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मात्र एक इंच बारिश में ही बह गई नवनिर्मित पुलिया और सड़कें
डिजिटल डेस्क, सतना। जबलपुर से सिंगरौली तक प्रस्तावित इंडस्ट्रियल कॉरीडोर के तहत अमरपाटन के बाबूपुर गांव में बनाया जा रहा औद्योगिक केन्द्र विकास निगम के अफसरों की मनमानी की बलि चढ़ गया। अभी वर्षा ठीक से हुई नहीं, मात्र 26 मिलीमीटर बारिश ही एक दिन हुई और इस केन्द्र में बनाई गई कुछ पुलिया व सड़कें बह गईं। कहने में अविश्वसनीय लगता है, लेकिन यह सौ फीसदी सच मौके पर जाने से कोई भी अपनी आंखों से देख सकता है। कई जगहों से पुलियों की दीवारें पूरी तरह क्रैक हो चुकी हैं, जहां सीमेंट का मरहम लगाकर गहरे जख्मों को भरने की कवायद हो रही है।
आसपास के ग्रामीण इस निर्माणाधीन औद्योगिक केन्द्र में अधिकारियों की लीला देखकर हैरान हैं। ताज्जुब इस बात का है कि यदि कोई शिकायत भी करता है तो जिम्मेदार अधिकारी ताल ठोंकने के लिए तैयार हो जाते हैं। औद्योगिक केन्द्र बन जाने के बाद कितनी औद्योगिक इकाईयां यहां आ पाएंगी, अभी कुछ कहा नहीं जा सकता।
110 की योजना सिमटी 37 करोड़ में
बाबूपुर औद्योगिक केन्द्र की प्रारंभिक लागत 110 करोड़ रूपए अनुमानित थी, लेकिन यह जिस स्थान पर बन रहा है, वहां कुछ जमीन वन विभाग की है और वन विभाग ने एनओसी देने से साफ मना कर दिया। लिहाजा इस योजना की प्रस्तावित लागत 37 करोड़ में आकर सिमट गई। जिस ढंग से काम हो रहा है, उसे देखकर लगता है कि यह काम करा रहे एकेवीएन के इंजीनियर करोड़-दो करोड़ में ही सारा खेल खत्म कर देंगे। यह बात अलग है कि बिल तो पूरे का निकलेगा। उल्लेखनीय है कि इस राशि में से सड़क , बिजली, नाली, पेयजल और सीवर लाइन का काम किया जाना प्रस्तावित है।
बालू की जगह मिट्टी
बाबूपुर गांव के लोग बताते हैं कि इस केन्द्र में सड़क, पुलिया, नाली आदि का जो भी काम चल रहा है, उसमें ट्रैक्टर-ट्रालियों द्वारा नालों की तलहटी में जमी मिट्टी ले आकर जोड़ाई की जा रही है। सीमेंट की जगह पर स्टोन क्रेशर की डस्ट प्रयोग हो रही है। जो भी पक्के काम कराए गए, गर्मी के दिनों में उनमें पानी तक नहीं डाला गया।
नतीजा यह हुआ कि बनने के साथ ही पुलियों की दीवालें क्रैक हो गईं और बिना लोगों के चले सीसी रोड की गिट्टियां उधड़ चुकी हैं। इस नाकामी को छिपाने के लिए जगह-जगह सीमेंट का मरहम लगाया गया है, फिर भी सच्चाई सामने आ ही जाती है।
बिना एग्रीमेंट हो रहा काम
जानकारों का कहना है कि औद्योगिक केन्द्र विकास निगम रीवा के द्वारा कराए जा रहे इस निर्माण कार्य का एग्रीमेंट तक नहीं हुआ है। कुछ साल पहले तक यह केन्द्र एकेवीएन जबलपुर के अंतर्गत आता था। वहां के तत्कालीन एमडी बीपी आहूजा ने इसे निरस्त कर दिया था। रीवा में एकेवीएन का अलग कार्यालय स्थापित होने के बाद यह कार्य बिना एग्रीमेंट के ही कराया जा रहा है और तो और इस लीपा-पोती वाले कार्य के लिए आनन-फानन में 2 करोड़ के करीब भुगतान भी कर दिया गया है। ऐसे कार्यों के कितना सरकार की मंशा पूरी होगी और औद्योगिक इकाईयों को कितना लाभ मिलेगा, यह विचारणीय है।
इनका कहना है
इस सम्बंध में हमें कुछ भी नहीं कहना है, जो जानकारी आपके पास उसे प्रकाशित कीजिए।
नीलमणि अग्निहोत्री, प्रभारी एमडी एकेवीएन रीवा
Created On :   6 July 2018 7:44 AM GMT