रायगढ़ : देश और प्रदेश की आर्थिक-सामाजिक समस्याओं का समाधान, समावेशी विकास से ही संभव : श्री भूपेश बघेल

District Mineral Fund is not being used in Gadchiroli!
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!
रायगढ़ : देश और प्रदेश की आर्थिक-सामाजिक समस्याओं का समाधान, समावेशी विकास से ही संभव : श्री भूपेश बघेल

डिजिटल डेस्क, रायगढ़। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के मासिक रेडियो वार्ता "लोकवाणी " की दसवीं कड़ी का हुआ प्रसारण समावेशी विकास आपकी आस विषय पर श्रोताओं से की बात रायगढ़, 13 सितम्बर2020 मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज प्रसारित अपनी रेडियो वार्ता लोकवाणी की दसवीं कड़ी में "समावेशी विकास-आपकी आस " विषय पर श्रोताओं के साथ अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, सरदार पटेल, डॉ. अम्बेडकर, शास्त्री, आजाद, मौलाना जैसे हमारे नेता जिस न्याय की बात करते थे, उसी साझी विरासत से हमें विकास का छत्तीसगढ़ी मॉडल मिला है। समावेश का सरल अर्थ होता है। समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलना, सभी की भागीदारी, सबके विकास की व्यवस्था। उन्होंने कहा कि किसान को जब हम अर्थव्यवस्था की धुरी मान लेंगे तो समझ लीजिए कि समावेशी विकास की धुरी तक पहुंच गए हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों को अर्थव्यवस्था के केन्द्र में रखा है। इसके साथ ही अर्थव्यवस्था में किसान, ग्रामीण, अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के गंभीर प्रयास करते हुए राज्य सरकार सबसे विकास की व्यवस्था कर रही है। सभी की आजीविका और बेहतर आमदनी की व्यवस्था समावेशी विकास का मूलमंत्र मुख्यमंत्री ने समावेशी विकास की अवधारणा को छत्तीसगढ़ में लागू किया करने के संबंध में कहा कि समाज के जो लोग चाहे वे छोटे किसान हों, गांव में छोटा-मोटा काम-धंधा करने वाले लोग हों, खेतिहर मजदूर हों, वनोपज पर आश्रित रहने वाले वन निवासी तथा परंपरागत निवासी हों, चाहे कमजोर आर्थिक स्थिति वाले परिवार की महिलाएं हों, ग्रामीण अंचलों में परंपरागत रूप से काम करने वाले बुनकर हों, शिल्पकार हों, लोहार हों, चर्मकार हों, वनोपज के जानकार हों, सभी के पास कोई न कोई हुनर है, जो उन्हें परंपरागत रूप से मिलता है। समय की मार ने उनकी चमक, उनकी धार को कमजोर कर दिया है। उनके कौशल को बढ़ाया जाए, उनके उत्पादों को अच्छा दाम मिले, अच्छा बाजार मिले तो वे बड़ा योगदान कर सकते हैं। ऐसे सभी लोगों की आजीविका और बेहतर आमदनी की व्यवस्था करना ही समावेशी विकास का मूलमंत्र है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें यह समझना होगा कि हर परिवार के पास आजीविका का साधन हो। मुख्यत: अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, आर्थिक रूप से कमजोर तबकों को राज्य के संसाधन और उनकी आय के साधन सौंपकर हम आर्थिक विकास के लाभों के समान वितरण का लक्ष्य हासिल कर सकते हैं। दिसम्बर 2018 से छत्तीसगढ़ में हमने जिस तरह की नीति-रीति अपनाई है, उसे देखकर समावेशी विकास को समझा जा सकता है। किसानों को माना अर्थव्यवस्था की धुरी मुख्यमंत्री ने रेडियो वार्ता के श्रोताओं से कहा कि किसान को जब हम अर्थव्यवस्था की धुरी मान लेंगे तो समझ लीजिए कि समावेशी विकास की धुरी तक पहुंच गए हैं। "राजीव गांधी किसान न्याय योजना " से प्रदेश के 19 लाख किसानों को लाभ मिल रहा है। दो किस्तों में 3 हजार करोड़ का भुगतान हो चुका है। अब जल्दी ही पूरे 5700 करोड़ रू भुगतान का वादा भी पूरा हो जाएगा। हमने न सिर्फ धान के किसानों को 2500 रूपए प्रति क्विंटल देने का वादा पूरा किया है, बल्कि मक्का, गन्ना के साथ छोटी-छोटी बहुत सी फसलों का भी बेहतर दाम देंगे। राज्य सरकार ने कर्ज माफी की, सिंचाई कर माफ किया और अब न्याय योजनाओं का सिलसिला भी शुरू कर दिया है। गोधन न्याय योजना के चालू होते ही गौठान निर्माण में तेजी आई है। हर 15 दिन में हम खरीदे गए गोबर का भुगतान कर रहे हैं। स्व-सहायता समूह से जुड़कर ग्रामीण महिलाएं गोबर खरीदकर, वर्मी कम्पोस्ट बना रही हैं। इस तरह से ग्रामीण जनता ही नहीं, बल्कि अनेक संस्थाओं को भी अपनी भूमिका निभाने का अवसर मिला। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए गांव के सभी वर्गों का एकजुट होनाए मेरे ख्याल से सिर्फ आर्थिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक क्रांति भी है। जिस तरह से कुछ लोग गाय और शिक्षा प्रणाली को लेकर सिर्फ बातें करते थे, करते कुछ नहीं थे। उन्हें यह देखना चाहिए कि हमारे 40 नए इंग्लिश मीडियम स्कूलों में प्रवेश भी अब सम्मान का विषय बन गया है। "पढ़ाई तुंहर दुआर " , "पढ़ाई तुंहर पारा " जैसे लोक अभियानों से हमने बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखा है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि सुराजी गांव योजना को आप लोगों ने जिस तरह से हाथों-हाथ लिया है, उससे मैं बहुत उत्साहित हूं। यह योजना वास्तव में ग्रामवासियों को ही चलानी है। नरवा का पानी सिंचाई के लिए भी जरूरी है और अन्य कार्यों के लिए भी। गरवा, गौठान, गोधन न्याय योजना सब एक दूसरे से जुड़ गए हैं। जैविक खाद भी बन रही है और मूर्तियां भी। 

Created On :   14 Sep 2020 11:26 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story