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सीएम की घोषणा बेअसर : कालरी प्रबंधन लोगों को आवास से बेदखल करने पर अड़ा
डिजिटल डेस्क अनूपपुर । वर्ष 2016 सितंबर माह में लोक सभा उप चुनाव से पूर्व राज्य के अंतिम छोर में स्थित ग्राम पंचायत बनगवां में आमसभा के दौरान कालरी क्षेत्र में निवासरत लोगों को संबोधित करते हुए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की थी कि कालरी प्रबंधन की भूमि पर निवासरत लोगों को बेघर नहीं किया जाएगा और साथ ही उन्हें उनके निवासरत स्थलों का भू-अधिकार प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा। बनगवां, डूमरकछार और डोला ग्राम पंचायत के लगभग 2200 परिवार कालरी प्रबंधन की भूमि पर आवास सामंजस्य बिठाते हुए लोगो को भूमि से बेदखल नहीं किया। निवासरत लोगों को चिन्हांकित कर भू-अधिकार प्रमाण पत्र जारी किया। इसी बीच 6 नवंबर 2017 को वनमंडलाधिकारी कार्यालय से महाप्रबंधक एसईसीएल को नोटिस जारी कर लीज की भूमि पर स्थाई निर्माण नहीं कराए जाने व वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत आवास निर्माण नहीं कराए जाने का उल्लेख करते हुए माइनिंग लीज भूमि को संरक्षित करने का निर्देश दिया गया। जिसके बाद से सीएम की घोषणा के बाद भी कालरी प्रबंधन ने कब्जेदारों को नोटिस बांटना प्रारंभ कर दिया है।
104 पीएम आवास स्वीकृत, 40 पूर्ण
सीएम की घोषणा के बाद राजस्व महकमे ने 765 परिवारो ंको भू-अधिकार प्रमाण पत्र वितरित कर दिए इनमें से 104 की भूमि पर पीएम आवास स्वीकृत हुए जिनमें से 40 के कार्य पूर्ण भी हो गए। वहीं 64 का पीएम आवास निर्माणाधीन है। इन सभी 104 परिवारों को भी कालरी प्रबंधन द्वारा अपना स्थाई निर्माण हटाने की नोटिस जारी की गई है। नोटिस के बावजूद पीएम आवास का निर्माण कार्य प्रारंभ है। भू-अधिकार प्रमाण पत्र और नोटिस भी
ग्राम पंचायत बरगवां में निवास करने वाले उत्तम सेन पिता एनसी सेन को 2 जुलाई 2017 को तहसील न्यायालय से प्रकरण क्रमंाक 26/3 के निर्णय में सर्वेक्षण संख्यांक/भू-खंड क्रमंाक 93 /1/1 में 18 वर्ग मीटर का अधिकार दिया गया। वहीं दूसरी तरफ 5 दिसंबर 2017 को कालरी प्रबंधन द्वारा उत्तम सेन गुप्ता को वन भूमि में अवैध निर्माण कार्य रोकने और हटाने की नोटिस दे दी गई है। कालरी प्रबंधन ने अब तक 600 लोगों को नोटिस जारी कर दी है।
प्रबंधन दे रहा वन महकमे का हवाला
सीएम की घोषणा और भू-अधिकार प्रमाण पत्र के बावजूद कालरी प्रबंधन द्वारा भूमि पर कब्जेदारों को नोटिस जारी करने के पीछे वन मंडलाधिकारी वन मंडल अनूपपुर के पत्र क्रमांक/ माचि/ 2017/4767 दिनांक 6 नवंबर 2017 का हवाला दे रहे हैं जिसमें स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत भारत सरकार पर्यावरण वन मंत्रालय द्वारा भूमिगत कोयला उत्खनन तथा उपरितल पर आवास निर्माण एवं अन्य उपसंगीय निर्माण के लिए सशर्त स्वीकृति जारी की गई है किंतु इस भूमि पर पक्के आवास का निर्माण कराया जा रहा है जो अनुबंध और अधिनियम का उल्लघंन है। इसी पत्र के बाद कालरी प्रबंधन ने नोटिस बांटने का सिलसिला प्रारंभ कर दिया।
नियमों के फेर में उलझन
राजस्व महकमे ने 765 परिवारों को भू-अधिकार प्रमाण पत्र जारी कर दिए हैं। इसे पीछे वह वन महकमे से इस भूमि को डी नोटिफाई होने के बाद राजस्व महकमे को मिल जाना बतला रहे हैं जबकि दूसरी ओर वन महकमा ऐसे किसी भी आदेश व नोटिफिकेशन की जानकारी नहीं होने की बात कह वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत माइनिंग लीज की भूमि के विरूपण पर रोक लगाने के लिए कालरी प्रबंधन को नोटिस दिए जाने की बात कह रहा है।
इनका कहना है।
वन विभाग द्वारा नोटिस दी गई है जिसके परिपालन में कब्जेदारों को नोटिस दी जा रही है।
रघुनाथ सोनवंशी, उप क्षेत्रीय प्रबंधक राजनगर आरओ
यदि कालरी प्रबंधन द्वारा ऐसा किया जा रहा है तो मैं पूरे मामले का परीक्षण कराता हूॅ।
मिलिन्द्र नागदेवे, एसडीएम कोतमा
वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत माइनिंग शर्तो के अनुबंध के अनुरूप नोटिस दी गई है, वन भूमि के डीनोटिफाई होने की कोई जानकारी नहीं है।
श्रीमती प्रियांशी सिंह राठौड़, वन मंडलाधिकारी
Created On :   23 Jan 2018 1:45 PM IST