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मुरम खनन विवाद: गोली मार कर हत्या करने वालों को उम्रकैद
डिजिटल डेस्क छतरपुर । शहर की सीमा से लगी मरघट पहाड़ी में मुरम के खनन के विवाद में लाइसेंसी बंदूक से गोली मार कर हत्या करने के बहुचर्चित मामले में अदालत ने दो आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है । प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश आरके गुप्त की अदालत ने आरोपियों को हत्या के आरोप में गुनाहगार ठहराते हुए पांच-पांच हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने सजा सुनाए जानेके बाद आरोपियों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया है।
मृत्यु पूर्व बयान बना सजा का आधार
यह सनसनीखेज वारदात शहर के सिविल लाइन थाना इलाके के मरघट पहाड़ी में 3 मई 2013 की रात करीब 11 बजे रात की है। सिविल लाइन थाना पुलिस को सूचना मिली कि सुरेंद्र तिवारी को गोली मार दी गई है। पुलिस टीम के अस्पताल पहुंचने पर फरियादी कोमल प्रसाद रावत ने देहाती नालसी लेख कराई कि वह सुरेंद्र तिवारी के यहां मजदूरी करता है। मरघट पहाड़ी के पास वह मुरम खोद रहा था। मौके पर सुरेंद्र तिवारी, बंटे राजपूत भी मौजूद थे। उसी समय सुरेंद्र के मोबाइल पर फोन आया और बोला यहां से चलो जहां मशीन लगी है, वहां कोई गाली-गलौज कर रहा है। आरोप है कि सुरेंद्र एक साथी के साथ जेसीबी मशीन के पास पंहुचा। मशीन के पास बद्री खड़ेहा और उसके दो साथी खड़े होकर जेसीबी मशीन के ड्राइवर को गालियां दे रहे थे। इस पर सुरेंद्र ने गाली देने से मना किया तो बद्री खड़ेहा बोला उससे बड़ा कोई गुंडा नहीं है, वह बात पर गोली मार देता है। इसी दौरान आवेश में आकर हाथ में लिए 12 बोर की बंदूक से दो गोलियां सुरेन्द पर दाग दी । फायरिंग से एक गोली सुरेंद्र के सीने में लगी और वह मौके पर ढेर हो गया। घटनास्थल में मौजूद लोगों ने बद्री की बंदूक छीन ली, तब तीनों आरोपी मौके से भाग निकले। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया। आहत को गंभीर हालत में भोपाल रैफर कर दिया गया। भोपाल में इलाज के दौरान सुरेंद्र की मौत हो गई। अस्पताल में सुरेंद्र के मृत्यु कालिक बयान लेख किए गए। पुलिस ने मामले के आरोपी बद्री प्रसाद पिता हरिशंकर दुबे निवासी खड़ेहा, मनोज कुमार पिता दादू प्रसाद शुक्ला निवासी बेड़ी और फूलचंद्र पिता देवीदयाल त्रिवेदी निवासी गहबरा को गिरफ्तार कर मामला कोर्ट में पेश किया।
कोर्ट सख्त, कहा नहीं दी जा सकती सजा में रियायत
अदालत ने सजा के प्रश्न पर बचाब पक्ष की उस अपील को सिरे से खारिज कर दिया है, जिसमें आरोपियों की सजा पर नरमी बरते जाने की गुजारिश की गई थी । कोर्ट ने कहा की जिन परिस्थितियों में अपराध हुआ है, इसी स्थित में दोषियोंं की सजा में रियायत नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने इस मत के साथ आरोपी बद्री दुबे और मनोज शुक्ला को सुरेंद्र की हत्या करने के आरोप में आजीवन कारावास और 5-5 हजार के जुर्माना की सजा सुनाई, जबकि सहआरोपी फूलचंद्र को साक्ष्य के अभाव में संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया। मामले में शासन की तरफ एजीपी अरुणदेव खरे ने पैरवी की
Created On :   27 Feb 2018 2:12 PM IST