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कागजों में ओडीएफ हो गया शहर, खुले में शौच जाने को मजबूर हैं लोग
डिजिटल डेस्क छतरपुर । छतरपुर नगर पालिका को भले ही खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया गयाहो, लेकिन ओडीएफ की जमीनी हकीकत कुछ और ही बया कर रहीं है। । भास्कर टीम की पड़ताल में यह बात सामने आई है, कि नगर पालिका ने कागजों में लोगों के घरो में शौचालय का निर्माण कर दिया है। जबकि शहर की अधिकांश बस्तियों में रहने वाले लोग आज भी खुले में शौच करने के लिए जा रहे है। ऐसे में नगर पालिका के ओडीएफ को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे है।
यहां तो सर्वे तक नहीं हुआ छुही खदान क्षेत्र में रह रहे लोगों का कहना है। कि उनके घरों में टायलेट बनाने के लिए आज तक नगर पालिका द्वारा सर्वे तक नहीं किया गया। यहा रहे रहे लोगों का कहना है, की उनहोने घर में टायलेट का निर्माण कराये जाने के लिए कई बार आवेदन दिया लेकिन आवेदन में कोई सुनवाई नहीं हुई।
जमीनी हकीकत ने खोली दावों की पोल -जमीनी हकीकत जानने के लिए जब वार्ड क्रमांक 17 और 31 के छुही खदान के पास रहने वालों के बीच टीम पहुंची तो जमीनी हकीकत कुछ और ही सामने आयी। छुही खदान में रहने वाली शियाप्यारी अहिरवार मुकुंदे कुशवाहा के घर में टायलेट नहीं है। यहा पर रहने वाले दर्जनों लोग टायलेट न होने की वजह से खुले में टायलेट जाने के लिए मजबूर है।
ओडीएफ पर उठ रहे सवाल
नगर परिषद को ओडीएफ घोषित करने के बाद ओडीएफ को लेकर तरह तरह के सवाल उठने लगे है। लोगों का कहना है, कि शहर की कई बस्तियों में लोगों के पास
टायलेट बनाने की जगह होने के बाद भी टायलेट नहीं बनाये जा रहे है। और परिषद क्षेत्र को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है। गौरतलब है कि वार्ड क्रमांक 31 में करीब एक दर्जन और वार्ड क्रमांक 17 में दो दर्जन लोगों के घरों में शौचालयन नहीं है। इतने लोगों के पास शौचालय न होने के बाद भी किस आधार पर ओडीएफ किया गया है। समझ से परे है। सौकड़ो घरो में नहीं है टायलेट छतरपुर में सौकड़ो ऐसे रहवासी मकान है, जहा पर टायलेट नहीं है। नगर परिषद क्षेत्र में दो सौ से ज्यादा एसे आवास है। जहा पर शौचालय नहीं बने हुए है। शौचालय विहीन इन सभी दो सौ घरों में टायलेट बनाये जाने के लिए परिषद के पास डिमांड भी पहुंची है। लेकिन अभी तक डिमांड में विचार नहीं किया गया है। खुले में जाने को मजबूर जिन घरो में शौचालय का निर्माण अभी तक नहीं हुआ है। उन घरों के रहवासी
खुले में शौच के लिए जाने को मजबूर है। इन लोगों का कहना है, शौचालय न होने की वजह से खुले में शौच जाने के लिए मजबूर है। इनकी मजबूरी के लिए सीधे तौर से परिषद के अधिकारी जिम्मेदार है। शौचालय के गड्ढ़़े खोद कर भूलें वार्ड क्रमांक 17 के दुर्गा कालोनी में रह रहे लोगों के घरो में टायलेट बनाने के लिए गडढ़़े तो खोद दिये गए लेकिन गडढ़़े खोदने के बाद परिषद के अधिकारी शौचालय बनवाना भूल गए। लोगों का कहना है, कि शौचालय निर्माण के लिए जो सहायता राशि शासन से मिलनी चाहियें वह राशिा न मिलने की वजह से शौचालयों का निर्माण नहीं हो पा रहा है।
Created On :   4 Jan 2018 1:26 PM IST