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समय पर स्टापडेम के गेट बंद होते तो बच जाती कई जानवरों की जानें
डिजिटल डेस्क छतरपुर । बकस्वाहा तहसील अंतर्गत करीब 50 स्टापडेम बनाये गए थे जो बुन्देलखण्ड पैकैज से करोड़ो की लागत से बने थे शासन का उद्देश्य जल संग्रह करना था लेकिन जल संग्रह कैसे हो जब स्टापडेम गेट खुले छोड़ दिए। अगर बकस्वाहा की बात की जाय तो औसत से भी कम बारिश सूखे की मार झेल रहा किसान ओर शासन जल संग्रह के प्रति सजगता की बात कर रहा था वही दूसरी ओर जल संरक्षण के प्रतीक स्टापडेम सरकार की कार्यप्रणाली की पोल खोल रहे है इन बंद पड़े स्टापडेमो पर ना ही प्रशासन की नजर है और ना ही उनका निर्माण करने बाली ऐजेंसियों का।
जल संरक्षण योजना के तहत ग्राम पंचायत बम्हौरी के आसपास कऱीब 15 एवम् बीरमपुरा पंचायत के करीब 10 एवम् निबार में 5 सुनहरा में 15 बक्स्वाहा में 5 स्टापडेम बनाये गए थे उनमे से कुछ स्टापडेम छतीग्रस्त होते जा रहे हैं। स्टापडेम को जल संग्रह के उद्देश्य से बनाया गया था पर ना तो इसमें गेट दिखाई देते है और ना ही जल रोकने की कोई युक्ती बने स्टापडेमो में एक के भी फाटक नहीं लगाए गए। दैनिक भास्कर ने एक ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार पाया कि किसी भी स्टापडेम में गेट नहीं पाए गए जिससे उनमें जल भराव नहीं किया जा सका।
पानी की कमी के कारण प्यासे मरते जानवर
सरकार द्वारा स्टापडेम बनाने का मुख्य उद्देश्य पशुओ को जल उपलब्ध कराने का होता है पर इनमे गेट ना होने से उनमें जल संग्रह नहीं हो पाता जिससे पानी की तलाश में आए पशुओं को दो बूंद पानी भी नसीब नहीं हो पाता ऐसे में रोज जानवर दम तोड़ रहे हैं। अधिकारियों ने भी कभी नहीं दिखाई रुचि करोड़ो की लागत से बने स्टापडेमो के न तो गेटों का अतापता है और न उनके रखरखाव का।
इनका कहना है
"पंचायतो को फाटकों का जिम्मा दिया था पर पंचायत सचिवों द्वारा जानकारी दी गई कि फाटक चोरी हो गए है पर इस बार मानसून आने के पहले जल संग्रह के लिए फाटकों की व्यवस्था की जाएगी।"
राजनाथ सिंह सी ई ओ जनपद बकस्वाहा
Created On :   21 April 2018 5:35 PM IST