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1074 किमी पैदल चलकर अहमदाबाद से हरपालपुर पहुंचे3 युवक, पैरों से बह रहा खून
डिजिटल डेस्क हरपालपुर । बुंदेलखंड में रोजगार से जुड़ी सभी सरकारी योजनाएं दम तोड़ देती हैं। रोजगार के लिए यहां के लोगों को पलायन करना मजबूरी है। हाड़तोड़ मेहनत करने के बाद भी इनके साथ घोर अन्याय होता है। इसकी बानगी कोरोना वायरस के प्रभाव में देखने को मिली। कई साल से जिन फैक्टरियों में बुंदेलखंड के मजदूर काम कर रहे थे, कोरोना वायरस के लॉकडाउन के बाद मालिकों ने इन मजदूरों को एक पल में ही हटा दिया। अब न रहने के लिए छत थी और न भोजन का ठिकाना। इस कारण जिले के हजारों मजदूरों ने पैदल ही अपने घर के लिए निकलना उचित समझा। जीवन बचाने की जद्दोजहद में ये मजदूर पैदल ही अपने गांवों की ओर भागे। सैकड़ों और हजारों किमी की पैदल यात्रा कोई सामान्य काम तो नहीं है। इसके बाद भी वे चल रहे हैं और चल रहे हैं। ऐसे ही तीन ग्रामीण अहमदाबाद से अपने गांव चित्रकूट जिले के कलावनी खुर्द पहाड़ी के लिए 26 मार्च को चल पड़े। उन्हें अंदाजा भी नहीं था कि वे आखिर अपने गांव पैदल पहुंच भी पाएंगे कि नहीं। लेकिन इन युवाओं ने रात-दिन मेहनत करके 7 दिन में 1074 किमी का पैदल सफर कर डाला। आखिरकार इनके पैरों ने जवाब दे दिया। हरपालपुर पहुंचते-पहुंचते इनके पैर अब एक कदम चलने लायक भी नहीं बचे। तलवों की त्वचा फफोलों में बदल गई है। अंगुलियों में घाव हो गए हैं। हरपालपुर पहुंचने पर इन्होंने बताया कि उन्होंने दो दिन से कुछ भी नहीं खाया है। आखिरकार समाजसेवी संस्था ने उन्हें खाने के लिए भोजन दिया और रेलवे स्टेशन में विश्राम की व्यवस्था कराई है, अब आगे की यात्रा ये युवक पैदल नहीं कर पाएंगे। प्रशासन इनके इंतजाम एवं घर पहुंचने में लगा हुआ है। ये तीनों युवक कुल दो ही दिन अहमदाबाद में काम कर पाए कि लाक डाउन के कारण वापस लौटना पड़ा।
पैरों के घाव देखकर सबका मन हो जाता है विचलित
अहमदाबाद से हरपालपुर तक 1074 किमी का पैदल सफर करने वाले राजाराम, अवधेश और महेश के पैरों में छाले और घाव इतने भयावह हैं कि इन्हें देखकर सभी का मन विचलित हो उठता है। इनके तलवों में बड़े-बड़े छाले हो गए हैं। पैरों की अंगुलियों में घाव हैं। हरपालपुर की श्रीराम सेवा समिति के सदस्यों ने उन्हें भोजन देने के बाद रेलवे स्टेशन पर रुकने की व्यवस्था की है। इनके घाव देखकर लगता है कि वे आगे का सफर पैदल नहीं कर पाएंगे, लेकिन तीनों युवाओं में जोश हैं, वे कहते हैं चाहे जो हो जाए। वे अपने गांव पहुंचेंगे और अब गांव में ही काम करेंगे। बाहर नहीं जाएंगे।
एक दिन में 130 किमी पैदल सफर किया
शुक्रवार की दोपहर तीन युवा हरपालपुर पहुंचे। इनके पैर खून से लथपथ थे। भूख और प्यास के कारण वे ठीक से बोल भी नहीं पा रहे थे। लॉकडाउन के दौरान इस तरह जब इन युवाओं को लोगों ने देखा तो उन्हें ढांढस बंधाया और पीने के लिए पानी दिया। इस पर इन युवाओं ने बताया कि वे चित्रकूट जिले के कलावनी खुर्द पहाड़ी गांव के निवासी हैं। 30 वर्षीय अवधेश के साथ उनके अन्य दो साथ महेश और राजाराम हैं। इन तीनों ने बताया कि बेरोजगारी से परेशान होकर वे 20 मार्च को अहमदाबाद मजदूरी करने पहुंचे थे। दो दिन भटकने के बाद उन्हें अहमदाबाद की एक स्टील बर्तन बनाने की फैक्टरी में काम मिल गया। वे केवल दो दिन ही मजदूरी कर पाए कि कोरोना वायरस के चलते 24 मार्च को देश लॉकडाउन हो गया। फैक्टरी बंद हो गई। वे घर से जो रुपए लेकर गए थे उसमें से कुछ खर्च हो गए थे और जो बचे थे उन्हें ही लेकर वे 26 मार्च को अहमदाबाद से अपने गांव कलावनी खुर्द पहाड़ी के लिए पैदल निकल पड़े। राजाराम बताता है कि चूंकि अहमदाबाद में वे केवल चार दिन ही रुके हैं, इस कारण रुकने और खाने का कोई स्थाई ठिकाना नहीं बन पाया था। उनके पास वहां से पैदल चलने के अलावा कोई दूसरा उपाय ही नहीं था। वे पिछले सात दिन से लगातार चल रहे हैं। उन्होंने एक दिन में 130 किमी का पैदल सफर किया है। अभी चित्रकूट तक का सफर और भी पूरा करना है।
Created On :   4 April 2020 3:34 PM IST