- Home
- /
- राज्य
- /
- मध्य प्रदेश
- /
- रीवा
- /
- परीक्षा सम्भव नहीं इसलिए पिछला...
परीक्षा सम्भव नहीं इसलिए पिछला सेमेस्टर बनेगा पास करने का आधार
यूजीसी ने विश्वविद्यालय को जारी की गाइडलाइन, प्रदेश उच्च् शिक्षा की हरी झण्डी का इंतजार
डिजिटल डेस्क रीवा । कोरोना वायरस महामारी के कारण परीक्षा को आयोजित करने में विश्वविद्यालयों की परेशानियों को देखते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग(यूजीसी) ने आखिरकार फैसला ले लिया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग(यूजीसी) ने घोषणा की है कि कोविड-19 के कारण परीक्षा आयोजित करने में कठिनाई का सामना करने वाले विश्वविद्यालयों को पिछले सेमेस्टर में आंतरिक मूल्यांकन और प्रदर्शन के आधार पर विद्यार्थियों को ग्रेड देने होंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से लिए गए इस निर्णय से जुड़ी गाइडलाइन अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय प्रशासन को भेजी गयी है। जिस पर विश्वविद्यालय ने अपनी ओर से तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। बताया गया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन इससे जुड़ी सभी तरह की गतिविधियों को पूरा करने के लिए संबंधितों को दिशा-निर्देश देने शुरू कर दिए हैं।
अंतत: जारी किए गए अंतिम दिशा-निर्देश
लंबे विचार-विमर्श के बाद आखिरकार अंतिम दिशा-निर्देशों को जारी कर दिया गया है। जिसके अनुसार उच्च शिक्षा क्षेत्र के नियामक ने यह प्रावधान किया है कि यदि पिछले सेमेस्टर का परिणाम उपलब्ध नहीं है, तो पहले वर्ष के आधार पर आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर 100 प्रतिशत मूल्यांकन किया जा सकता है। इंटरनल असेसमेंट मूल्यांकन में प्रारंभिक, मिड सेमेस्टर, आंतरिक मूल्यांकन या फिर विद्यार्थी को प्रोमोट करने के लिए कुछ भी नाम दिया जा सकता है। मालूम हो कि इसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग(यूजीसी) ने दिशा-निर्देशों पर जोर देते हुए यह एडवाइजरी जारी की है।
कम समय में वैकल्पिक तरीके अपनाने की छूट
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विश्वविद्यालय से कहा है कि वह कम समय अवधि में इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए वैकल्पिक और सरलीकृत तरीके और परीक्षा के तरीकों को अपनाएं। जिससे समय की बचत हो सके। यही नहीं स्थानीय विश्वविद्यालय तीन से दो घंटे तक के समय को कम करके परीक्षाओं के कुशल और नए तरीके भी अपना सकते हैं।
ग्रेड सुधार के लिए विथार्थियों को अन्य मौके दें
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नियामक में यह भी प्रावधान किया गया है कि जो विद्यार्थी अपने ग्रेड में सुधार करना चाहते हैं, उन्हें किसी अन्य अवसर की अनुमति दी जानी चाहिए। यूजीसी ने अपने दिशा-निर्देशों में कहा कि ऐसे में जब परिस्थितियां सामान्य होती हैं, विद्यार्थियों को यह अवसर दिए जाने की अनुमति दी जानी चाहिए। साथ ही एक शिकायत निवारण तंत्र भी होना चाहिए, जो विद्यार्थियों के शिकायतों की निगरानी कर सके। यूजीसी ने इस संबंध में विश्वविद्यालय को एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी करने की बात कही है।
लॉकडाउन अवधि में मानी जाएगी विद्यार्थियों की उपस्थिति
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग(यूजीसी) की गाइडलाइन में कहा गया है कि जिस अवधि में लॉकडाउन रहा है उस अवधि में विद्यार्थियों को संस्थान की गतिविधियों में भाग लेने के रूप में माना जाएगा। साथ ही दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि यदि परीक्षाएं आयोजित करना मुश्किल है, तब विश्वविद्यालय आंतरिक मूल्यांकन के पैटर्न के आधार पर विद्यार्थियों को 50 प्रतिशत अंक दे सकते हैं। वहीं शेष पचास प्रतिशत अंक पिछले सेमेस्टर में प्रदर्शन के आधार पर दिए जा सकते हैं।
इनका कहना है
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग(यूजीसी) की ओर से जारी गाइडलाइन प्राप्त हुई है। अब हमें मप्र शासन उच्च शिक्षा विभाग की ओर से जारी होने वाले दिशा-निर्देशों का इंतजार है। जिनके मिलते ही आवश्यक प्रक्रिया प्रारंभ कर दी जाएगी।
डॉ. बृजेश सिंह, कुलसचिव एपीएसयू
Created On :   1 May 2020 6:55 PM IST