21 वर्ष बाद मिला फारेस्ट का ग्रीन सिग्नल - सतना-पन्ना सिंगल रेल ट्रैक 

Forests green signal found after 21 years - Satna-Panna single rail track
21 वर्ष बाद मिला फारेस्ट का ग्रीन सिग्नल - सतना-पन्ना सिंगल रेल ट्रैक 
21 वर्ष बाद मिला फारेस्ट का ग्रीन सिग्नल - सतना-पन्ना सिंगल रेल ट्रैक 

डिजिटल डेस्क सतना। ललितपुर -सिंगरौली प्रोजेक्ट के तहत सतना से पन्ना के बीच 72 किलोमीटर पर अधर में फंसी सिंगल ट्रैक की सबसे बड़ी बाधा अंतत: 21 वर्ष बाद दूर हो गई है। पश्चिम मध्य रेलवे के प्रशासनिक अधिकारी (निर्माण) राजेश अर्गल ने सतना प्रवास के दौरान रविवार को दैनिक भास्कर से बातचीत में ये खुशखबरी दी। उन्होंने बताया कि फारेस्ट की क्लीयरेंस मिल गई है। उल्लेखनीय है, सतना-पन्ना के बीच 8 किलोमीटर पर प्रस्तावित रेल लाइन की राह में फंस रही 100 हेक्टेयर वन भूमि अभी तक सबसे बड़ी बाधा थी। मगर,अब ऐसा नहीं है। प्रवास के दौरान श्री अर्गल ने पन्ना के अलावा सतना जिले के संबंधित किसानों से भी मुलाकात की। वन विभाग की एनओसी मिलने के बाद माना जा रहा है कि सतना से पन्ना के बीच रेल सुविधा वर्ष 2022 तक शुरु हो जाएगी। 
 जल्दी ही दूर होगी अंतिम बाधा 
उधर, रेल लाइन निर्माण से जुड़े रेलवे के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने दावे के साथ कहा कि सतना से पन्ना के बीच रेल लाइन के निर्माण की अंतिम बाधा सतना से नागौद के बीच बची है। आरोप है कि जिले के राजस्व अफसरों और उनके मातहत मैदानी अमले की लापरवाही के कारण कुछ भू स्वामी किसानों में असंतोष है। अंसतोष की वजह रेल लाइन के भूमि अधिग्रहण के एवज में मुआवजा प्रकरणों में सिंचित जमीन को असिंचित दर्ज कर देना है। कुछ ऐसी शिकायतें आई हैं कि सुविधा शुल्क नहीं मिलने पर नागौद तहसील क्षेत्र के पटवारियों ने अर्जन के लिए प्रस्तावित भूमियों के नंबर छोड़ दिए हैं। माना जा रहा है कि इन समस्याओं को संबंधित भू स्वामी किसानों के साथ मिल बैठ कर निपटा लिया जाए। रेल अफसर के मुताबिक जिले के अंदर प्रस्तावित इसी रेल मार्ग पर  कुछ माइंस एरिया फंसने के कारण भी टांग फंसाने का गुणा गणित चल रहा है, मगर ये कोशिशें भी नाकाम कर दी जाएंगी। 
 पन्ना ने पारित किए शत-प्रतिशत एवार्ड 
 बहुप्रतीक्षित ललितपुर -सिंगरौली रेल प्रोजेक्ट के तहत सतना-पन्ना के बीच पन्ना के जिला प्रशासन ने जहां भूअर्जन से संबंधित शत-प्रतिशत अवार्ड पारित कर लिए हैं,वहीं सतना जिले के नागौद तहसील क्षेत्र में राजस्व अफसरों की मनमानी के कारण किसान गुस्से में हैं। रेल अधिकारियों ने बताया कि इस प्रस्तावित रेल खंड के मध्य लगभग 32 गांव आते हैं। इन्हीं जानकारों ने बताया कि इसी प्रकार पन्ना से खजुराहो के बीच सिंगल ट्रैक के लिए 74 किलोमीटर पर फंस रही 315 हेक्टेयर वन भूमि  के लिए फारेस्ट क्लीयरेंस का काम भी अंतत: अंतिम चरण में हैं। माना जा रहा है कि जल्दी ही वन विभाग की एनओसी मिल जाएगी। 
 पहले ही महंगा पड़ चुका है विलंब  21 वर्ष में लागत बढ़ी 10 गुना 
 रेलवे के वरिष्ठ अफसर भी इस तथ्य से सहमत हैं कि अब ललितपुर-सिंगरौली रेल प्रोजेक्ट की राह में आने वाली अनावश्यक बाधाओं से सख्ती से निपटने की जररुत है। असल में इसी लेट लतीफी के कारण वर्ष 1998 से प्रस्तावित इस रेल प्रोजेक्ट की लागत 21 वर्ष में लगभग 10 गुना बढ़ चुकी है। ललितपुर से सिंगरौली के बीच कुल 541 किलोमीटर पर सिंगल ट्रैक की अनुमानित लागत वर्ष 1998 में जहां महज 975 करोड़ रुपए आंकी गई थी, वहीं अब 21 वर्ष बाद 975 करोड़  की राशि सिर्फ सतना-पन्ना के बीच सिर्फ 72 किलोमीटर की सिंगल लाइन बिछाने में खर्च होगी। प्रोजेक्ट की कुल लागत बढ़ कर लगभग 1314 करोड़ हो चुकी है। लगभग 21 वर्ष पहले जहां एक किलोमीटर की सिंगल ट्रैक पर एक से डेढ़ करोड़ रुपए खर्च होने थे,वहीं अब इसी एक किलोमीटर पर रेलवे को तकरीबन 10 से 12 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। 
इनका कहना है :--
सतना से पन्ना के बीच 8 किलोमीटर पर फंस रही 100 हेक्टेयर जंगल की जमीन के लिए फारेस्ट की क्लीयरेंस मिल गई है। पन्ना से खजुराहो के बीच 74 किलोमीटर पर 315 हेक्टेयर वन भूमि  के लिए एनओसी की स्वीकृति की प्रक्रिया भी अंतिम चरण में है। 
राजेश अर्गल, प्रशासनिक अधिकारी (निर्माण),पमरे 
 

Created On :   16 Dec 2019 8:53 AM GMT

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