राज्यपाल ने छात्र-छात्राओं को देश के प्रति उनकी जिम्मेदारी का एहसास कराया

Governor has made the students realize their responsibility towards the country
राज्यपाल ने छात्र-छात्राओं को देश के प्रति उनकी जिम्मेदारी का एहसास कराया
राज्यपाल ने छात्र-छात्राओं को देश के प्रति उनकी जिम्मेदारी का एहसास कराया

डिजिटल डेस्क, रीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के सातवें दीक्षांत समारोह में पतंजलि विश्वविद्यालय हरिद्वार के कुलपति आचार्य डा. बालकृष्ण और डीआरडीओ के चेयरमैन डॉ.जी सतीश रेड्डी को मानद उपाधि प्रदान की गई। दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुए प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन ने उपस्थित छात्र-छात्राओं को देश के प्रति उनकी जिम्मेदारी का एहसास कराया। उन्होंने कहा कि लोग यह कहते हैं कि देश ने हमारे लिए क्या किया, लेकिन हमें ये सोचना चाहिए कि देश के लिए हमने क्या किया। हर किसी के मन में यह विचार आना ही चाहिए। देश में स्वच्छता का ऐसा अभियान चला कि हर कोई इस काम में जुट गया। देश में 98 प्रतिशत टॉयलेट बन गए। गांव-गांव में बिजली पहुंच गई हैं। बेटियां  आगे बढ़ रही है।

उन्होंने कहा कि क्या यह सब विकास नहीं है। राज्यपाल ने सवाल उठाया कि क्या बिना किसी काम के जेब में पैसा आ जाए तो इसे ही विकास माना जाएगा। उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे काम में भी लोग लग जाए तो यह बड़ा हो जाता है। इस समारोह को जस्टिस जसवीर सिंह (सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश पंजाब एवं हरियाणा) एवं आचार्य डा. बालकृष्ण ने भी सम्बोधित किया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.केएन सिंह यादव ने प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन कुलसचिव पुष्पा सोनवानी एवं प्रो. दिनेश कुशवाह ने किया। इस समारोह में 71 छात्रों को गोल्ड मेडल और दो सौ से अधिक छात्रों को उपाधि प्रदान की गई।

पानी और पेड़ बचाओ
राज्यपाल ने इस अवसर पर पानी और पेड़ बचाने के लिए लोगों को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि पन्द्रह-बीस साल बाद पानी का घोर संकट होगा, इसलिए अभी से इस ओर ध्यान दिया जाए। पेड़ों की अंधा-धुंध कटाई से हो रहे नुकसान को देखते हुए उन्होंने कहा कि हर छात्र को यह संकल्प लेना चाहिए कि वह एक पेड़ विश्वविद्यालय को तैयार कर के देगा।

दुनिया की शीर्ष 100 यूनिवर्सिटी मेंं हम क्यों है आखिर पीछे
दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति ने इस बात पर भी चिंता जताई कि दुनिया की शीर्ष सौ यूनिवर्सिटी में भारत की एक भी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले चार-पांच वर्षो में कई क्षेत्रों मेें  दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है, लेकिन शिक्षा में क्यों नहीं? इसके लिए अध्यापकों को टीम वर्क के साथ काम करने की जरूरत है, ताकि भारत के विश्वविद्यालय भी दुनिया की शीर्ष यूनिवर्सिटी में अपना स्थान दर्ज करा सकें।

 

Created On :   1 Feb 2019 1:55 PM GMT

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