6 माह की बच्ची के शरीर पर सलाखों के दाग देखकर चौंके डॉक्टर  

Doctors stunned to see stains of bars on 6-month-old girls body
6 माह की बच्ची के शरीर पर सलाखों के दाग देखकर चौंके डॉक्टर  
6 माह की बच्ची के शरीर पर सलाखों के दाग देखकर चौंके डॉक्टर  


डिजिटल डेस्क छतरपुर। जिले के ग्रामीण इलाकों में अब भी ऐसे गरीब परिवार मौजूद हैं, जिनके अभिभावक बच्चों को बीमारी होने पर बजाय डॉक्टर से इलाज कराने के अंधविश्वास का सहारा लेते हैं। शुक्रवार को जिला अस्पताल में शिशुरोग विशेषज्ञ डा. लखन तिवारी को सर्दी-खांसी से पीडि़त 6 माह की बच्ची को दिखाने के लिए समीपवर्ती निवरिया गांव के अभिभावक आए।
डा. तिवारी इस बच्ची के पेट पर लोहे की सलाखों से गोदे जाने के निशान देखकर चौंक गए। उन्होंने यादव परिवार की इस बच्ची के अभिभावकों से इलाज के बजाय नन्ही सी जान को गर्म सलाखों से गोदने की वजह जानना चाही तो पता चला कि अभिभावकों ने बच्ची को किसी टोने-टोटके करने वाले नीम हकीम को दिखाया था। उसने बच्ची को गर्म सलाखों से दागने को कह दिया। जिला मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर परा चौकी के पास स्थित निवरिया गांव में अंध विश्वास की इतनी गहरी जड़ों से अंदाजा लगता है कि हालात अब भी बेहद बुरे हैं। डा. तिवारी ने घटनाक्रम सुनकर इन अभिभावकों को समझाइश देने के साथ ही डांट भी लगाई। उनकी फटकार के बाद बामुश्किल युवा दम्पति ने गांव में इलाज करने वाले नीम हकीम का नाम बताया। उन्होंने इस परिवार को दवाएं देने के साथ ही सरकारी योजनाओं का लाभ लेने की समझाइश भी दी।  
सुधार की कवायद जरूरी-
जिले के किशनगढ़ इलाके में भी आदिवासी परिवारों में पूर्व में इलाज के बजाय टोने-टोटके करने की शिकायतें मिली हैं। लेकिन यह मामला इसलिए चौंकाने वाला है क्योंकि निवरिया गांव जिला मुख्यालय से चंद किमी दूर पर स्थित है।

Created On :   11 Jan 2020 7:49 AM GMT

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