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निजी स्कूल संचालक अभी भी वसूल रहे मनमानी फीस
डिजिटल डेस्क सीधी। शहर सहित जिले भर में संचालित निजी स्कूलों की मनमानी शुल्क वसूली पर कोई नियंत्रण नहीं लग सका है। नया शैक्षणिक सत्र शुरू होते ही 10 से 20 फीसदी तक शुल्क बढ़ा दिया गया है। जबकि शासन के गाइड लाइन के अनुसार विद्यालय में न तो डिग्रीधारी शिक्षक हैं, न ही खेल मैदान सहित अन्य सुविधाएं। इसके बावजूद भी अभिभावकों की कमर निजी स्कूल संचालक तोड़ने में लगे हुए हैं। अब जबकि ग्रीष्म अवकाश प्रारंभ हो चुका है तब भी स्कूल पूरे साल की फीस वसूलने में लगे हुए हैं ।
सरकारी स्कूलों में पठन पाठन प्रभावित होने के कारण ज्यादातर अभिभावक बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में ही दाखिला कराते हैं लेकिन शैक्षणिक स्कूल सहित यूनीफार्म, किताब सहित अन्य कई सुविधाओं के नाम पर भारी भरकम रकम लेकर स्कूल संचालक जेब ढीली कर रहे हैं। वैसे भी मंहगाई की मार से आम जनता परेशान है उस पर बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाने के एवज में मोटी रकम हर वर्ष देना पड़ रहा है। शासन द्वारा फरमान जारी किया गया है कि निजी स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों से प्रवेश शुल्क न लेने सहित 10 प्रतिशत से ज्यादा शैक्षणिक शुल्क की बढ़ोत्तरी न की जाए।
लेकिन नियम को दरकिनार कर प्रवेश शुल्क के नाम पर पुराने छात्रों से किस्तों में प्रवेश शुल्क जोड़कर राशि ली जा रही है। वहीं अधिकतर विद्यालयों में 10 से 20 फीसदी तक फिर से शुल्क बढा दिया गया है जबकि सुविधा के नाम पर कोई खास प्रबंध नहीं देखा जा रहा है। शहर में ही गिने चुने विद्यालयों को छोड़ दे तो करीब 90 फीसदी से ज्यादा विद्यालयों में खेल का मैदान, पुस्तकालय, प्रायोगिक सामग्री सहित योग्यताधारी शिक्षकों का अभाव बना हुआ है।
मीडिल एवं प्राइमरी कक्षाओं में तो सुविधाओं को और ज्यादा नजरअंदाज किया जा रहा है। यहां संचालित निजी स्कूलों के प्रबंधन ज्यादा शुल्क लेने को ही विद्यालय को बेहतर मानते हैं। इसके आलावा यूनीफार्म, टाई, बेल्ट, पूरेक्षा फीस सहित अन्य कई शुल्क जोड़कर अलग से राशि वसूल ली जाती है। ऐसे विद्यालयों का निरीक्षण जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा न करनें की वजह से निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। स्कूलों में अध्यापन कार्य के लिए डिग्रीधारी शिक्षकों की अनिवार्यता को भी अधिकतर विद्यालय दरकिनार किए हैं।
ऐसे विद्यालय डेढ से पांच हजार रूपए मासिक वेतन देने के नाम पर शिक्षक नियुक्त किए हैं जो बच्चों को सम्पूर्ण शिक्षा देने में कामयाबी हासिल नहीं कर पा रहे हैं। इस बात की जानकारी जिला प्रशासन सहित विभाग को भी है लेकिन ऐसे विद्यालयों पर शिकंजा कसने में शिथिलता बरती जा रही है। जब तक दो चार विद्यालयों पर कार्यवाही नहीं होगी तो निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लग पाना मुश्किल दिख रहा है।
चार कमरों में संचालित हो रहे हैं विद्यालय
शहर सहित जिले भर में प्राइमरी एवं मिडिल स्कूल कुछ ऐसे हैं कि चार कमरों में ही एक से आठ तक की कक्षाएं संचालित कर रहे हैं। लेकिन ऐसे विद्यालयों के संचालक द्वारा शुल्क में कमी न करने एवं प्रवेश के दौरान तरह-तरह की सुविधाएं देने के नाम पर अभिभावकों को प्रलोभन देकर छात्रों को प्रवेश दिलाते हैं। यहां तक की कई ऐसे विद्यालय हैं जहां कि रिकार्ड में तो खेल का मैदान विधिवत दिखाया गया लेकिन स्थिति यह है कि प्रार्थना करनें तक की जगह नहीं दिखती है। कई स्कूल तो सड़क के किनारे संचालित हैं जहां कि छुट्टी के दौरान बच्चे सीधे सड़क पर पहुंच जाते हैं। इन विद्यालयों के प्रबंधन से साठ गांठ होने की वजह से विभागीय अमले नियमों को दरकिनार कर मनमानी पर खुली छूट दे रखी है।
Created On :   30 April 2018 1:55 PM IST