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वन कर्मचारियों ने लंबित मांगों को लेकर किया प्रदर्शन, रैली निकाल कर सौंपा ज्ञापन
डिजिटल डेस्क सीधी। वन कर्मचारियों ने लम्बित समस्याओं का निराकरण न होने पर आज रैली निकालकर प्रदर्शन किया है। वन कर्मचारी ब्रम्हास्वरूप वेतन आयोग, बोरा-मुश्रान समिति की सिफारिश एवं अपर मुख्य सचिव वन द्वारा 10 वर्ष पहले किये गये समझौते के पालन की मांग को लेकर प्रदर्शन किये हैें। अपनी मागों केा लेकर वन कर्मचारी संघ ने ज्ञापन भी सौँंपा है।
आंदोलन में शामिल वनकर्मचारियों ने कहा कि म.प्र. के विभिन्न वनांचलों में पदस्थ कार्यपालिक वन कर्मचारी जो कि समाज के अंतिम छोर पर रहकर 24 घन्टे वन एवं वन्य प्राणियों की सुरक्षा में लगे हुए है। कठिन सेवा करने वाले कर्मचारियों का वेतन मान अन्य विभागों के कर्मचारियों से न्यून्तम है, जो चिन्ता का विषय होकर मनोबल गिराने वाला है। म.प्र. के वनाचल में पदस्थ कर्मचारियों की वेतन विषगति वर्षो पुरानी है, जिसके संबंध में अपर मुख्य सचिव वन रंजना चौधरी द्वारा वर्ष 2008 में लिखित समझौता व शासन द्वारा लिखित आश्वाशन दिये जाने के पश्चात भी वेतन विसंगति को दूर नही किया गया। इसीलिये पिछले दिनों हुई भोपाल में बैठक के बाद मंगलवार को विशाल प्रदर्शन किया गया है। बताया गया है कि म.प्र. वन कर्मचारी संघ द्वारा उपरोक्त संदर्भ में वर्ष 1981 से कई वार आन्दोलन किये गये एवं शासन द्वारा लिखित समझौता भी किया गया। वनमंत्री सरताज सिंह द्वारा घोषणा की गई तथा अवनी वैश्य मुख्य सचिव म.प्र. शासन द्वारा भी आश्वासन दिया गया। राय अपर मुख्य सचिव, वी.वी. सिंह अपर मुख्य सचिव वन, श्री खाण्डेकर अपर मुख्य सचिव वन एवं गौरी शंकर शेजवार द्वारा भी वन कर्मचारियों की वेतन संबंधी लम्वित मांगो के निराकरण का आश्वासन दिया गया। किन्तु आज तक कुछ भी नही हो सका है।
यह रही प्रमुख मागें
वन विभाग में कार्यरत कर्मचारियों ने अपनी इन मागों को लेकर प्रदर्शन किया है। संघ द्वारा रखी गई मागों में राजस्व, पुलिस के समान वेतनमान प्रदाय किया जावे। वन कर्मचारियों को शसस्त्र वल घोषित करने हेतु आई.पी.सी. एवं सी.आर.पी.सी. में संशोधन कर न्यायिक मजिस्ट्रेट के अधिकार प्रदान किये जाये। वनरक्षक से लेकर प्रधान मुख्य वन संरक्षक स्तर तक के सभी अधिकारियों कर्मचारियों को वर्दी अनिवार्य की जाये तथा अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 45 की अनुमुक्ति प्रदान की जाये। समस्त वनरक्षको को नियुक्त दिनांक से ग्रेडपे 1900/5680 का लाभ दिया जावें एवं जिन्हे लाभ प्राप्त हो गया है उनकी वसूली पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय अनुसार वसूली पर रोक लगाई जावें। वनरक्षक को नियुक्त दिनांक से 10, 20, 30 वर्ष के बाद समयमान वेतनमान प्रदान किया जावें। स्थाईकर्मी को चतुर्थ श्रेणी में म.प्र. शासन के आदेशानुसार समायोजित कर सातवां वेतनमान, अनुकम्पा नियुक्ति एवं वर्दी प्रदान की जावें। वन कर्मचारियों को महाराष्ट्र की तर्ज पर 5000 रूपयें वर्दी भत्ता प्रदान किया जावें। वन कर्मचारियों की निवास वन रक्षक, वनपाल, उप वनक्षेत्रपाल, वन क्षेत्रपाल के निवास को सर्व सुविधा युक्त वनाया जाकर परिवार के निवास हेतु तहसील एवं जिला स्तर पर भवन आवंटित किया जावें। वन विभाग के मानचित्रकारों को छत्तीसगढ राज्य की भांति पदनाम परिवर्तित करते हुये नवीन मानचित्रकार का ग्रेडपे, पूर्व ग्रेडपे के अनुसार संशोधन एवं मानचित्रकार के पद में एक एस.डी.ओं. कोटे से पदोन्नति दी जाये।
Created On :   14 March 2018 2:47 PM IST