- Home
- /
- राज्य
- /
- मध्य प्रदेश
- /
- छतरपुर
- /
- 56 मिनट की डॉक्यूमेंट्री में सहेजी...
56 मिनट की डॉक्यूमेंट्री में सहेजी गई बुंदेली इतिहास और संस्कृति
डिजिटल डेस्क, छतरपुर। मध्य प्रदेश के सबसे प्राचीन धुबेला म्यूजियम में संग्रहित पुरातत्व धरोहर में इतिहास को एक नई दृष्टि से देखा गया है। न केवल यहां की स्थापत्य, बल्कि संस्कृति व लोक जीवन को 56 मिनट की डॉक्यूमेंट्री में बेहद सरल ढंग से प्रस्तुत किया गया है। दिल्ली की एक संस्था द्वारा तैयार की गई, इस डॉक्यूमेंट्री में महाराजा छत्रसाल से लेकर उनके उत्तराधिकारियों तक के इतिहास तक का फिल्मांकन किया गया है। डॉक्यूमेंट्री में आवाज दी है छतरपुर में रहने वाली वागीशा द्विवेदी ने। इसे इतिहास में गहरी रुचि रखने वाले लोगों द्वारा सराहा जा रहा है।
म्यूजियम देखते ही प्रेरणा मिली दिल्ली
यूनिवर्सिटी की छात्रा रहीं वागीशा द्विवेदी जिला पंचायत सीईओ हर्ष दीक्षित की पत्नी हैं। वे बताती हैं कि धुबेला देखने से पहले तक उनकी बुंदेलखंड के इतिहास में अधिक रुचि नहीं थी। धुबेला म्यूजियम को देखने के बाद उन्होंने महसूस किया कि बुंदेलखंड का इतिहास बेहद समृद्ध है, इसे नई पहचान दिए जाने के लिए प्रयास किए जाना चाहिए। इतिहास पंडित डॉ. बहादुर सिंह परमार, पुरातत्व संग्रहालय भोपाल के उप अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र यादव के सहयोग और मार्गदर्शन में तैयार इस डॉक्यूमेंट्री का प्रमोशन किया जा चुका है और इसे इतिहास में गहरी रुचि रखने वाले लोगों द्वारा सराहा जा रहा है।
धुबेला एक प्रासंगिक इतिहास
म्यूजियम में संग्रहित पुरातत्व धरोहर में इतिहास को एक नई दृष्टि से देखा गया है। वागीशा द्विवेदी ने धुबेला एक प्रासंगिक इतिहास के रूप में डॉक्यूमेंट्री की पटकथा तैयार की और आवाज दी। उन्होंने इस डॉक्यूमेंट्री में केवल सीधे-सीधे ऐतिहासिक घटनाओं को प्रस्तुत न करते हुए, इसके माध्यम से स्मारकों की स्थापत्य और शिल्प का बारीकी से चित्रण किया गया है। महारानी कमलापति, राजा सभा सिंह, महाराजा छत्रसाल सहित तमाम छतरियों के निर्माण में देश काल और परिस्थितियों के साथ बुंदेली इतिहास, संस्कृति, कला, स्थापत्य सहित समाज के विभिन्न रंगों को भी बखूबी चित्रित किया गया है।
Created On :   29 Jun 2018 2:11 PM IST