एलोवेरा की खेतीके नाम पर बैंक से अनुबंध कराया,  किसानों का आरोप ,उनको ठगा गया 

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 एलोवेरा की खेतीके नाम पर बैंक से अनुबंध कराया,  किसानों का आरोप ,उनको ठगा गया 

डिजिटल डेस्क छतरपुर । छतरपुर जिले के सैकड़ों किसान उद्यानिकी विभाग द्वारा एलोवेरा की खेती से लाभ कमाने के चक्कर में कर्जीले हो गए हैं, जिनकी उन्हें एक साल तक कानोंकान खबर नहीं लगी। योजना की पूरी जानकारी और फसल के उत्पादन का अनुभव न होने से अब किसान अपने आपको ठगा महसूस कर रहे हैं। मंगलवार को जनसुनवाई में शिकायती आवेदन सौंपकर बडामलहरा और हरपालपुर के किसानों ने विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई करने और नुकसान की भरपाई करने की मांग की है।
क्या है मामला 
उद्यानिकी विभाग द्वारा खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए उद्यानकी विभाग ने आयुषी फार्मेसी और कोठारी कंपनी से अनुबंध कर किसानों को एलोवेरा की खेती के लिए प्रोत्साहित किया था। तहसील स्तर पर उद्यानिकी मित्र बनाकर विभाग द्वारा जिले के 2500 किसानों को गत वर्ष यह खेती कराई गई। इन्हीं मित्रों ने संसाधन  उपलब्ध कराने के लिए अनुबंध पत्रों के साथ कुछ बाउचरों पर हस्ताक्षर भी करा लिए।  मगर किसानों को यह प्रोजेक्ट फायनेंस किया जा रहा है, इसकी जानकारी नहीं दी गई। प्रोजेक्ट शुरू होने पर विभाग ने बीज सहित संसाधन उपलब्ध करा दिए। वहीं मनरेगा के तहत 100 दिन की मजदूरी का पैसा भी किसानों के बचत खातों में डाला गया। कुछ किसानों को मजदूरी का पैसा मिला तो कुछ को जानकारी न होने पर उद्यानिकी मित्रों ने कियोस्क सेंटर और वाउचर की मदद से आहरण कर लिया। फसल उत्पादन का अनुभव न होने से एक साल बाद जब एलोवेरा नहीं जमी, तब किसानों ने हो-हल्ला किया। इसी बीच उनके बैंक ऑफ इंडिया की पासबुक मिली जिनमें उन्हें 60 हजार रुपए ड्रिप के लिए ऋण स्वीकृत किया गया।  
उद्यामिकी मित्रों की भूमिका संदिग्ध  
 पूरे प्रकरण में उद्यानिकी मित्रों की भूमिका संदिगध है, मंगलवार को जनसुनवाई में बड़ामलहरा अनुभाग के बारों और हरपालपुर के इमलिया गांव के किसान पानबाई, पल्टुवा, बन्दू, कोमल, भानवती, बारेलाल, जसोदा बाई, लच्छो बाई, रामपाल, हीरा लाल ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर पूरे प्रकरण की जांच कर कार्रवाई करने की मांग की है। ज्ञापन में उद्यानिकी विभाग, उद्यानिकी मित्रों द्वारा गुमराह कर करने की शिकायत भी किसानों ने की है। वहीं अभी बैंक प्रबंधन इस मामले में कुछ भी कहने से बच रहा है। किसानों का आरोप है कि उद्यानिकी मित्रों ने बिना पूरी जानकारी दिए प्रोजक्ट फायनेंस करा दिया है।
विभाग का तर्क किसान हो रहे गुमराह 
वहीं उद्यानिकी विभाग द्वारा बताया गया कि किसानों को कोई भड़का रहा है, फसल के बारे में पूरी जानकारी दी गई थी। किसानों ने कई बार मजदूरी का पैसा भी अपने बचत खाते से निकाला है। बैंक ऑफ इंडिया द्वारा प्रोजेक्ट फायनेंस किया गया है, इसलिए ड्रिप के लिए जो अनुदान राशि दी गई है। उनके द्वारा अनुदान राशि को आहरित किया गया है। जिले के कई किसान फसल बेच चुके हैं और लगातार फसल अभी भी खरीदी जा रही है। किसान जो आरोप लगा रहे हैं, वह पूरी तरह से निराधार हैं। 

छलावा नहीं हुआ है,

किसानों के साथ कोई छलावा नहीं हुआ है, विभाग द्वारा पूरे प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी दी गई थी। उन्हें शिकायत के बाद विभाग बुलाकर शंका का निराकरण भी किया गया था। अगर एलोवेरा की उपज नहीं हो रही है तो अन्य पौधे लगाकर हम भरपाई कराएंगे। 
-एमके भट्ट, सहायक संचालक, उद्यानिकी विभाग

Created On :   25 Sep 2019 8:31 AM GMT

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