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रीवा: किसानों को सोयाबीन की फसल को कीट व्याधि से बचाने की सलाह
डिजिटल डेस्क, रीवा। रीवा लगातार वर्षा तथा मौसम में हो रहे परिवर्तन के कारण सोयाबीन की फसल पर कीट व्याधि का प्रकोप हो सकता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद तथा भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान द्वारा किसानों को सोयाबीन की फसल को कीट व्याधि से बचाने की सलाह दी गई है। इस संबंध में किसानों को बताया गया है कि सोयाबीन की फसल में तना मक्खी तथा गर्डल बीटल का प्रकोप हो सकता है। इसका प्रकोप होने पर पौधे सूखने लगते हैं। इसके उपचार के लिए किसान बीटासायफ्लूथ्रिन इमिडाक्लोप्रिड 360 मीटर मिलीलीटर दवा का घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें। सोयाबीन की फसल में फली लगने की स्थिति में इल्लियों का भी प्रकोप हो सकता है। इसकी रोकथाम के लिये लेम्बडासायहेलोथ्रिन दवा का 300 मिलीलीटर का घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर अथवा इन्डोक्साकार्ब दवा का 333 मिलीलीटर घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें। फसल में यदि नीला भृंग कीट का प्रकोप दिखाई दे तो उसकी रोकथाम के लिये क्विनलाफॉस 1500 मिलीलीटर दवा का घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें। किसान फसलों की नियमित देख-रेख करते रहें। फसल में किसी भी तरह के कीट का प्रकोप होते ही अपने क्षेत्र के कृषि विस्तार अधिकारी से सम्पर्क करके उचित कीट प्रबंधन करायें।
Created On :   7 Sept 2020 2:19 PM IST