार्य अत्यंत धीमा चल रहा है। एक तो जनप्रतिनिधियों ने हैण्डपंप खनन के  लिए कम राशि दी है और जितनी स्वीकृति दी है उतने भी हैण्डपंप नही खोदे जा रहे हैं। जनप्रतिनिधियों द्वारा वर्तमान में गांव-गांव टैंकर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि पेयजल की समस्या पर टैंकर के जरिए गांव के लोगों को सरपंच-सचिव द्वारा पानी उपलब्ध कराया जाएगा। लेकिन अधिकांश टैंकर सरपंचों के घर की शोभा बढ़ा रहे हैं। पेयजल की समस्या के चलते ही लोग हैण्डपंप खनन की मांग करते देखे जा रहे हैं। 

 

Created On :   8 May 2018 7:49 AM GMT

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