बगैर मुआवजा दिए रौंद दी फसल - नाराज किसानों ने लगाया तंबू

District Mineral Fund is not being used in Gadchiroli!
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!
 बगैर मुआवजा दिए रौंद दी फसल - नाराज किसानों ने लगाया तंबू

10 किमी में 60 फीट खिसक गया फोरलेन, अब बगैर मुआवजा दिए किसानों के खेतों में फसल रौंदकर कब्जा कर रही पीएनसी कंपनी
डिजिटल डेस्क छतरपुर । क्या आप यकीन करेंगे कि झांसी-खजुराहो फोरलेन निर्माण जैसे राष्ट्रीय स्तर के प्रोजेक्ट में इंजीनियर नक्शे का पैमाना समझने में भूल कर जाएंगे। इस वजह से विशिष्ट ग्राम चंद्रपुरा, सरानी, पलौठा के पास फोरलेन निर्धारित मार्ग से 60 फीट खिसक गया है। इससे न सिर्फ मुआवजा वितरण में गड़बड़ी हो गई है, बल्कि विशिष्ट ग्रामों के अनेक किसानों की ज्यादा जमीन अधिग्रहीत हो जाने के बावजूद उन्हें नाम मात्र के मुआवजे का अवार्ड पारित किया गया है। इंजीनियरों की इस बड़ी लापरवाही पर पर्दा डालकर पीएनसी कंपनी के कर्मचारी मंगलवार को किसानों की आपत्ति के बावजूद बंदूकों एवं बदमाशों का भय दिखाकर खेतों में लगी फसलों को रौंदकर नया निर्माण करने लगे। विवाद होने पर तहसीलदार एवं सिविल लाइन थाना प्रभारी भी मौके पर पहुंचे, लेकिन पीएनसी कंपनी ने किसानों की फसलें उजाड़ ही दीं।
इससे आक्रोशित किसानों ने चंद्रपुरा में तंबू गाढ़कर विरोध प्रदर्शन चालू कर दिया है। किसानों का कहना है कि बगैर मुआवजा दिए फोरलेन बनाने वाली कंपनी उनकी जमीन छीन रही है। जिला प्रशासन से पिछले सालों में कई शिकायतों के बावजूद सभी ने चुप्पी साध रखी है। इसी तरह फोरलेन निर्माण में हजारों पड़े काटे जाने के मामले में भी प्रशासन ने चुप्पी साध रखी है।
किसान बोले-जांच रिपोर्ट में साबित हो चुकी है गड़बड़ी 
किसानों ने बताया कि चंद्रपुरा गांव के खसरा क्रमांक 133, 122, ़132, 134, 135, 65, 24, 136 सहित दर्जनों में फोरलेन की गलत मार्किंग की पुष्टि राजस्व, एनएच, पीएनसी कंपनी की संयुक्त जांच में हो चुकी है। यह रिपोर्ट कलेक्ट्रेट में पहुंच चुकी है। एसडीएम कार्यालय में भी जमा है। इसके बावजूद रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं हो रही है। एनएच के अधिकारी कह रहे कि इन नंबरों के अधिग्रहण का राजपत्र में प्रकाशन हो चुका है, जबकि वास्तविकता में नहीं हुआ है। 
अधिकारी बोले-किसानों के साथ गलत नहीं होने देंगे 
इस मामले को लेकर एनएच के ईई जे बालाचंदर ने बताया कि वे अभी बाहर हैं। अगर किसी किसान की जमीन का अधिग्रहण नहीं हुआ है तो कंपनी कतई काम नहीं करेगी। वैसे चंद्रपुरा में अधिग्रहण की कार्रवाई हो चुकी है। राजपत्र में प्रकाशन भी हो चुका है। उसकी प्रति इंजीनियरों को किसानों को दिखाने को कहा है। जहां तक फोरलेन के 60 फीट खिसकने का मामला है तो इस प्रकरण में किसानों को जितनी जमीन का मुआवजा मिला है, उतनी ही जमीन ली जाएगी। हम राजस्व विभाग के साथ बैठकर इस मामले को भी सुलझा लेंगे। किसानों से अतिरिक्त जमीन नहीं ली जाएगी। विशिष्ट ग्राम की दर एवं अन्य शिकायतों को लेकर भी किसानों को एसडीएम के पास जाना चाहिए।
किसानों को मुआवजा दिए बगैर मनमाने तरीके से जमीन पर कब्जा कर रही कंपनी
जानकारी के अनुसार खजुराहो मार्ग पर चंद्रपुरा, पलौठा, सरानी गांव को विशिष्ट ग्राम का दर्जा वर्ष 2008 में दिया गया था। शहर से सटे गांवों को विशिष्ट ग्राम का दर्जा राजस्व विभाग देता है। यानि इन गांवों में जमीन की कीमत शहर के बराबर होती है। इस क्षेत्र के आशीष वाजपेयी, राघवेंद्र सिंह, कुलदीप सिंह, संजय मिश्रा सहित दर्जनों किसानों ने बताया कि फोरलेन निर्माण कर रही कंपनी पीएनसी ने इन तीन गांवों के बीच दस किमी के निर्माण के दौरान मार्ग का निर्माण निर्धारित स्थान से 60 फीट तक खिसका दिया। इंजीनियरों की इस भारी भूल के चलते किसानों की चौड़ाई में 60 फीट अतिरिक्त भूमि बगैर मुआवजा दिए ही पीएनसी कंपनी अधिग्रहीत कर रही है। किसानों का कहना है कि इन गांवों को विशिष्ट ग्राम का दर्जा वर्ष 2008 में मिला था। उसी हिसाब से मुआवजा वितरण किया जाना था। लेकिन तत्कालीन एसडीएम ने वर्ष 2017 में वर्ष 2010 की दरों से मुआवजा बगैर विशिष्ट ग्राम को माने हुए घोषित कर दिया। यानी किसानों को दोहरी मार पड़ी। एक तो उन्हें बगैर विशिष्ट ग्राम के मुआवजा मिला और फिर वर्ष 2016 की गाइडलाइन को ठुकराते हुए वर्ष 2017 में वर्ष 2010 की गाइडलाइन से मुआवजा देने की घोषणा की गई। बात इतने पर ही खत्म नहीं हुई, तीसरी बड़ी गलती निर्माण कंपनी से हो गई, जिसने ने फोरलेन का निर्माण ही गलत कर दिया। इसके 60 फीट खिसक जाने से पीएनसी कंपनी के अधिकारी मंगलवार को बलपूर्वक किसानों की फसलें उजाड़कर 60 फीट जमीन पर जबरन रोड डालने के लिए खुदाई करने लगे। इसके लिए किसानों की फसलों को रौंद दिया गया। मौके पर पहुंचे तहसीलदार और सिविल लाइन थाना प्रभारी ने कंपनी काम रोककर किसानों की समस्या का हल निकलने के बाद ही काम प्रारंभ करने के निर्देश दिए, लेकिन कंपनी के कर्मचारी किसानों को धमकी देने लगे। इस पर काफी देर तक हंगामा होता रहा। फोरलेन का गलत निर्माण हो जाने से जहां देश का करोड़ों रुपए बर्बाद हो गया, वहीं बगैर रिकार्ड में चढ़ाए किसानों की 60 फीट अतिरिक्त जमीन अधिग्रहण करने के बजाय एक प्रकार से छुड़ाई जा रही है। हाइवे पर बेशकीमती जमीन इस तरीके से कब्जा किए जाने से सैकड़ों किसान आहत हैं।
 

Created On :   12 Feb 2020 3:48 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story