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साक्ष्य बनकर न्यायालय पहुंचे बांके बिहारी और राधारानी, मजिस्ट्रेट ने किया परीक्षण
2009 में पृथ्वीपुर के प्राचीन बांके बिहारी मंदिर से चोरी हुई थीं मूर्तियां, बरामदगी के बाद प्रतिमाओं को पुजारी की सुपुर्दगी में रखा गया था
डिजिटल डेस्क निवाड़ी/पृथ्वीपुर । न्यायालयों में पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को गवाह बनते तो सबने देखा होगा, लेकिन निवाड़ी के न्यायालय में लोग तब रोमांचित हो गए, जब बांके बिहारी और राधा रानी की प्रतिमाएं साक्ष्य बनकर पहुंचीं। प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट आरएस दोहरे ने मूर्तियों का परीक्षण किया। इस दौरान बताया गया कि 2009 में पृथ्वीपुर के प्राचीन बांके बिहारी मंदिर से मूर्तियों की चोरी हुई थीं। बरामदी के बाद प्रतिमाओं को बृजेंद्र पुजारी की सुपुर्दगी में रखा गया था। दरअसल, पृथ्वीपुर के बांके बिहारी मंदिर से 2009 में मूर्तियों की चोरी की गई थी। इसकी रिपोर्ट थाना पृथ्वीपुर में दर्ज की गई थी। एक दिन में ही चोरी का खुलासा हो गया था। इसके बाद चारों मूर्तियों की बरामदगी के बाद चोरों के नाम पुलिस ने उजागर कर दिए थे। यह प्रकरण व्यवहार न्यायालय निवाड़ी में चला और चारों आरोपियों को तीन-तीन साल की सजा सुनाई गई थी। जिसकी अपील एडीजे कोर्ट न्यायालय में चल रही थी। यह केस एडीजे कोर्ट से रिवाइंड होकर प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट आरएस दोहरे के न्यायालय में चलाया गया। मंगलवार को बांके बिहारी और राधा रानी की प्रतिमाओं को साक्ष्य के तौर पर न्यायालय में ले जाया गया। यह नजारा देखने के लिए न्यायालय परिसर में सैकड़ों लोगों की भीड़ जुट गई। प्रतिमाओं को जब न्यायालय में लाया गया। उस समय बांके बिहारी और राधारानी का दरबार देखते ही बन रहा था। दोनों प्रतिमाएं वरमाला, मुकुट और वैजंयती माला पहनकर पहुंचे, साथ ही सिंहासन और छत्र लगाया गया। मुख पर बांसुरी धारण किए हुए बांके बिहारी को देखकर लोगों ने जयकारे लगाए। मजिस्ट्रेट आरएस दोहरे ने मूर्तियों का परीक्षण किया। इसके बाद न्यायालय ने कानूनी प्रक्रिया पूर्ण की।
प्रतिमाएं चोरी होने से लोगों में बढ़ गया था आक्रोश
पृथ्वीपुर स्थित बांके बिहारी का मंदिर प्राचीन है। नगर के गर्ल्स हायर सेकंडरी स्कूल के पीछे स्थित मंदिर में सालों से लोग पूजा-अर्चना करने जाते हैं। स्थानीय लोग शादियों में सबसे पहले भगवान बांके बिहारी के लिए प्रसाद का थाल लेकर पहुंचते हैं। इसके बाद ही शादी की रस्म शुरू किया जाता है। साल 2009 में मंदिर से प्रतिमाएं चोरी हो जाने के बाद लोगों में आक्रोश बढ़ गया था। इसके चलते पुलिस ने तत्काल खोजबीन शुरू कर आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इस मामले में आरोपियों को सजा भी हो चुकी है।
शिकायत-मंदिर में कर सकते थे पुष्टि
न्यायालय के आदेश पर जैसे ही सुबह से प्रतिमाओं को कोर्ट ले जाने की तैयारी शुरू हुई तो स्थानीय लोगों में नाराजगी दिखी। लोगों ने कहा कि अगर प्रतिमाओं की पुष्टि ही करना है तो मंदिर में आकर भी प्रक्रिया की जा सकती हैं। न्यायालय ले जाने से पहले प्रतिमाओं की विधि विधान से पूजा-अर्चना की गई। कोर्ट में जैसे ही प्रतिमाएं पहुुंचीं तो मजिस्ट्रेट ने प्रणाम किया। इसके बाद आगे की कार्रवाई हुई।
कानूनी प्रक्रिया
वर्ष 2009 में बांके बिहारी के मंदिर से राधा कृष्ण की मूर्तियां चोरी हुई थीं। यह प्रकरण कोर्ट में है। उक्त प्रकरण में मंदिर की मूर्तियां साक्ष्य के रूप में प्रदर्शित होने के लिए न्यायालय लेकर गए थे। न्यायालय द्वारा साक्ष्य ग्रहण कर मूर्तियों को यथास्थान रखने का आदेश दिया गया है। यह एक कानूनी प्रक्रिया है। साक्ष्य के रूप में प्रदर्शित होने के लिए प्रतिमाओं को ले जाया गया।
-विकास गर्ग, एडीपीओ, निवाड़ी
Created On :   9 Jan 2020 2:05 PM IST