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अब पहली कक्षा से ही बच्चों को बारहखड़ी के स्थान पर चौदहखड़ी पढ़ाई जाएगी
डिजिटल डेस्क, औरंगाबाद। महाराष्ट्र विद्या प्राधिकरण की ओर से मराठी भाषा की बोलचाल में पहले से ही शामिल वर्णमाला चौदहखड़ी को अब प्रशासकीय मान्यता भी प्रदान कर दी है। अब पहली कक्षा से ही बच्चों को बारहखड़ी के स्थान पर चौदहखड़ी पढ़ाई जाएगी। मराठी शब्दोच्चार में बच्चों के समक्ष पेश आने वाली समस्याओं को ध्यान में रखते हुए बाराखड़ी में अॅ और ऑ दो स्वरों को शामिल करने से मराठी बारहखड़ी अब चौदहखड़ी बन गई है। अनेक संस्थाओं की ओर से किए गए सर्वेक्षणों में सामने आया था कि कक्षा पहली से पांचवीं के कुछ विद्यार्थियों को अभी भी मराठी भाषा सीखने में समस्याएं आ रही थीं। इसके चलते मराठी भाषा में शुद्धलेखन के नए नियमों का प्रारूप तैयार किया गया। पश्चात महाराष्ट्र विद्या प्राधिकरण ने विद्यार्थी तीन माह में सौ प्रतिशत मराठी पढ़ना सीख सकें, इसकी गारंटी देने वाला मूलभूत वाचन क्षमता विकास कृति कार्यक्रम तैयार किया और कुछ शिक्षकों को प्रशिक्षण भी दिया गया। अब चरणबद्ध तरीके से संपूर्ण राज्य में शिक्षकों को इस बाबत प्रशिक्षण दिया जाएगा। मूलभूत वाचन विकास कृति कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को आदर्श वाचन को आसान बनाना है। वाचन करते समय विद्यार्थियों को अर्धचंद्र, अनुस्वर, मात्रा तथा कुछ जोड़शब्द कठिन लगते हैं। ऐसे विद्यार्थियों को अब चौदहखड़ी के माध्यम से वाचन की ओर आकर्षित किया जा सकेगा। फिलहाल एक वर्ष के लिए यह कार्यक्रम चलाया जाएगा।
ऐसा होगा बदलाव
‘अ’ से ‘औ’ की प्रचलित देवनागरी बारहखड़ी में अब दो नए स्वर शामिल किए गए हैं। फिलहाल के क्रम अनुसार ‘ओ’ स्वर के बाद ‘ऑ’ यह नया स्वर आएगा। बाद में ‘औ’ स्वर आएगा। इसी तरह ‘ए’ स्वर के बाद ‘अॅ’ नया स्वर का क्रम रहेगा। उसके बाद ‘ऐ’ स्वर आएगा।
क्या कहते हैं मराठी के विद्धान
अॅ और ऑ दो स्वर बढ़ जाने से अब भाषा और समृद्ध होगी। बच्चों को पढ़ते समय अड़चन आ रही थी। नए स्वरों से भाषा में सुलभता आएगी। समय के अनुसार भाषा में बदलाव होना ही चाहिए। अलग-अलग भाषाओं से भी अपनी भाषा में शब्द आते हैं। आधुनिकीकरण के दौर में नई चीजों के साथ-साथ नए शब्द भी आते हैं, उनका इस्तेमाल होना चाहिए। मूल अक्षरों की संख्या अब बढ़ गई है। पहले उनका मूल अक्षरों में समावेश नहीं था। इससे इन अक्षरों का बड़े पैमाने में इस्तेमाल होगा।
(डॉ. प्रल्हाद लुलेकर, सेवानिवृत्त मराठी विभाग प्रमुख, विश्वविद्यालय औरंगाबाद)
चौदहखड़ी नई नहीं है, यह पहले से ही थी, लेकिन हम सीखने के दौर में कुछ स्वरों का इस्तेमाल नहीं कर रहे थे। इसलिए उसे बारहखड़ी के रूप में ही लिया जाता था। अब इन स्वरों का इस्तेमाल बढ़ेगा। सभी को उसको स्वीकार करना चाहिए। सामान्य बच्चे को भी इन अक्षरों के उच्चारण में अब अड़चन नहीं आएगी। वैश्वीकरण के दौर में हमें बहुभाषीय होना ही पड़ेगा। (डॉ. कैलास अंभुरे, प्रोफेसर)
Created On :   30 Dec 2017 11:10 AM IST