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कागजी घोड़े पर सवार स्मार्ट सिटी का सपना, अतिक्रमण और यातायात व्यवस्था लगा रही ग्रहण
डिजिटल डेस्क, सीधी। जहां देखों वहां अतिक्रमण और लचर यातायात व्यवस्था के बीच शहर को स्मार्ट सिटी बनाने की तैयारी की गई है। बकायदा इसके लिये करोड़ों रुपए जिला प्रशासन को मुहैया कराये गये हैं, किंतु इन सबके बीच स्मार्ट सिटी बनने का सपना कैसे पूरा होगा यह एक बड़ा सवाल है। बताया जाता है कि अतिक्रमण और शहर की चौपट हो रही यातायात व्यावस्था स्मार्ट सिटी में बांधा बन रही है। अब तो लोग भी कहने लगे हैं कि कागजी घोड़े पर सवार है स्मार्ट सिटी का सपना।
33 करोड़ रुपए मंजूर
गौरतलब है कि हाल में ही नगर को मिनी स्मार्ट सिटी बनाने के लिये करीब 33 करोड़ रुपए शासन से मंजूर हुये हैं। जिसके बाद यहां पर पार्क, सुव्यवस्थित पार्किंग, चौपाटी, थियेटर जैसी सुविधाओं केा मुहैया कराने के लिये तैयारी शुरू कर दी गई है, लेकिन आलम यह है कि अतिक्रमण की होड़ व घटिया ट्रैफिक व्यवस्था के चलते शहर की सूरत बिगड़ गई है। अमूमन हर चौराहों में लगभग सड़कों पर दुकानों को पसराकर व्यवसाय किया जा रहा है। यही नहीं सड़कों पर पसरी दुकानों के चलते आम जनता का पैदल चलना मुश्किल हो रहा है। शहर के लालता चौक, सब्जी मण्डी, बस स्टैण्ड, अस्पताल चौक, सम्राट चौक आदि ऐसे स्थान हैं, जहां दुकानदारी बीच सड़कों पर चल रही है।
कब मिलेगी जाम से निजात
शहर की बदतर हो चुकी यातायात व्यवस्था से आम नागरिक परेशान हैं। हर समय यहां जाम की स्थिति बनती है और इससे निजात कब मिलेगी कुछ कह पाना संभव नहीं है। दरअसल यातायात कार्यालय के ठीक सामने पूरे समय जाम जैसे हालात बनते हैं। इसके अलावा सम्राट चौक, लालता चौक, अस्पताल चौक, बस स्टैण्ड आदि में जाम के हालात के चलते पूरी ट्रैफिक व्यवस्था पर सवालिया निशान लग जाता है। यातायात पुलिस की लापरवाही में वसूली की आदत ने वाहन चालकों को मनमानी करने की छूट दे रखी है। लिहाजा जाम की समस्या से निजात मिलना मुश्किल है।
बदले प्रभारी, व्यवस्था जस की तस
सीधी में ट्रैफिक की समस्या नई नहीं है। यातायात पुलिस की लापरवाही व वसूली के कारण यहां हर समय यातायात व्यवस्था पटरी से नीचे देखी जाती है। यातायात प्रभारी बदलने के बाद भी व्यवस्था जस की तस बनी हुई है। नये ट्रैफिक प्रभारी बीआर सिंह के आने के बाद यहां यातायात व्यवस्था की हालत और खराब हो गई है। इसके लिये जिम्मेदार कौन हैं इस पर भी गौर करने की जरूरत है।
मुहिम पर लग सकता है ग्रहण
जिला कलेक्टर अभिषेक सिंह की पदस्थापना के बाद सीधी में पार्किंग, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे मामलों में सुधार की मुहिम चलाई गई, किंतु अतिक्रमण की होड़ व यातायात जैसी समस्याओं के चलते इस मुहिम पर भी ग्रहण लग रहा है। शहर में नो एण्ट्री के बाद भी भारी वाहनों का प्रवेश ट्रैफिक व्यवस्था की पोल खोल रहा है। बीच सड़क पर जिस प्रकार व्यवसाय का संचालन व्यापारी कर रहे हैं, उससे यहां की अतिक्रमण मुक्त शहर बनाने की योजना की असलियत सामने आ रही है।
क्षमता से अधिक आटो रिक्शा
शहर में आटो वाहन चालकों की भरमार है। यहां पर क्षमता से अधिक आटो रिक्शा चल रहे हैं, जो जाम की समस्या को बढ़ाते हैं। यही नहीं नाबालिगों के हाथ में आटो की कमान देखकर यहां की यातायात व्यवस्था का अंदाजा लगाया जा सकता है।
Created On :   19 Feb 2019 8:13 PM IST