सीहोर में कठपुतली से विज्ञान एवं तकनीकी संचार पर 5 दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ सीहोर जिले के 55 प्रतिभागी ले रहे हैं कार्यशाला में भाग

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सीहोर में कठपुतली से विज्ञान एवं तकनीकी संचार पर 5 दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ सीहोर जिले के 55 प्रतिभागी ले रहे हैं कार्यशाला में भाग

डिजिटल डेस्क, सीहोर। शहर में आज से शुरू हुई कठपुतली के माध्यम से विज्ञान संचार कार्यशाला में प्रतिभागियों को कठपुतली के माध्यम से विज्ञान, तकनीक एवं जनजागरूकता के मुद्दों पर बेहतर संचार और संवाद की कला सिखाई गई। कार्यशाला का शुभारंभ जिले के डीपीसी अनिल श्रीवास्तव ने किया। इस अवसर पर शिक्षा विभाग के सांख्यिकीय अधिकारी एचएस निमजे, स्वास्थ्य विभाग के जिला मीडिया समन्वयक शैलेष कुमार शैल, जिला कम्युनिटी मोबिलाइजर विंध्यवासिनी कुशवाह, अध्यापक बीएल मालवीय, विशेषज्ञ सुनील जैन तथा सर्च एंड रिसर्च डलवमपेंट सोसायटी की अध्यक्ष डा. मोनिका जैन तथा सचिव डॉ. अनिल सिरवैयां उपस्थित थे। इस पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन सर्च एंड रिसर्च डवलपमेंट सोसायटी भोपाल द्वारा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से किया जा रहा है। कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए डीपीसी श्री अनिल श्रीवास्तव ने कहा कि यह जानना रोचक है कि कठपुतली के माध्यम से किस तरह लोगों को जोड़ा जा सकता है तथा किस तरह जन-जागरूकता के विषयों का प्रचार-प्रसार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कठपुतली कला प्राचीन भारत में मनोरंजन का सषक्त माध्यम था। उन्होंने कहा कि लोक संचार के साधन भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखते हैं। आज पूरी दुनिया कोरोना महामारी का सामना कर रही है और ऐसे में जन-जागरूकता के लिए लोक संचार के साधन का महत्व और बढ़ जाता है। उन्होंने प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि सीहोर में इस आयोजन को एक अवसर के रूप में लें और पूरी लगन से कठपुतलियों को बनाकर संचार की कला को सीखें। इससे पहले सर्च एंड रिसर्च डवलपमेंट सोसायटी की अध्यक्ष डॉ.. मोनिका जैन ने कार्यशाला में अगले पांच दिनों की गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पूर्व राष्ट्रपति और देश केमहान वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की प्रेरणा से सोसायटी विज्ञान की अलख जगाने का कार्य कर रही हैं। लोकसंचार के माध्यमों इसे सबसे ज्यादा प्रभावी हैं। उन्होंने कार्यशाला के उद्देश्यों की विस्तार से जानकारी दी। उपाध्यक्ष डॉ. राजीव जैन ने बताया कि विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में कार्य करते हुए आज सोसायटी को दस वर्ष पूर्ण हो गए हैं। गुब्बारे और रद्दी का उपयोग कार्यशाला के पहले दिन विषय विशेषज्ञ सुनील जैन ने प्रतिभागियों को ग्लब्स पपेट (कठपुतली) बनाने का प्रशिक्षण दिया। प्रतिभागियों को गुब्बारे और रद्दी अखबार से ग्लब्स पपेट का बेस तैयार करना सिखाया। प्रतिभागियों ने पूरे उत्साह के साथ के इस काम को पूरा किया। इस दौरान श्री भटनागर ने प्रतिभागियों के सवालों के जवाब भी दिए। कठपुतली बनाने के लिए सामग्री सोसायटी द्वारा उपलब्ध कराई गई। सर्च एंड रिसर्चड डवलपमेंट सोसायटी के सचिव डॉ.अनिल सिरवैयां ने प्रतिभागियों से कहा कि वे विज्ञान संचार केवल जन-जागरूकता तक सीमित नहीं है। एक बेहतर विज्ञान संचारक के रूप में आप इस क्षेत्र में अपना कॅरियर भी बना सकते हैं। उन्होंने बताया कि भारत के ग्रामीण अंचलों में व्याप्त कुरीतियों और अध्ंाविश्वासों को दूर करने और आम जन में वैज्ञानिक सोच विकसित करने के लिए विज्ञान संचारकों की महत्वपूर्ण भूमिका है लेकिन देश में विज्ञान संचारकों की बड़ी संख्या में कमी है। यदि प्रतिभागी विद्या में निपुण होते हैं वे इसे अपनी आजीविका का साधन भी बना सकते हैं। उन्होंने बताया कि कठपुतली जैसे लोक संचार माध्यमों में दक्ष और प्रशिक्षित कर्मियों के लिए मीडिया, पब्लिसिटी एवं विज्ञापन के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। कार्यशाला में सीहोर जिले के शासकीय-अशासकीय कॉलेज एवं स्कूलों के शिक्षक, विद्यार्थी, आंगनबाड़ी-आशा कार्यकर्ता, कलाकर एवं लेखक भाग ले रहे हैं। कार्यशाला के दूसरे शुक्रवार को चमत्कारों की वैज्ञानिक व्याख्या की जाएगी। इसमें देश भर में तथाकथित लोगों द्वारा किए जा रहे विभिन्न चमत्कारों जैसे आग खाना, पानी गायब करना, हवा में उड़ना का प्रदर्शन कर उनके पीछे छिपे वैज्ञानिकों तथ्यों को बताया जाएगा ताकि प्रतिभागी इसके माध्यम से आमजन को अंधविश्वासों से मुक्ति पाने के लिए जागरूक कर सकें।

Created On :   20 Nov 2020 9:46 AM GMT

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