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प्याज - किसान से खेत से ही खरीदते हैं व्यापारी, बुंदेलखंड की पूरी कर सकते हैं डिमांड
डिजिटल डेस्क टीकमगढ़ । आज पूरे देश में प्याज के लिए हाहाकार मचा है। करीब-करीब हर जगह 60 से 100 रुपए किलो के भाव प्याज बिक रहा है। ऐसे में उन किसानों को भी ऊंचे दामों पर प्याज खरीदना पड़ रहा है, जो अपने खेतों में सैकड़ों क्विंटल प्याज की पैदावार करते हैं। क्योंकि जब अप्रैल-मई के महीने में उनकी फसल तैयार होती है, तब प्याज की कीमतें गिर जाती हैं। व्यापारी सीधे उनके खेतों से सस्ते दामों पर प्याज खरीद लेते हैं। बाद में जब प्याज के दाम बढ़ते हैं तो पूरा मुनाफा व्यापारी खा जाते हैं। किसानों को अपनी मेहनत के बदले महज 3 से 5 गुना लाभ होता है, जबकि व्यापारी और बिचौलिया 50 गुना तक मुनाफा कमा ले जाते हैं।
हम बात कर रहे हैं जिला मुख्यालय से करीब 25 किमी दूर धामना गांव की। यहां लगभग हर किसान गेहूं, चना के अलावा 1 से 2 एकड़ में प्याज की खेती करता है। धामना के अलावा आसपास के मऊ बछौंड़ा, देवखा, सैराई, लुहरगुवां में भी प्याज की अच्छी पैदावार होती है। हर साल इन गांवों में तकरीबन एक हजार ट्रक से ज्यादा प्याज का उत्पादन होता है, लेकिन दुख की बात यह है कि जब देश में प्याज की कीमतें बढ़ती हैं। तब इन किसानों को इसका लाभ नहीं मिलता। क्योंकि किसानों के पास प्याज के भंडारण का कोई इंतजाम नहीं है। जैसे ही अप्रेल-मई में प्याज की फसल तैयार होती है। तभी व्यापारी सीधे खेतों से ही प्याज खरीद लेते हैं। उस दौरान किसानों का प्याज 7-8 रुपए किलो बिक जाता है।
इस साल बंपर पैदावार की उम्मीद
मऊ बछौड़ा गांव के हरप्रसाद रजक, धामना के रवि रजक, संतोष यादव ने बताया कि प्याज की फसल के लिए ज्यादा पानी की जरूरत होती है। पिछले सालों में कम बारिश के कारण पानी की कमी रही। इसलिए केवल 1-2 एकड़ में फसल लगाई गई। इस बार अच्छी बारिश के कारण प्याज फसल का रकवा बढ़ जाएगा। जिससे करीब 1 हजार ट्रक सेे ज्यादा पैदावार होने की उम्मीद है, लेकिन समस्या अब भी वही है कि प्याज के भंडारण का कोई इंतजाम नहीं है। इसलिए पैदावार होते ही व्यापारियों को प्याज बेचने की मजबूरी रहेगी।
भंडार गृह पर 50 प्रतिशत सब्सिडी
प्याज भंडार गृह के लिए शासन 50 सब्सिडी दे रहा है। उद्यानिकी विभाग के एसएस कुशवाह ने बताया कि धामना सहित आसपास के किसानों को प्याज भंडार गृह बनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया है, लेकिन उन्होंने प्रयास नहीं किया। धामना में 4 किसानों ने भंडार गृह बनवाए भी हैं, लेकिन उनका उपयोग नहीं किया। शासन की ओर से 50 मीट्रिक टन प्याज भंडार गृह के लिए साढ़े तीन लाख और 25 मीट्रिक टन क्षमता के भंडार के लिए पौने दो लाख रुपए का लोन दिया जाता है। भंडार कंपलीट करने पर 50 प्रतिशत सब्सिडी का प्रावधान भी है।
किसानों को अधिकतम 10 रुपए किलो तक मिले प्याज के दाम
तीन पीढ़ी से धामना गांव में प्याज की खेती कर रहे प्रमोद कुशवाहा ने बताया कि हर साल करीब 2 एकड़ में प्याज की पौध लगाते हैं। 70-80 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से पैदावार होती है। पहले तो 3-4 या 5 रुपए किलो के हिसाब से व्यापारी खेत से ही प्याज खरीद ले जाते थे। पिछली साल सबसे अधिक 10 रुपए किलो के भाव मिले थे। इससे अधिक दाम कभी नहीं मिले। उन्होंने बताया कि 1 एकड़ में प्याज की फसल तैयार करने में करीब 20 हजार रुपए का खर्च आता है। भंडारण के लिए कोई साधन नहीं है। इसलिए फसल तैयार होते ही बेच देते हैं।
खुद तैयार करते हैं बीज : जिस गांव में हजारों क्विंटल प्याज की पैदावार होती है, उस गांव के किसानों को सरकारी स्तर पर कोई मदद नहीं मिल रही है। धामना के प्रमोद कुशवाहा ने बताया कि गांव के सभी किसान पहले प्याज का बीज तैयार करते हैं। दिसंबर महीने में खेत में बीज डालकर पौधे बनाते हैं। फिर जनवरी माह में पौधों को खेतों में लगाया जाता है। 3 माह बाद अप्रेल में फसल तैयार हो जाती है। हर साल यही प्रक्रिया चलती रही है। उन्होंने बताया कि प्याज उगा रहे किसानों को विभागीय स्तर पर कोई मदद नहीं मिल रही है।
Created On :   16 Dec 2019 6:02 PM IST