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कुपोषण से 10 महीनों में 265 शिशुओं की मौत, शासन की योजनाएं विफल
डिजिटल डेस्क छतरपुर । शासन प्रशासन द्वारा एक तरफ कुपोषण रोकने करोड़ों रूपए खर्च किया जा रहा है। जबकि जमीनी हकीकत ये है कि पोषण सिर्फ कागजों में चल रहा है। जिले में कुपोषण के आंकड़े इस बात के गवाह है कि सरकारी तंत्र इसे रोकने में पूरी तरह असफल साबित हो रहा है। सबसे अहम सवाल यह है कि इस प्रकरण से जुड़े विभाग की मुखिया जिले की विधायक एवं राज्यमंत्री ललित यादव है जिन्हें अभी यह भी नहीं मालूम जिले में कुपोषण कितने खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है। जिला अस्पताल में जनवरी 2017 से अक्टूबर माह 2017 तक 2126 कुपोषित बच्चे भर्ती किये गए। जिसमें से अब तक 265 मौते सरकारी आंकड़े में दर्ज है। जबकि इसके विपरीत गैर सरकारी आंकड़े इससे दो गुना बताई जा रहे है। जो मासूम कुपोषित बच्चे अस्पताल की दहलीज तक नहीं पहुंच पाये ओर काल के गाल समा गये।
क्या कहते है दस माह के आंकड़े
जनवरी 2017 के अनुसार एसएनसीयू प्रभारी डॉ. शैलेन्द्र बरूआ ने जानकारी देते हुये बताया है कि जनवरी माह में मेल 105, फीमेल 73 जिसमें 24 की मौत हुई है। फरवरी मेल 100, फीमेल 55 में से 23 की मौत हो गई है। मार्च माह में मेल 112, फीमेल 55 में से 23 की मौत। अप्रैल माह में मेल 151, फीमेल 66 में से 30 की मौत। मई माह में मेल 147, फीमेल 80 में से 28 की मौत नवजात शिशुओं की मौत। इसी प्रकार जून माह में मेल 149, फीमेल 91 में से 24 की मौत हो गई है। जुलाई माह में मेल 151, फीमेल 90 में से 35 की मौत। अगस्त माह में मेल 163, फीमेल 95 में से 41 नवजात शिशुओं की मौत। सितम्बर माह में मेल 168, फीमेल 66 में से 17 की मौत। इसी प्रकार से अक्टूबर माह में मेल 131 और फीमेल 78 में से 20 नवजात शिशुओं की मौत हो गई है।
क्या है 265 बच्चों की मौत होने की वजह
जिले में कुपोषण के कारण हो रही बच्चों की मौत होने पर सवालियां निशान खड़े हो रहे है। जानकारी यह भी दी गई है कि बच्चो में जन्म से ही कुपोषण पनपने से मौत हो जाती है। इसके साथ ही प्रशासन द्वारा गर्भपात के दौरान महिलाओं को नियमानुसार पोषण अहार दिया जाये तो कुपोषण बच्चों की शिकायत बहुत कम मिल सकती है। लेकिन प्रशासन की लापरवाही के चलते जिले में प्रतिमाह के आंकड़ों के अनुसार 25 से 30 प्रतिशत नवजात शिशुओं की मौते हो रही है। लेकिन प्रशासन पूरी तरह से आंख बंद किये बैठा हुआ है।
एसएनसीयू की व्यवस्था पर उठते सवाल
जिला अस्पताल में एसएनसीयू विभाग में स्टॉफ की कमी और मन्टीलेटर की वजह से आये दिन बच्चों की मौते हो रही है। इस प्रकार से लोगों द्वारा तरह तरह के सवाल उठाये जा रहे है। जिला अस्पताल के एसएनसीयू की व्यस्थाओं को लेकर जिले से दो मंत्रियों पर आये दिन आरोप लगाये जाते है। एसएनसीयू वार्ड में बच्चों के इलाज को लेकर सभी व्यवस्थाओं में कमी होने के कारण आज भी बच्चों की मौते होना जारी है।
राज्यमंत्री ने नहीं दिया जबाव
कुपोषण से मासूमों की मौत के मामले में जब छतरपुर विधायक एवं महिला बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमति ललिता यादव से बात की गई एवं पूंछा गया कि आपके जिले में कुपोषण से मौत के आंकड़े दिन व दिन बढ़ते जा रहे है तो उन्होंने कहां मैं कार्यक्रम में हूं आप से बाद में बात करूंगी। इसके बाद लगातार भास्कर द्वारा उससे बात करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने कॉल रिसीब भी नहीं किया।
Created On :   15 Nov 2017 1:09 PM IST